वो हथियार जिसके लिए भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों की भी परवाह नहीं की
भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे ताजा सैन्य तनाव के बीच दावा किया जा रहा है कि भारत द्वारा रूस से खरीदा हुआ एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम एक बड़ी भूमिका निभा रहा है. जानिए क्या करता है ये सिस्टम और इसकी क्या अहमियत है.
क्या करता है एयर डिफेंस
एयर डिफेंस सिस्टमों का काम होता है आसमान से आ रहे किसी भी मिसाइल, ड्रोन, दुश्मन के विमान आदि को मार गिराना. इस तरह के सिस्टमों में अमूमन राडार, कंट्रोल सेंटर और मिसाइलें होती हैं. भारत के पास कई तरह के एयर डिफेंस सिस्टम हैं.
भारत के पास कई एयर डिफेंस सिस्टम
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के पास रूस का 'एस-400 ट्रायंफ', इस्राएल का 'स्पाइडर', इस्राएल का साथ मिल कर बनाया गया 'बराक-आठ एमआर-एसएएम', भारत का अपना 'आकाश' और कुछ और कम रेंज के एयर डिफेंस सिस्टम हैं.
रूस का एस-400 सबसे अहम
इनमें से सबसे ज्यादा रेंज (300 किलोमीटर से ज्यादा) रूसी 'एस-400 ट्रायंफ' सिस्टम की है. यह सतह से हवा (सरफेस टू एयर) में मिसाइल दागने वाला मोबाइल सिस्टम है. इसे रूस ने 1990 के दशक में बनाया था. हालांकि इसे रूसी सेना में शामिल होने में उसके बाद कई साल लग गए.
40,000 करोड़ रुपयों का सिस्टम
2018 में भारत ने रूस से करीब 40,000 करोड़ रुपयों में इसकी पांच टुकड़ियां खरीदीं. माना जाता है कि तीन टुकड़ियां भारत को मिल चुकी हैं और दो और मिलनी बाकी हैं. आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह इस समय दुनिया का सबसे अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम है और इसी तरह के पश्चिमी सिस्टमों से आधे दाम पर मिलता है.
एक बार में 36 टारगेट
सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज के मुताबिक यह 400 किलोमीटर की दूरी तक एक ही बार में 36 टारगेट गिरा सकता है. यह क्रूज और बैलिस्टिक दोनों तरह की मिसाइलों, विमान और 3,500 किलोमीटर तक की रेंज और 4.8 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से उड़ने वाले ड्रोनों को गिरा सकता है.
पांच मिनट में किया जा सकता है तैनात
वेबसाइट दजियोस्ट्राटा डॉट कॉम के मुताबिक इसे पांच मिनट में तैनात किया जा सकता और यह आसमान में 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक हमला कर सकता है. इसमें एक मोबाइल कमांड पोस्ट गाड़ी भी है जिसमें निगरानी और डाटा प्रोसेसिंग के लिए आधुनिक एलसीडी कंसोल भी लगे हैं.
अमेरिका रोकता है इसकी बिक्री
कई समीक्षक इसे अमेरिका के 'थाड़' डिफेंस सिस्टम से भी ज्यादा प्रभावशाली मानते हैं. अमेरिका रूस से इसे खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध लगा देता है. उसने भारत पर भी प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी, लेकिन भारत पीछे नहीं हटा. अमेरिका ने आज तक इसे लेकर भारत पर प्रतिबंध नहीं लगाए हैं.