हर साल "अज्ञात स्रोतों" से 550 करोड़ कमाती हैं राजनीतिक पार्टियां
भारत की छह राष्ट्रीय पार्टियों ने 2023-24 में करीब 5,800 करोड़ रुपये कमाए. एक नई रिपोर्ट दिखा रही है कि पार्टियां कमाई के एक मोटे हिस्से के बारे में जानकारी नहीं दे रही हैं. जानिए किस पार्टी ने, कहां से, कितने करोड़ कमाए.
एक साल में 5,800 करोड़ रुपये
भारत की छह राष्ट्रीय पार्टियों ने 2023-24 में कुल 5820.912 करोड़ रुपये कमाए. यह जानकारी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रैटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने इकठ्ठा की है. रिपोर्ट के लिए संस्था ने बीजेपी, कांग्रेस, सीपीएम, बीएसपी, आप और एनपीईपी (नेशनल पीपल्स पार्टी) द्वारा सार्वजनिक की गई जानकारी का अध्ययन किया.
ज्ञात स्रोतों से कितना मिला
रिपोर्ट के मुताबिक इन पार्टियों को ज्ञात स्रोतों (यानी चंदे में) से 2544.278 करोड़ रुपये मिले. इसकी जानकारी पार्टियों ने चुनाव आयोग को दी है. यह उनकी कुल रकम का 43.71 प्रतिशत है.
अन्य ज्ञात स्रोत
चंदे के अलावा पार्टियां सदस्यता शुल्क, बैंक ब्याज, अखबार-पत्रिकाओं की बिक्री, संपत्ति की बिक्री आदि से भी पैसे कमाती हैं. इस माध्यम से 2023-24 में इन पार्टियों ने 553.12 करोड़ रुपये कमाए. यह उनकी कुल कमाई का 9.502 प्रतिशत है. इसके अलावा पार्टियों ने चुनावी बॉन्ड से 2524.136 करोड़ कमाए, जो उनकी कमाई का 43.363 प्रतिशत है.
अज्ञात स्रोतों से कमाई
इन छह पार्टियों ने बताया है कि उन्होंने 199.6383 करोड़ रुपये अज्ञात स्रोतों से कमाए हैं. यह उनकी कुल कमाई का 3.425 प्रतिशत है. एडीआर के विश्लेषण के मुताबिक, अगर 2004-05 से 2023-24 तक के आंकड़े देखें, तो इस अवधि में इन सभी पार्टियों ने मिल कर 10,753.09 करोड़ रुपये अज्ञात स्रोतों से कमाए. यानी औसत हर साल 550 करोड़ से भी ज्यादा.
कैसे अज्ञात स्रोत
एडीआर के मुताबिक अज्ञात स्रोत से मिली आय कमाई के उस हिस्से को कहते हैं जो पार्टियों को 20,000 रुपयों से कम के चंदे में मिली. इसमें 'कूपनों की बिक्री', 'राहत कोष', 'अन्य आय' आदि से मिली रकम शामिल होती है.
कोई दूध का धुला नहीं
अज्ञात स्रोतों से कमाई सभी पार्टियां कर रही हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 2023-24 में अज्ञात स्रोतों से सबसे ज्यादा कमाई घोषित करने वाली पार्टी सीपीएम रही, जिसने करीब 82 करोड़ रुपये कमाए. कांग्रेस ने करीब 78 करोड़, बीजेपी ने करीब 37 करोड़, आप ने 93 लाख और एनपीईपी ने 2.8 लाख रुपये कमाए.
बीएसपी का अलग मामला
बीएसपी का कहना है कि उसकी अज्ञात स्रोतों से जरा भी कमाई नहीं हुई. उसने प्रतिभूतियों पर ब्याज से 5,000 करोड़, बैंक ब्याज से करीब 38 करोड़ और सदस्यता शुल्क से करीब 26 करोड़ रुपये कमाए.
पूरा हिसाब नहीं देती पार्टियां
एडीआर का कहना है कि 2013 में ही केंद्रीय सूचना आयोग ने आदेश दिया था कि राजनीतिक पार्टियों को सूचना के अधिकार के दायरे में लाया जाए, लेकिन पार्टियों ने अभी तक इस फैसले का पालन नहीं किया है. एडीआर का कहना है कि हर पार्टी को खुद ही अपनी कमाई के एक एक पैसे का हिसाब देना चाहिए.