रूस ने अलास्का 72 लाख डॉलर में अमेरिका को बेचा था
१० अगस्त २०२५उत्तरी अमेरिका के उत्तर-पश्चिमी कोने पर 586,412 वर्ग किलोमीटर में फैला क्षेत्र 1867 में अमेरिका का अलास्का राज्य बना. इससे पहले तक यह रूस का हिस्सा था. रूस ने इसे बेचने के लिए कई बार प्रस्ताव रखा लेकिन यह बातचीत टलती रही. खासतौर से अमेरिका में गृहयुद्ध छिड़ने के बाद तो इस पर बातचीत एक तरह से बंद ही हो गई.
रूस ने क्यों बेचा अलास्का
विशाल समुद्र तटों, पहाड़ों, घने जंगलों और टुंड्रा क्षेत्रों वाला अलास्का कई ग्लेशियरों का घर है. सुदूर पूर्वी हिस्से में मौजूद अलास्का को अपने साथ बनाए रखना तब रूसी शासकों के लिए खर्चीला और मुश्किल साबित हो रहा था. अलास्का रूस के कब्जे में तो था लेकिन रूसी लोगों के वहां बसेरे नहीं थे.
रूसी लोगों की यहां संपत्तियां जरूर थीं. उनकी रक्षा और इलाके में जरूरी चीजों की सप्लाई में रूस को काफी मशक्कत करनी पड़ती थी. यहां के दो प्रमुख स्थानीय समुदायों में एक अलॉयट से रूसी लोगों के ताल्लुकात थे. दूसरा बड़ा समुदाय था ट्लिंगित, जिसके लोग जब-तब रूस के लिए मुश्किलें खड़ी करते रहते थे.
1853 से 1856 तक चले क्रीमिया की जंग में भारी क्षति उठाने के बाद रूसी सम्राट आलेक्सांद्र द्वितीय की हालत बहुत अच्छी नहीं थी. रूस ने तब अपना ध्यान एशिया पर लगाया था और इस इलाके पर ज्यादा संसाधन खर्च करने के पक्ष में नहीं था. इसके अलावा ब्रिटेन की हडसन बे कंपनी से भी उसे कड़ी प्रतिद्वंद्विता मिल रही थी. अलास्का के एक दक्षिणी हिस्से को हडसन बे कंपनी ने लीज पर ले रखा था.
उस वक्त अमेरिका भी 'मैनीफेस्ट डेस्टिनी' नीति पर चल रहा था, जिसके तहत प्रशांत की तरफ के इलाकों पर जोर शोर से अमेरिकी प्रभुत्व को बढ़ाने और अपने साथ मिलाने की कोशिशें हो रही थीं. अलास्का की सीमा कनाडा से भी लगती है. तब अमेरिकी नेताओं को एक दिन कनाडा को भी अपने साथ मिलाने की इच्छा थी. इस इच्छा की गूंज हाल ही में डॉनल्ड ट्रंप की आवाज में भी सुनाई पड़ी थी.
उधर रूस को यह महसूस होने लगा था कि आखिरकार अलास्का अमेरिका के पास ही जाएगा. इन्हीं हालातों में रूसी सम्राट ने अलास्का को अमेरिका के हवाले करने का फैसला किया.
2 सेंट प्रति एकड़ के भाव बिका अलास्का
1966 में जब अमेरिकी गृहयुद्ध थमा तो अलास्का पर रूस और अमेरिका में बातचीत दोबारा शुरू हुई. रूसी सम्राट ने अमेरिका के लिए अपने मंत्री बेरन एडुआर्ड स्टोएकल को इसकी जिम्मेदारी सौंपी. स्टोएकल ने अब्राहम लिंकन और एंड्रयू जॉनसन के दौर में विदेश मंत्री रहे विलियम हेनरी सेवार्ड से इस मसले पर संपर्क किया. सेवार्ड अमेरिकी विस्तारवाद के प्रबल समर्थक थे और लंबे समय से अलास्का को देश में मिलाना चाहते थे.
11 मार्च, 1867 को दोनों तरफ के नेताओं की बातचीत शुरू हुई. कई दौर के मोलभाव के बाद आखिरकार 29 मार्च 1967 को दोनों पक्षों में इस पर सहमति बन गई. अलास्का के बदले रूस को 72 लाख डॉलर यानी 2 सेंट प्रति एकड़ के हिसाब से रकम का भुगतान किया गया. इसके अगले दिन यानी 30 मार्च को इसे खरीदने के समझौते पर रूस और अमेरिका के अधिकारियों ने दस्तखत कर दिए.
अमेरिकी सीनेट में जब यह समझौता मंजूरी के लिए पेश किया गया तो कई सदस्यों ने इस पर आपत्ति जताई. अलास्का के प्राकृतिक संसाधनों को लेकर किए जा रहे दावों पर भी खूब सवाल उठे. हालांकि बहस के बाद 9 अप्रैल को इसे पास कर दिया. संसद में इसके लिए दी जाने वाली रकम पर भी काफी खींचतान हुई.
कई सदस्य राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन के कुछ कदमों से नाराज थे और इस प्रस्ताव का समर्थन करने के पक्ष में नहीं थे. हालांकि आम जनता इसे लेकर काफी उत्साह में थी और आखिरकार संसद से भी इसकी मंजूरी मिल गई. इसी साल 18 अक्टूबर को अमेरिका ने सिटका में झंडे बदल कर आधिकारिक रूप से अलास्का का अधिग्रहण किया.
पुतिन और ट्रंप की अलास्का में मुलाकात
दूसरी बार व्हाइट हाउस में आने के पहले से ही डॉनल्ड ट्रंप यूक्रेन युद्ध रुकवाने की बात कर रहे हैं. उन्होंने तो इसे राष्ट्रपति बनने के 24 घंटे के भीतर बंद कराने की भी बात कही थी. राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने पुतिन से कई बार टेलिफोन पर बातचीत की है.हालांकि कई महीने बीत जाने के बाद भी युद्ध नहीं रुका और ऐसे में जब दोनों के बीच सीधी मुलाकात की बात तय हुई तो यह कयास लगने लगे कि यह मुलाकात होगी कहां?
बातचीत के संभावित ठिकानों में संयुक्त अरब अमीरात से लेकर, इस्तांबुल और भारत तक की चर्चा हुई थी. हालांकि आखिर में अलास्का का नाम आया और तुरंत ही इस पर सहमति बन गई. पुतिन ने इस जगह को बातचीत के लिए "बिल्कुल तार्किक" बताया है. शुक्रवार 15 अगस्त को यूक्रेन युद्ध रोकने पर बातचीत के लिए डॉनल्ड ट्रंप और पुतिन अलास्का में मिलेंगे.