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विवादरूस

क्या है डोनबास, जिसे पुतिन हर कीमत पर चाहते हैं

थॉमस लाचान
२० अगस्त २०२५

पुतिन और ट्रंप, यूक्रेन के डोनबास इलाके को लेकर एक समझौता कर चुके हैं. समीकरण बता रहे हैं कि यूक्रेन के पास अपने डोनबास इलाके को बचाने के लिए बहुत विकल्प नहीं बचे हैं.

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डोनबास इलाके में लड़ाई का मोर्चा
तस्वीर: John Moore/Getty Images

ऐसी रिपोर्टें हैं कि अलास्का में रूसी और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच यूक्रेन की कुछ जमीन मॉस्को को देने पर सहमति बनी. डॉनल्ड ट्रंपइस बात पर राजी हुए कि यूक्रेन को अपना डोनेत्स्क और लुहांस्क इलाका रूस को देना होगा. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चाहते हैं कि इन इलाकों से यूक्रेनी सेना पूरी तरह हट जाए. इसके बदले, पुतिन बाकी के मोर्चे पर लड़ाई बंद कर देंगे. खासतौर पर हेर्सोन और जापोरिझिया में. फिलहाल दक्षिण यूक्रेन के ये दोनों इलाके भी रूसी सेना के नियंत्रण में हैं.

हाल के बरसों में पुतिन ने बार बार डोनेत्स्क और लुहांस्क की अहमियत पर जोर दिया है. ये दोनों इलाके मिलकर डोनबास कहे जाते हैं. पुतिन का कहना है कि डोनबास का ये इलाका, ऐतिहासिक रूप से रूस से जुड़ा रहा है और यह सोवियत कालीन विरासत का हिस्सा भी है. हालांकि संवैधानिक कानूनों के तहत, डोनबास यूक्रेन का अंग है.

दूसरी तरफ क्रीमिया प्रायद्वीप, 1954 में रूस ने यूक्रेन को दिया. उस वक्त यह फैसला तत्कालीन सोवियत संघ के राष्ट्रपति निकिता खुर्श्चेव ने किया था. 2014 में पुतिन ने सैन्य कार्रवाई कर क्रीमिया प्रायद्वीप को फिर से रूसी नियंत्रण में ले लिया. इसके उलट, डोनेत्स्क और लुहांस्क, 1919 में सोवियत संघ की स्थापना के समय से ही यूक्रेन का अंग रहे हैं. लंबे समय तक इन पर कोई विवाद भी नहीं हुआ.

15 अगस्त 2025 को अलास्का में पुतिन और ट्रंप की मुलाकात
पुतिन और ट्रंप की अलास्का में हुई मुलाकात में डोनबास को लेकर सहमति की रिपोर्टेंतस्वीर: Andrew Caballero-Reynolds/AFP

हालांकि डोनबास इलाके का ताना बाना काफी हद तक रूस से मिलता जुलता है. 19वीं शताब्दी की शुरुआत और उसके बाद सोवियत काल के दौरान भी, डोनबास औद्योगिक केंद्र सा रहा. यह इलाका प्राकृतिक संसाधनों से भरा पड़ा था. 20वीं शताब्दी की शुरुआत में डोनबास में कोयला खनन, स्टील और रसायन उद्योग विकसित किए गए. पूरे सोवियत संघ से और खास तौर सबसे ज्यादा रूस से लोग, रोजगार की तलाश में वहां पहुंचे.

2014 में भड़के क्रीमिया विवाद से भी पहले, डोनबास इलाके में ज्यादातर आबादी रूसी भाषा बोलती थी. इसी दौरान पश्चिमी यूक्रेन में जब कई लोग यूरोपीय संघ में शामिल होने की मांग करने लगे, तब भी पूर्वी यूक्रेन का ये इलाका मॉस्को का करीबी बना रहा. यूक्रेन के पूर्व राष्ट्रपति विक्टोर यानुकोविच, डोनेत्स्क में ही पैदा हुए. इसी इलाके से वह राजनीति में आए. राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान क्रेमलिन ने उन्हें खूब समर्थन दिया.

लेकिन 2014 के मैदान आंदोलन के दौरान यानुकोविच को जनता ने सत्ता से बेदखल कर दिया. यानुकोविच को रूस भागना पड़ा और तब से ही डोनबास इलाका मॉस्को और कीव के बीच अखाड़ा बना हुआ है.

यूक्रेन में आए 2014 के राजनीतिक भूचाल के दौरान ही रूस ने क्रीमिया प्रायद्वीप को अलग किया और फिर पूर्वी यूक्रेन में हथियारबंद गुटों के जरिए संघर्ष भड़का दिया. वहां यूक्रेन की सेना से लड़ रहे विद्रोहियों और अर्धसैनिकों को रूस ने हथियार दिए. इसी संघर्ष के दौरान विद्रोहियों ने डोनेत्स्क और लुहांस्क को यूक्रेन से अलग कर "जनता का गणतंत्र" घोषित कर दिया.

यूक्रेनी सेना का ड्रोन सर्विलांस
ड्रोन से डोनबास के मोर्चे की निगरानी करती यूक्रेनी सेनातस्वीर: Lev Radin/Pacific Press/picture alliance

'खास सैन्य ऑपरेशन'

रूस को लगा कि रूसी भाषा बोलने वाले यूक्रेनी उसका समर्थन करेंगे. लेकिन हुआ इसका उलटा. वक्त बीतने के साथ पूर्वी यूक्रेन के विद्रोही, रूस से खीझने लगे. यही वजह रही कि रूसी भाषा बोलते हुए बड़े हुए वोलोदिमीर जेलेंस्की, 2019 में यूक्रेन का राष्ट्रपति चुनाव जीत गए. वह भी प्रंचड रूप से. जेलेंस्की को पूर्वी यूक्रेन के उन इलाकों में भारी वोट मिले जो कीव के नियंत्रण में थे. यूक्रेन की संप्रभुता का उल्लंघन किए बिना संघर्ष को खत्म करना, जेलेंस्की का यह वादा लोगों को पसंद आया.

लेकिन कुछ ही बरसों बाद, फरवरी 2022 में डोनबास, यूक्रेन पर रूसी हमले का मुख्य आधार भी बना. अपने टेलिविजन संबोधन में पुतिन ने यूक्रेन पर हमले को एक "खास सैन्य ऑपरेशन" करार देते हुए कहा कि इलाके के "स्वघोषित गणतंत्र" ने रूस से मदद मांगी है. पुतिन ने यह दावा भी किया कि कीव के नियंत्रण वाले पूर्वी यूक्रेन में रूसी भाषियों का "जनसंहार" किया जा रहा है.

आज पूरा लुहांस्क और करीब 70 फीसदी डोनेत्स्क, रूस के नियंत्रण में आ चुका है. दोनों को मिला दें तो करीब 88 परसेंट डोनबास इलाका अब क्रेमलिन के कब्जे में है. डोनबास इलाके में करीब 40 लाख लोग रहते हैं. डोनबास में कोयले और लौह अयस्क के भंडार के साथ साथ लिथियम, कोबाल्ट, टाइटैनियम और अन्य रेयर अर्थ खनिजों का रिजर्वभी है.

18 अगस्त 2025 को वॉशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के साथ यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की
जेलेंस्की चाहते हैं अमेरिका से सुरक्षा की पक्की गारंटीतस्वीर: Aaron Schwartz/PA Wire/empics/picture alliance

बहुत ही अहम है डोनबास

डोनबास, रूस को क्रीमिया प्रायद्वीप से जमीनी संपर्क बरकरार रखने का एक मात्र मौका देता है. इसके बिना, रूसी भूमि से क्रीमिया पहुंचने के लिए समंदर पर बने क्रेच ब्रिज का सहारा लेना पड़ता है.

क्या क्रेमलिन को डोनबास इलाके का नियंत्रण दिया जाना चाहिए और जापोरिझिया और हेर्सोन में संघर्ष बंद करवाया जाना चाहिए? इसका अर्थ होगा कि रूस हमेशा इन इलाकों को अपने नियंत्रण में रखते हुए क्रीमिया के साथ जमीनी संपर्क बनाए रखेगा. ऐसा होने पर यूक्रेन की आजोव सागर तक पहुंच बंद हो जाएगी. आजोल सागर, काले सागर से जुड़ता है. रूस और यूक्रेन का बड़ा जहाजी व्यापार इसी के सहारे होता है.

यूक्रेन के लिए डोनबास की अहमियत आर्थिक आंकड़ों से कहीं ज्यादा है. फिलहाल, वहां यूक्रेनी सेना ने कुछ हिस्सों में जोरदार मोर्चेबंदी की सी है. इस मोर्चाबंदी ने रूसी सेना का आगे बढ़ना नामुमकिन सा कर रखा है. इसी फ्रंटलाइन के जरिए यूक्रेन ने रूसी आर्मी को मध्य यूक्रेन तक पहुंचने से भी थामा हुआ है.

मोर्चेबंदी वाली इस बेल्ट के पीछे मध्य यूक्रेन का सपाट मैदान है. अगर रूस ने यह मोर्चेबंदी तोड़ दी तो यूक्रेन के लिए रूसी सेना को रोकना बहुत मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि इस बेल्ट के पीछे यूक्रेन के पास कोई रक्षा पंक्ति नहीं है. इसीलिए, जेलेंस्की की पूरी कोशिश है कि सुरक्षा की भरोसेमंद पक्की गारंटी न मिलने तक, वह डोनबास के बचे खुचे मोर्चे पर डटे रहें.

डोनबास को रूस को देना, जेलेंस्की को घरेलू राजनीति में भी परेशान करेगा. यूक्रेन का संविधान ऐसे किसी भूमि त्याग की अनुमति नहीं देता है. कीव इंटरनेशलन इंस्टीट्यूट ऑफ सोशलॉजी के एक सर्वे के मुताबिक, 75 फीसदी यूक्रेनी नागरिक, रूस को जमीन देने के सख्त खिलाफ हैं.