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राजनीतिसंयुक्त राज्य अमेरिका

क्या है 'यूएसएड' जिसके बंद होने से भारत को हो सकता है नुकसान

५ फ़रवरी २०२५

अमेरिकी एजेंसी 'यूएसएड' दुनिया भर के देशों को आर्थिक मदद मुहैया कराने वाली दुनिया की सबसे बड़ी संस्था है. भारत समेत दुनिया के कई देशों को इससे आर्थिक मदद मिलती है. लेकिन डॉनल्ड ट्रंप ने इसे बंद करने का ऐलान कर दिया है.

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यूएसएड की तस्वीर
यूएसएड एक एजेंसी है जिसे जरूरतमंद देशों को आर्थिक मदद मुहैया कराने के मकसद से बनाया गया थातस्वीर: Celal Gunes/AA/picture alliance

अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कार्यभार संभालते ही कई ऐसे फैसले लिए जिनसे न सिर्फ उनके पड़ोसी देश बल्कि दुनिया के कई देशों को नुकसान झेलना पड़ा. ऐसा ही एक फैसला अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएआईडी) को बंद करना भी था. डॉनल्ड ट्रंप ने इस संस्था को बंद करके इसे विदेश मंत्रालय में शामिल करने का आदेश दे दिया है. इस ऐलान के साथ दुनिया भर में इस संस्था के लिए काम करने वाले कर्मचारियों को प्रशासनिक अवकाश पर भेज दिया गया है. संस्था की वेबसाइट पर इस आदेश की जानकारी दी गई है.

एक कैंप में बैढी महिलाएं
डॉनल्ड ट्रंप ने यूएसएड को बंद करके इसे विदेश मंत्रालय में शामिल करने का आदेश दिया हैतस्वीर: Clarens Siffroy/AFP/Getty Images

क्या है 'यूएसएड'

यूएसएड एक एजेंसी है जिसे 1961 में जरूरतमंद देशों को आर्थिक मदद मुहैया कराने के मकसद से बनाया गया था. यह संस्था सालाना अरबों डॉलर की मदद दुनिया भर के देशों तक पहुंचाती है. लेकिन डॉनल्ड ट्रंप ने कार्यभार संभालते ही एक आदेश पर हस्ताक्षर करके यूएसएड पर 90 दिनों के लिए रोक लगा दी थी. अब इसे बंद करके, मदद तय करने की जिम्मेदारी सीधे विदेश मंत्रालय को सौंपी जाएगी. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने पत्रकारों को इसकी जानकारी दी.

40 अरब डॉलर के सालाना बजट वाले यूएसएड के जरिए अमेरिका नेपाल, इस्राएल, मिस्र, यूक्रेन, सूडान, बोत्स्वाना, कांगो, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और नाइजीरिया समेत कई देशों को आर्थिक मदद पहुंचाता है. अमेरिकी राष्ट्रपति के इस फैसले के बाद इन देशों में चल रहे स्वास्थ्य और पोषण से जुड़े कार्यक्रमों को जरूर नुकसान पहुंचेगा.

एक गोदाम में रखी बोरियां और उन्हें देखते एक महिला और पुरुष
यूएसएड के जरिए भारत समेत कई देशों को आर्थिक मदद महैया कराई जाती हैतस्वीर: Tsvangirayi Mukwazhi/AP Photo/picture alliance

भारत में इस संस्था के जरिए शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और सफाई जैसे कई क्षेत्रों को मदद पहुंचाई जाती है. संस्था की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार भारत में तमाम विश्वविद्यालयों समेत कई इंजीनियरिंग कॉलेज इसी फंडिंग की मदद से बनाए गए हैं. कोरोना काल के दौरान भारत को इस संस्था से बड़ी मात्रा में सहायता मिली थी. अमेरिका द्वारा विदेशों को दी जानी वाले सहायता के लिए बनाए गए पोर्टल पर मौजूद जानकारी के अनुसार 2024 में भारत को 14 करोड़ (12 अरब रुपये) डॉलर की सहायता मिली. 2023 में यह 15 करोड़ डॉलर जबकि 2021 में 31 करोड़ डॉलर थी. यूएसएड से मिलने वाली सहायता बंद होने से भारत में स्वास्थ्य और पोषण से जुड़े कार्यक्रमों पर असर पड़ सकता है.

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क्या होगा असर

नेपाल में इस संस्था की मदद से राष्ट्रीय विटामिन ए कार्यक्रम (एनवीएपी) चलाया जाता है, जिसके तहत स्वास्थ्यकर्ता करीब 30 लाख से ज्यादा बच्चों को विटामिन ए के कैप्सूल मुहैया कराते हैं. अमेरिका 1990 के दशक से इस अभियान में हिस्सेदार रहा है और ऐसा अनुमान है कि इसकी मदद से पांच साल के कम आयु के करीब 45,000 बच्चों की जान बचाई जा सकी है.

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विटामिन ए की कमी अंधेपन के साथ-साथ खसरा, मलेरिया और दस्त जैसी बीमारियां भी दे सकती है. इसके अलावा सीरिया में शरणार्थियों को दी जाने वाली सहायता, यूक्रेन और सूडान में मिलने वाली सहायताएं भी प्रभावित होंगी.

डॉनल्ड ट्रंप के साथ इलॉन मस्क
इलॉन मस्क ने यूएसएड में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थेतस्वीर: Brandon Bell/Getty Images/AP/picture alliance

आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति पद संभालने से पहले ही डॉनल्ड ट्रंप ने यह साफ कह दिया था कि वो 'अमेरिका फर्स्ट' की नीति के तहत भविष्य में केवल उन्हीं परियोजनाओं पर ध्यान देंगे जिससे अमेरिका और वहां के लोगों का हित हो. ट्रंप के अलावा एक्स के मालिक इलॉन मस्क भी यूएसएड को बंद करने के पक्ष में थे. मस्क ने इस संस्था को "कट्टर वामपंथियों" का गढ़ बताया था और इसे बंद करने की जिम्मेदारी ली थी.

मस्क ने संस्था में मौजूद लोगों पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और आर्थिक गड़बड़ियां करने के आरोप लगाए थे. कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) के आंकड़ों के अनुसार संस्था में 10,000 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं, जिनमें से लगभग दो तिहाई 60 से ज्यादा देशों में सेवाएं दे रहे हैं.

एवाई/वीके (रॉयटर्स/एपी/एएफपी)