ट्रंप का अगला वार जलवायु वैज्ञानिकों पर!
१२ अप्रैल २०२५अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप जलवायु परिवर्तन को फर्जी मानते हैं और इस बारे में हो रही वैज्ञानिक रिसर्च पर हमेशा सवाल उठाते रहे हैं. अब अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि वह नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के रिसर्च विभाग को मिलने वाली सरकारी मदद में बड़ी कटौती कर सकते हैं.
एनओएए दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन विज्ञान पर अपने काम के लिए जानी जाती है. बताया जा रहा है कि उसे मिलने वाली वित्तीय मदद में लगभग 1.67 अरब डॉलर यानी लगभग 27 फीसदी की कटौती हो सकती है.
सीएनएन और 'साइंस' जर्नल की रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप प्रशासन कांग्रेस से एनओएए की रिसर्च लैंब और जलवायु विज्ञान पर हो रही रिसर्च की निगरानी करने वाले कार्यालय की फंडिंग कम करने को कहेगा. कांग्रेस ही संघीय एजेंसियों का बजट तय करती है.
साइंस कमिटी की डेमोक्रेट कांग्रेस सदस्य जोई लोफग्रेन ने कहा, "एनओएए के लिए ट्रंप की बजट योजना अपमानजनक और खतरनाक है." उन्होंने एक बयान में चेतावनी दी कि प्रशासन ऐसी जरूरी एजेंसियों को "पूरी तरह से नष्ट" कर रहा है.
माना जा रहा है कि एनओएए की रिसर्च ब्रांच के लिए लगभग 75 फीसदी फंडिंग 2026 के बजट से हटाई जा सकती है. साइंस जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन उन सैकड़ों संघीय और अकादमिक वैज्ञानिकों की नौकरियां खत्म करना चाहता है जो इंसानों की वजह से हो रहे ग्लोबल वार्मिंग पर अध्ययन कर रहे हैं.
इस साल मार्च में ट्रंप की बजट कटौतियों के चलते भी एनओएए ने अपने 1000 कर्मचारियों को काम से निकला था. यह छटनी ट्रंप की नई एजेंसी डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी यानी डीओजीई के कहने पर हुई थी, जिसका नेतृत्व टेस्ला मालिक और व्यापारी इलॉन मस्क कर रहे हैं.
लोफग्रेन लिखती हैं, "एनओएए अमेरिकी लोगों को जलवायु पर बेहद जरूरी रिसर्च प्रदान करती है.” हालांकि कई रूढ़िवादी लोगों को लगता है कि यह एजेंसी जलवायु परिवर्तन पर गैर जरूरी सनसनी फैलाती है.
ट्रंप प्रशासन ने सरकार के जलवायु-संबंधी संसाधनों की फंडिंग में भारी कटौतियां की हैं. इनमें बड़े पैमाने पर छंटनी करने और मौसम और जलवायु पर डेटा देने वाली वेबसाइटों को हटाने का आदेश दिया गया है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, व्हाइट हाउस नासा की एक ब्रांच के बजट में भी कटौती करना चाहता है. इस ब्रांच के तहत सेटेलाइट के जरिए जलवायु परिवर्तन के भयानक प्रभावों पर अध्ययन है और इन बदलावों पर लगातार नजर भी रखी जाती है.