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डीपसीक ने मचाया पूरी दुनिया में तहलका, भारत भी नहीं बचा

३० जनवरी २०२५

भारत में जहां देखिए सिर्फ महाकुंभ की चर्चा है लेकिन इंटरनेट सर्च बताता है कि यह बात पूरी तरह सच नहीं है. एक और कीवर्ड खूब खोजा जा रहा है, डीपसीक. यह चीनी एआई मॉडल दुनियाभर के शेयर मार्केटों से अरबों डॉलर साफ कर चुका है.

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 कंप्यूटर स्क्रीन पर डीपसीक के लोगो के सामने हाथ में मोबाइल देखती एक महिला
डीपसीक ने ओपन एआई के बाजार में भारी उथल पुथल मचाई हैतस्वीर: Artur Widak/NurPhoto/picture alliance

गूगल ट्रेंड्स पर खोजिए डीपसीक. अफ्रीका के कुछ देशों और ग्रीनलैंड को छोड़ दुनिया का कोई हिस्सा ऐसा नहीं, जहां लोग बड़ी संख्या में इसके बारे में नहीं खोज रहे. इस चीनी कंपनी ने ऐसा क्या किया कि दुनिया इसकी टेक्नोलॉजी को ऐसे आंखें फाड़कर देख रही है? ऐसा लग रहा है जैसे टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में ये इंटरनेट और एआई के बाद का सबसे बड़ा आविष्कार हो!

क्या है एआई चैटबॉट डीपसीक

पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लेने वाली डीपसीक एक चीनी एआई कंपनी है. अगर आपने चैटजीपीटी यूज किया है, तो आप जानते होंगे कि आर्टिफिशियल टेलिजेंस वाली ये टेक्नोलॉजी क्या काम करती है, और कैसे करती है? ये आपकी भाषा में आपके सवाल का जवाब देने के लिए तैयार होती है.

दूसरे टूल्स से काफी सस्ता

इस एआई कंपनी डीपसीक ने असल में किया क्या है, कैसे इसके आने से पूरी दुनिया में एआई को लेकर तहलका मच गया है? तो चीन की ये कंपनी दावा कर रही है कि इसने मात्र 60 लाख डॉलर में अपना एआई मॉडल बनाया है. तुलना के लिए जान लीजिए कि आज चैटजीपीटी को मात्र 10 दिन चलाने का खर्च भी इससे ज्यादा है.

चीन में एक मोबाइलफोन की स्क्रीन पर डीपसीक ऐप
डीपसीक के कारण अमेरिका में कई कंपनियों के करोड़ों डॉ़लर डूब गए हैंतस्वीर: China DeepSeek AIThe smartphone apps DeepSeek page is seen on a smartphone screen in Beijing, Tuesday, Jan. 28, 2025. (AP Photo/Andy Wong)Mediennummer504473561BeschreibungThe smartphone apps DeepSeek page is seen on a smartphone screen in Beijing, Tuesday, Jan. 28, 2025. (AP Photo/Andy Wong)Aufnahmedatum28.01.2025Bildnachweispicture alliance / ASSOCIATED PRESS | Andy Wong

एक्सपर्ट टेस्ट करके बता चुके हैं कि कई मामलों में यह प्रतिद्वंद्वी एआई टूल से बेहतर है. जबकि यह उनसे कम जटिल है और अलग-अलग अनुमानों के मुताबिक इसे चलाने का खर्च 50 से 80 फीसदी कम है.

ओपनएआई और मीडिया के बीच रणभूमि बना भारत

पूरा ऑपरेशन हो जाएगा सस्ता

एआई ईकोसिस्टम बनाने के लिए हार्डवेयर, डेटा सेंटर और बिजली की जरूरत होती है. यानी एआई के आने के बाद से इस सेक्टर से जुड़ी कंपनियों की अहमियत भी बहुत ज्यादा बढ़ी हुई थी. दुनिया के सारे बड़े शेयर मार्केट्स में एआई ईकोसिस्टम से जुड़ी कंपनियों की ग्रोथ इस बात की गवाह हैं. डीपसीक के मार्केट को हिला देने के बाद, इन्हीं कंपनियों में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली.

एनवीडिया का हाल तो दुनिया ने देखा लेकिन इंटरनेट संबंधी हार्डवेयर बनाने वाली कंपनी ब्रॉडकॉम, भारत की कंपनियां नेटवेब टेक्नोलॉजी, अनंतराज और ई2ई का हाल इससे भी बुरा है. ये कंपनियां डेटा सेंटर बनाने के बिजनेस में अहम हैं.

मोबाइल स्क्रीन पर डीपसीक और चैट जीपीटी का ऐप लोगो
पिछले हफ्ते अमेरिका में फ्री ऐप स्टोर पर सबसे ज्यादा डाउनलोड किया जाने वाला ऐप बन गया डीपसीक तस्वीर: Andy Wong/AP Photo/picture alliance

 अमेरिकी दबदबे को चुनौती

दरअसल दुनिया में अमेरिका के बिना एआई का कोई भविष्य देखा नहीं जा रहा था. अमेरिका भी इसी मुगालते में था कि उसके बिना एआई की बड़ी खोज कहीं और नहीं की जा सकती. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 500 अरब डॉलर के बजट वाला स्टारगेट प्रोजेक्ट लॉन्च किया, जो एआई टेक्नोलॉजी पर केंद्रित है.

चीन ने डीपसीक के जरिए इस अवधारणा को गलत साबित कर दिया है कि इस मामले में अमेरिका का कोई विकल्प नहीं. उसने ना सिर्फ विकल्प पेश किया है बल्कि जो विकल्प पेश किया है, वो कहीं ज्यादा सस्ता और कम जटिल है. कई जानकार कहते हैं कि चीन जिस नए एआई ईकोसिस्टम की तैयारी कर रहा है, डीपसीक उसकी बानगी भर है. दुनिया की कई अहम एआई कंपनियों में काम करने वाले चीनी वैज्ञानिक और इंजीनियर चीन वापस जाकर अपना एआई स्टार्टअप शुरू कर चुके हैं.

ज्यादा एडवांस लेकिन

सबसे मजेदार चीज है, डीपसीक की रीजनिंग, क्रिएटिविटी और मल्टीमॉडल इंटीग्रेशन. ज्यादातर आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस के मॉडल कयास लगाने पर केंद्रित होते हैं, लेकिन डीपसीक को आप तर्क देते और उसके बाद मंथन करते हुए देख सकते हैं. मशीन को ऐसा करते देखना काफी आकर्षक है लेकिन डरावना भी. आप इसके डीपथिंक आर1 मॉडल को ऐसा करते देख, खुद को मोहित होने से रोक नहीं पाएंगे.

मोबाइल स्क्रीन पर डीपसीक ऐप का होमपेज
डीपसीक एक ओपन ऐआई ऐप है जो लोगों के सवालों के जवाब देता हैतस्वीर: CFOTO/picture alliance

इसके बावजूद डीपसीक से जुड़ी चिंताएं भी हैं. भारत और दुनिया भर में कई यूजर्स ने इसके चीन से जुड़े राजनीतिक सवालों के जवाब ना देने और विवादित मामलों पर चुप्पी साध जाने की समस्या को उजागर किया है. साथ ही यूजर डेटा के चीन में स्टोर किए जाने और इसके इस्तेमाल के स्पष्ट नियम ना होने का डर भी लोगों को सता रहा है.

अमेरिकी टेक्नोलॉजी अब भी अहम

वैसे डरने की बहुत जरूरत नहीं है. तमाम सूत्र बताते हैं कि डीपसीक की टेक्नोलॉजी के लिए भी एनवीडिया की चिप्स अहम रही हैं. यानी एआई के लिए अहम हार्डवेयर में इनकी अहमियत अभी खत्म नहीं होने जा रही. इससे भले ही एआई टेक्नोलॉजी काफी सस्ती हो जाए लेकिन एनवीडिया जैसी हाईटेक कंपनियों के चिप्स की डिमांड अभी बढ़ती ही जाएगी. छोटे दौर में एनवीडिया की गिरावट से उसकी लंबे दौर की मजबूती पर असर नहीं पड़ेगा.

वैसे एक नए खिलाड़ी का एआई सेक्टर में आना यूजरों के लिए तो फायदेमंद ही है. उनके लिए ना सिर्फ एआई की सेवाएं काफी सस्ती हो सकती हैं बल्कि प्रतिद्वंद्विता के चलते नई खोजों में भी तेजी आ सकती है. इसलिए डीपसीक और उसका तहलका आखिर में यूजर और एआई मार्केट दोनों के लिए ही अच्छी खबर है. शायद इससे जुड़े बाकी सेक्टरों में भी जटिलताएं घटें और सस्टेनेबिलिटी बढ़े. कारोबारों का लक्ष्य भले ही ज्यादा से ज्यादा खपत हो, मानवता का लक्ष्य तो टिकाऊ विकास ही है.