कर्तव्य भवन: नया दफ्तर पाकर भी खुश क्यों नहीं हैं 'सरकारी बाबू'
भारत सरकार सभी केंद्रीय मंत्रालयों को एक जगह पर लाना चाहती है. इसके लिए दिल्ली में कर्तव्य भवन बनाया गया है, जहां गृह और विदेश समेत कई मंत्रालयों के अधिकारी बैठेंगे. हालांकि, अधिकारी इस नए दफ्तर से थोड़े नाखुश हैं.
पीएम मोदी ने किया कर्तव्य भवन का उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 अगस्त, 2025 को कर्तव्य भवन-3 का उद्घाटन किया. इस भवन में गृह, विदेश, ग्रामीण विकास और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस समेत कई मंत्रालयों के अधिकारी बैठेंगे. डेढ़ लाख वर्ग मीटर में फैला यह भवन नए समय की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है.
सस्टेनेबिलिटी का रखा गया है ध्यान
डीडी न्यूज के मुताबिक, इस भवन को सस्टेनेबिलिटी को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है. इसमें उन्नत ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली लगाई गई है, जिससे ऊर्जा खर्च में 30 फीसदी की कमी आएगी. वहीं, छत पर लगे सोलर पैनलों से हर साल 5.34 लाख यूनिट बिजली पैदा होने की उम्मीद है.
मंत्रालयों के लिए 10 भवन बनाए जाएंगे
केंद्रीय मंत्रालयों को एक जगह पर लाने के लिए सामान्य केंद्रीय सचिवालय (सीसीएस) बनाया जा रहा है, जिसमें ऐसे कुल 10 भवन होंगे. द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआती तीन भवनों के निर्माण के लिए सरकार ने 3,690 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं. कर्तव्य भवन-3 इनमें से एक है.
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा है सीसीएस
ये भवन भारत सरकार के महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं. सरकार का कहना है कि सभी दस भवन जुलाई 2027 तक बनकर तैयार हो जाएंगे. सरकार के मुताबिक, इन्हें बनाने में नई निर्माण तकनीक का इस्तेमाल होगा, जिससे ये दो साल के अंदर बनकर तैयार हो जाएंगे.
किराए में खर्च होते हैं 1,500 करोड़ रुपये
पीएम मोदी ने कर्तव्य भवन-3 का उद्घाटन करते हुए कहा, “भारत सरकार के अलग-अलग मंत्रालय दिल्ली की 50 अलग-अलग जगहों से चल रहे हैं. इनमें से बहुत सारे मंत्रालय किराए की इमारतों में हैं.” उन्होंने कहा कि हर साल इनके किराए पर 1,500 करोड़ रुपये खर्च होते हैं.
नए दफ्तर से खुश क्यों नहीं सरकारी अधिकारी
सरकारी अधिकारियों को नए दफ्तर में बैठने की व्यवस्था ठीक नहीं लगी है. केंद्रीय सचिवालय सेवा (सीएसएस) फोरम ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर अपनी चिंताएं जाहिर की हैं. यह फोरम 13 हजार अधिकारियों के “साझा हितों” का प्रतिनिधित्व करने का दावा करती है.
नए दफ्तर में प्रभावित होगी गोपनीयता
इंडिया टुडे के मुताबिक, पत्र में कहा गया है कि अधिकारियों को कम जगह आवंटित की जा रही है, जिससे गोपनीयता और काम करने की दक्षता प्रभावित होगी. पत्र के मुताबिक, अंडर सेक्रेटरी बेहद संवेदनशील और गोपनीय मामलों को संभालते हैं जिसके लिए उन्हें निजी कार्यस्थल की जरूरत होती है.
कमरों के बिना कैसे होगा काम
द प्रिंट ने कई अधिकारियों के हवाले से बताया कि पुराने दफ्तरों में सेक्शन ऑफिसरों को साझा कमरे और डिप्टी एवं अंडर सेक्रेटरी को अपने व्यक्तिगत कमरे मिलते थे. वहीं, कर्तव्य भवन में सेक्शन ऑफिसरों को ओपन स्पेस में बैठना होगा और डिप्टी एवं अंडर सेक्रेटरी को साझा कमरे दिए जाएंगे.
अलग कमरों की मांग
पत्र में मांग की गई है कि अधिकारियों को दफ्तर में पर्याप्त जगह दी जाए. इसके साथ ही समूह-ए के सभी सीसीएस अधिकारियों (अंडर सेक्रेटरी और उससे ऊपर) को दफ्तर में व्यक्तिगत कमरे उपलब्ध करवाए जाएं, ताकि वे संवेदनशील कार्यों को गोपनीयता के साथ संभाल पाएं.