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क्या है अमेरिका और यूक्रेन के बीच हुआ खनिज समझौता

ओंकार सिंह जनौटी रॉयटर्स, एएफपी
१ मई २०२५

खनिज समझौते को लेकर अमेरिका और यूक्रेन के दावों में अंतर दिख रहा है. रूसी अधिकारी क्यों इस डील को यूक्रेन की मजबूरी करार दे रहे हैं?

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USA | Vertragsunterzeichnung Scott Bessent und Julia Swyrydenko
तस्वीर: U.S. Department of the Treasury/REUTERS

अमेरिकी और यूक्रेनी अधिकारियों ने 30 अप्रैल 2025 को वॉशिंगटन में खनिज डील पर हस्ताक्षर किए. महीनों चले मोल-भाव के बाद बुधवार को भी 11 घंटे की माथापच्ची हुई. उसके बाद हुई इस डील के मुताबिक, यूक्रेन के खनिजों पर अमेरिका को तरजीह दी जाएगी.

इन खनिजों से होने वाली आय का एक हिस्सा यूक्रेन के पुर्ननिर्माण के लिए बनाए जाने वाले एक साझा कोष में जाएगा. फरवरी 2022 से रूसी आक्रमण का सामना कर रहे यूक्रेन को जंग में काफी नुकसान हो चुका है.

सोशल नेटवर्किंग साइट 'एक्स' पर, यूएस ट्रेजरी विभाग ने अमेरिकी ट्रेजरी मंत्री स्कॉट बेसेंट और यूक्रेन की उप प्रधानमंत्री यूलिया स्विरिडेंको की डील साइन करते हुए फोटो शेयर की. फोटो के साथ लिखे टेक्स्ट में कहा गया, "एक आजाद, संप्रभु और समृद्ध यूक्रेन के लिए ट्रंप प्रशासन की वचनबद्धता का एक साफ संकेत."

वॉशिंगटन में खनिज डील साइन करते अमेरिकी और यूक्रेनी नेता
वॉशिंगटन में खनिज डील साइन करते अमेरिकी वित्त मंत्री और यूक्रेनी उप प्रधानमंत्रीतस्वीर: US Treasury Departement/dpa/picture alliance

यूक्रेन और अमेरिकी दावों में अंतर

स्विरिडेंको ने 'एक्स' पर लिखा कि संधि के तहत वॉशिंगटन फंड में योगदान देगा. यूक्रेनी उप प्रधानमंत्री के मुताबिक, समझौते से यूक्रेन को नई मदद भी मिलेगी, जैसे नया एयर डिफेंस सिस्टम. अमेरिका ने इस मुद्दे पर स्पष्ट शब्दों में कुछ नहीं कहा है. अमेरिकी अधिकारियों ने समझौते से जुड़ी अहम शर्तें भी साझा नहीं की हैं.

जबकि यूक्रेनी पक्ष का कहना है कि समझौते के तहत, यूक्रेन को यह तय करने का अधिकार होगा कि क्या और कहां खोदा जाना चाहिए. कीव का दावा है कि सतह के नीचे की मिट्टी पर यूक्रेन का मालिकाना हक होगा.

समाचार एजेंसियों और अमेरिकी मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक, इस डील में यूक्रेन की सुरक्षा के प्रति अमेरिका की गारंटी का सटीक जिक्र नहीं है. कीव शुरुआत से इसी बिंदु पर जोर देता आ रहा था.

वैटिकन में पोप फ्रांसिस की अंतिम यात्रा के दौरान ट्रंप और जेलेंस्की की मुलाकात
जेलेंस्की के साथ बातचीत में लगातार खनिज समझौते पर जोर देते रहे ट्रंपतस्वीर: Ukrainian Presidential Press Service/Handout via REUTERS

'समझौता गायब होते देश की मजबूरी'

रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेद्वेदेव ने इस खनिज समझौते को यूक्रेन की मजबूरी करार दिया है. पुतिन के करीबी और रूसी सुरक्षा अधिकारी मेद्वेदेव ने गुरुवार (1 मई) को कहा कि यूक्रेन और अमेरिका के बीच हुई खनिज डील का मतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने आखिरकार कीव को अमेरिकी मदद के लिए भुगतान करने पर बाध्य कर दिया है.

रूस के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री रह चुके मेद्वेदेव ने मैसेजिंग एप टेलीग्राम पर लिखा, "अब उन्हें एक गायब होते देश की राष्ट्रीय संपत्ति से सैन्य आपूर्ति के लिए भुगतान करना होगा."

अमेरिका और यूक्रेन के बीच हुए समझौते पर रूस की सरकार ने अब तक आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है. हालांकि, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कुछ समय पहले इस डील पर रूस की तरफ से कोई आपत्ति न होने का दावा कर चुके हैं.

2008 में व्लादिमीर पुतिन के साथ दिमित्री मेद्वेदेव
मेद्वेदेव (बाएं) ने समझौते पर कटाक्ष कियातस्वीर: Klimentyev Mikhail/ITAR-TASS/dpa/picture alliance

यूक्रेन की जमीन में क्या-क्या दबा है?

यूक्रेन में रेयर अर्थ समेत कई अहम खनिज और प्राकृतिक संसाधन हैं. अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे का मानना है कि 50 खनिज क्रिटिकल मिनरल्स हैं. इनमें निकेल और लीथियम जैसे रेयर अर्थ भी शामिल हैं.

आधुनिक रक्षा विज्ञान, हाई टेक उपकरणों, एयरोस्पेस और ग्रीन ऊर्जा के क्षेत्र में इन खनिजों के इस्तेमाल के बिना आगे बढ़ना असंभव है. यूरोपीय अनुसंधानों के मुताबिक, इनमें से 22 खनिजों का भंडार यूक्रेन की जमीन में है.

यूक्रेनी इंस्टिट्यूट ऑफ जियोलॉजी का दावा है कि उनके देश में लैंथेनम, सेरियम, इरबियम, यिट्रियम का भंडार है. यूरोपीय रिसर्च प्रोजेक्ट के मुताबिक वहां स्कैंडियम का भी रिजर्व है. 'वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम' का कहना है कि यूक्रेन लीथियम, बेरिलियम, मैग्नीज, गैलियम, जिरकोनियम, ग्रेफाइट, फ्लूओराइट और निकेल का संभावित सप्लायर बन सकता है. कुछ भूगर्भीय सर्वेक्षणों की रिपोर्टों का दावा है कि यूक्रेन में ही यूरोप का सबसे बड़ा लीथियम भंडार भी है. अनुमान के मुताबिक, वहां पांच लाख मीट्रिक टन लीथियम है.

फिलहाल यूक्रेन, रेयर अर्थ खनिजों का कोई व्यावसायिक इस्तेमाल नहीं करता है. वैश्विक स्तर पर चीन रेयर अर्थ का सबसे बड़ा सप्लायर है. पश्चिमी देश बीजिंग पर आरोप लगाते हैं कि वह रेयर अर्थ की सप्लाई को राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करता है. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के टैरिफ युद्ध के जबाव में चीन, अमेरिका को कई अहम खनिजों की सप्लाई बैन कर चुका है.

कीव सरकार को उम्मीद है कि 2033 तक उसके खनिज खनन सेक्टर में 12 से 15 अरब डॉलर का निवेश होगा. हालांकि, यूक्रेन के एक थिंक टैंक का दावा है कि देश के धातु भंडार का 40 फीसदी हिस्सा रूस के नियंत्रण में जा चुका है.

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