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बीजेपी ने रेखा गुप्ता को क्यों चुना दिल्ली का मुख्यमंत्री

२० फ़रवरी २०२५

27 साल बाद दिल्ली में बीजेपी ने सत्ता हासिल की है और उसने प्रचंड बहुमत हासिल करने के 11 दिनों बाद एक महिला को मुख्यमंत्री चुना है. आखिर पहली बार की महिला विधायक पर बीजेपी ने क्यों दांव लगाया.

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बीजेपी की विधायक रेखा गुप्ता ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता

दिल्ली में जब से बीजेपी ने आम आदमी पार्टी को करारी शिकस्त दी है, तभी से प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर कई दिग्गजों के नाम की चर्चा हो रही थी. इनमें आम आदमी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा, दिल्ली के अनुभवी नेता विजेंद्र गुप्ता, आशीष सूद, शिखा रॉय और दिल्ली बीजेपी प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा शामिल थे. लेकिन बुधवार की शाम जब बीजेपी विधायक दल की बैठक हुई तो विधायकों ने 50 साल की रेखा गुप्ता को बतौर सीएम चुना. वह शालीमार बाग से पहली बार विधायक चुनी गई हैं.

वैश्य समाज से आने वाली रेखा गुप्ता मूल रूप से हरियाणा के जींद से ताल्लुक रखती हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी ने महिला मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी और सरकार में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का संदेश साफ कर दिया है.

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महिला, जाति और भविष्य पर नजर

बीजेपी 13 राज्यों में सत्ता में है लेकिन अब तक पार्टी की कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं थी, इससे पहले बीजेपी की महिला मुख्यमंत्री कई राज्यों में रह चुकी हैं. लेकिन इस बार बीजेपी ने दिल्ली में महिला सीएम बनाकर एक तीर से कई निशाने साधे हैं. वरिष्ठ पत्रकार मीनू जैन डीडब्ल्यू से कहती हैं, "बीजेपी को इस बार दिल्ली में महिलाओं का खूब समर्थन मिला है और बीजेपी को लगा होगा कि रेखा गुप्ता से पहले आप की आतिशी मुख्यमंत्री थीं और उससे पहले कांग्रेस की शीला दीक्षित, तो उनको यह लगा होगा कि महिलाओं ने हमें वोट दिया है तो उसके बदले हमें दिल्ली को एक महिला मुख्यमंत्री देना चाहिए."

जैन कहती हैं, "2014 से नरेंद्र मोदी सत्ता में है, लेकिन जिस किसी प्रदेश में उनकी सरकार बनी वहां पार्टी ने किसी भी महिला को मुख्यमंत्री नहीं बनाया, लेकिन इस बार वह महिलाओं को संदेश देना चाहती है." वो कहती हैं, "बीजेपी महिला आरक्षण की बात तो करती है लेकिन उस तरीके से महिलाओं को उसका लाभ नहीं दिया गया था."

वहीं राजनीतिक विश्लेषक डॉ. मुकेश कुमार रेखा गुप्ता के सीएम बनने को आश्चर्यचकित करने वाला नहीं मानते हैं. वो कहते हैं, "अगर हम मध्य प्रदेश को देखे तो मोहन यादव का नाम कोई सपनों में भी नहीं सोच रहा था. उनके नाम की कहीं चर्चा भी नहीं थी, लेकिन उनको सीएम चुना गया था. इसी तरह से राजस्थान को देखे तो वहां भी वैसा ही हुआ था. यही हाल उत्तराखंड में हुआ था. हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के समय में भी ऐसा ही कुछ हुआ था, लेकिन यहां पर दिल्ली में जो नाम चल रहे थे इनमें रेखा गुप्ता का भी नाम चल रहा था. शायद इस वजह से कि बीजेपी के पास कोई भी महिला मुख्यमंत्री नहीं थी, क्योंकि महिलाएं बीजेपी के लिए जमकर वोट कर रही हैं, इसलिए बीजेपी के लिए महिला मुख्यमंत्री बनाना जरूरी हो गया था."

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संघ के करीब होने का फायदा

रेखा गुप्ता छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहीं हैं और इस बार वह पहली बार शालीमार बाग से विधायक चुनी गईं. रेखा गुप्ता ने 1992 में दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज से पढ़ाई के दौरान ही छात्र राजनीति में कदम रखा. वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़ी रहीं और 1996-97 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) की अध्यक्ष बनीं, साल 2007 में वह उत्तरी पीतमपुरा से पार्षद चुनी गईं.

वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से भी जुड़ी रही हैं और दिल्ली में बीजेपी की महिला मोर्चा की महासचिव और इसकी राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की सदस्य भी रह चुकी हैं. डॉ. मुकेश कुमार कहते हैं, "गुप्ता संघ के करीब रही हैं और आरएसएस भी इस समय जोर दे रहा था और माना जा रहा है कि गुप्ता के चयन में भी आरएसएस की भूमिका रही है."

दिल्ली में बीजेपी विधायक दल की बैठक में रेखा गुप्ता मुख्यमंत्री चुनी गई
दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता तस्वीर: IANS

महिला वोटरों पर बीजेपी की नजर

इस बार के दिल्ली चुनाव में सभी दलों ने महिलाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित किया. बीजेपी, कांग्रेस और आप ने महिलाओं के लिए अपने घोषणा पत्र में बड़े-बड़े वादे किए. आप ने महिला सम्मान योजना के तहत महिलाओं को 2,100 रुपये मासिक भत्ता देने का वादा किया, जबकि बीजेपी ने महिला समृद्धि योजना के प्रस्ताव के साथ महिलाओं के लिए 2,500 रुपये मासिक भत्ता, गर्भवती महिलाओं के लिए 21,000 रुपये व विधवाओं के लिए उच्च पेंशन का वादा किया. जबिक कांग्रेस ने भी महिलाओं के लिए 2500 हर महीने देने का वादा किया था.

इस बार के दिल्ली चुनाव में महिला मतदाताओं का मत प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले ज्यादा था, महिला वोटर्स का मत प्रतिशत 60.92 रहा, जबकि पुरुषों का 60.21 फीसदी था. डॉ. कुमार कहते हैं, "मुझे लगता है कि दिल्ली में जो महिला को मुख्यमंत्री बनाया गया है, वह केवल दिल्ली की महिला वोटर को खुश करने के लिए नहीं है, वह राष्ट्रीय स्तर पर संदेश देने की कोशिश है, क्योंकि बीजेपी शासित इतने प्रदेशों में एक भी महिला मुख्यमंत्री नहीं है, अब यह सवाल उठता कि पार्टी महिलाओं का वोट तो लेती है लेकिन नेतृत्व में कोई जगह नहीं देती, तो मुझे लगता है कि इस सवाल का जवाब बीजेपी ने दे दिया है."

मीनू जैन और डॉ. मुकेश कुमार दोनों को ही लगता है कि बीजेपी ने गुप्ता का चयन करके वैश्य समुदाय को साधने की कोशिश भी की है. जैन कहती हैं, "संदेश वैश्य समुदाय को दिया गया है, यह समुदाय हमेशा से ही संघ और बीजेपी के साथ रहा है और उसकी फंडिंग भी करता रहा है. बीजेपी ने इस समुदाय को साफ संदेश दिया है कि देखिए हमने आपके समुदाय से एक सदस्य को मुख्यमंत्री बनाकर आपको सम्मान दिया."

शपथ ग्रहण समारोह के बाद प्रधानमंत्री मोदी के साथ रेखा गुप्ता
प्रधानमंत्री मोदी के साथ दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता तस्वीर: IANS

डॉ. कुमार कहते हैं, "बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं, पहला महिला वोटरों को आकर्षित किया है, दूसरा वैश्य समुदाय को खुश करने की कोशिश की है और तीसरा यह भी है कि वो हरियाणा से हैं और हरियाणा के वोटर अच्छी संख्या में दिल्ली में रहते हैं, इसका असर हरियाणा में भी देखने को मिलेगा."

साथ ही डॉ. कुमार कहते हैं कि दिल्ली में रेखा गुप्ता की जगह कोई और मुख्यमंत्री बनता तो उसकी भूमिका सीमित ही होती, क्योंकि दिल्ली की सरकार मोदी-शाह और उपराज्यपाल से ही चलनी है, रेखा गुप्ता की जगह कुर्सी पर कोई और भी बैठता तो सरकार चलाने में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था. लेकिन राजनीतिक लिहाज से बीजेपी महिलाओं को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है वह इसी का हिस्सा है.

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दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री

रेखा गुप्ता दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री होंगी. सुषमा स्वराज साल 1998 में सिर्फ 52 दिन के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री रही थीं. इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. दिल्ली में कांग्रेस सत्ता में आई और शीला दीक्षित 15 साल तक मुख्यमंत्री रहीं.

शीला दीक्षित के बाद दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो अरविंद केजरीवाल इस सरकार के मुखिया बने. मुख्यमंत्री रहते हुए उन्हें जेल जाना पड़ा. जेल से आने के बाद अरविंद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा दिया तो आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनी.

आमिर अंसारी, डीडब्ल्यू हिन्दी, नई दिल्ली
आमिर अंसारी डीडब्ल्यू के दिल्ली स्टूडियो में कार्यरत विदेशी संवाददाता.