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नाटो का नया 5% रक्षा खर्च बजट क्या है?

निखिल रंजन रॉयटर्स
२४ जून २०२५

नाटो के नेता नीदरलैंड्स के द हेग में हो रही बैठक में एक नये बजट को मंजूरी देने की तैयारी में है. यह वो बजट है जिसकी मांग अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने की है.

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 नाटो की बैठक में यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला फॉन डेयर लाएन
नाटो के सम्मेलन में इस बार नए बजट को मंजूरी मिलने के आसार हैंतस्वीर: John Thys/AFP/Getty Images

बुधवार को जब नाटो की बैठक में इन देशों के नेता शामिल होंगे तो इस बात के प्रबल आसार हैं कि वो नए बजट को मंजूरी देंगे. इस बजट के मुताबिक सदस्य अपनी जीडीपी का 5 फीसदी रक्षा और उससे जुड़ी दूसरी चीजों में निवेश करेंगे.

नाटो के बजट में यह बहुत बड़ी वृद्धि होगी क्योंकि मौजूदा लक्ष्य महज 2 फीसदी की है. इसकी मंजूरी 2014 में वेल्स में हुए सम्मेलन में दी गई थी. हालांकि इस बार लक्ष्य को मापने का तरीका पहले से थोड़ा अलग होगा. नाटो के सदस्य देशों से उम्मीद की जा रही है कि वो जीडीपी का 3.5 फीसदी रक्षा के मुख्य हिस्से यानी हथियार और सेना पर खर्च करें. फिलहाल यह खर्च मौजूदा 2 फीसदी के लक्ष्य से पूरा किया जा रहा है.

इसके अलावा सदस्य देश जीडीपी का 1.5 फीसदी ब्रॉडर डिफेंस और रक्षा से जुड़े निवेशों पर खर्च करेंगे. इसमें सड़कों, पुलों और बंदरगाहों को इस तरह से बेहतर बनाना है कि उनका इस्तेमाल सैन्य वाहनों के लिए किया जा सके, इसके साथ ही साइबर सिक्योरिटी और ऊर्जा की पाइपलाइनों की सुरक्षा भी इसमें शामिल है.

नाटो की बैठक में शामिल होन के लिए रवाना होने से पहले पत्रकारों से बात करते डॉनल्ड ट्रंप
डॉनल्ड ट्रंप समेत नाटो के नेता नीदरलैंड्स के द हेग में होने वाली बैठक के लिए पहुंच रहे हैंतस्वीर: Mandel Ngan/AFP/Getty Images

नाटो के सदस्य देशों के लिए कितनी ऊंची उछाल

कई देशों के लिए खर्च में यह इजाफा बहुत बड़ा है. 32 देशों के इस संगठन में केवल 22 देश ही रक्षा पर पिछले साल अपनी जीडीपी का 2 फीसदी या उससे ज्यादा खर्च कर पाए थे.

कुल मिला कर इस सैन्य संगठन के सदस्यों ने नाटो देशों की जीडीपी का 2.61 फीसदी रक्षा जरूरतों पर खर्च किया था. हालांकि यह आंकड़ा उस बड़े अंतर को छिपा देता है जो सदस्य देशों के खर्चे में है. मिसाल के तौर पर पोलैंड ने रक्षा पर अपनी जीडीपी का 4 फीसदी खर्च किया और वह सबसे अधिक खर्च करने वाला देश है. दूसरी तरफ स्पेन भी है जिसने महज 1.3 फीसदी ही खर्च किया. कुछ देश इतने बड़े खर्च के लिए तैयार नहीं हैं.

नाटो देशों से उम्मीद की जा रही है कि वे अपने लक्ष्य तक 2035 में पहुंच जाएंगे. इन लक्ष्यों की समीक्षा 2029 में होगी और फिर उस वक्त इसमें थोड़ा फेरबदल भी किया जा सकता है.

लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कितना पैसा अतिरिक्त खर्च होगा

यह बताना मुश्किल है कि नाटो के सदस्य देशों को इस लक्ष्य तक पहुंचे के लिए कितना अतिरिक्त पैसा खर्च करना होगा. यह आने वाले वर्षों में देशों की अर्थव्यवस्था पर निर्भर करेगा. इसके साथ ही यह भी अहम है कि नाटो फिलहाल खर्च को सुरक्षा और सुरक्षा से जुड़े निवेशों में अलग करके नहीं देखता है. फिलहाल इसका कोई पैमाना भी नहीं है.

द हेग में नाटो की बैटक के लिए लगे बैनर
नाटो के सम्मेलन में इस बार नए बजट को मंजूरी मिलने के आसार हैंतस्वीर: Beata Zawrzel/ZUMA/IMAGO

हालांकि 2024 में नाटो देशों ने 1.3 ट्रिलियन (हजार अरब) अमेरिकी डॉलर रक्षा पर खर्च किए. 2021 की कीमतों के आधार पर एक दशक पहले के खर्च की तुलना में यह करीब 1 ट्रिलियन ज्यादा है. अगर नाटो के सभी देशों ने जीडीपी का 3.5 फीसदी पिछले साल खर्च किया होता तो यह करीब 1.75 ट्रिलियन होता.

इसका मतलब है कि नए लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए इन देशों को मौजूदा खर्चों की तुलना में हर साल सैकड़ों अरब डॉलर ज्यादा खर्च करने होंगे.

नाटो के सदस्य इस वक्त रक्षा खर्च क्यों बढ़ा रहे हैं?

यूक्रेन में जारी रूसी जंग की वजह से यूरोप में रूस को लेकर भविष्य की चिंता है. इसके साथ ही अमेरिका के कई यूरोपीय देशों पर दबाव की वजह से रक्षा में निवेश बढ़ाने और आने वाले सालों में इसे और आगे ले जाने की योजना बनी है. 

नाटो के महासचिव मार्क रुते ने इसी महीने कहा, "रूस अपनी सैन्य ताकत का इस्तेमाल नाटो के खिलाफ करने के लिए पांच साल में तैयार हो सकता है."

नाटो के सम्मेलन में शामिल होने आए यूक्रेनी राष्ट्रपति और दूसरे नेता
यूक्रेन में जारी रूसी जंग की वजह से यूरोपीय देश अपने भविष्य के लिए चिंतित हैंतस्वीर: Nicolas Tucat/AFP/Getty Images

यूरोप इस आशंका के लिए भी खुद को तैयार कर रहा है कि डॉनल्ड ट्रंप के शासन में अमेरिका अपने कुछ सैनिकों और हथियारों को यूरोप से बाहर ले जा सकता है. अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने इसी महीने कहा था, "अमेरिका हर वक्त हर जगह नहीं हो सकता, ना ही हमें ऐसा होना चाहिए." हालांकि अमेरिका ने भरोसा दिलाय है कि वह नाटो से बाहर नहीं होगा. 

कहां खर्च होगा नाटो का नया बजट

नाटो में अपने सदस्य देशों की नई क्षमता पर सहमति बन गई है. इनमें सैनिकों, सैन्य टुकड़ियों, हथियार और उपकरणों को लेकर मोटे तौर पर एक सहमति गई है कि उनके पास अपनी और गठबंधन की रक्षा के लिए क्या होना चाहिए.

ये लक्ष्य गोपनीय हैं लेकिन रुते का कहना है कि गठबंधन ने कई क्षेत्रों में निवेश को मंजूरी दी है जिनमें, "एयर डिफेंस, लड़ाकू विमान, टैंक, ड्रोन, सैनिक और लॉजिस्टिक समेत कई चीजें शामिल हैं."

रक्षा खर्चों को लेकर कुछ देश पूरी तरह सहमत नहीं हैं. स्पेन जैसे कुछ देश इतना खर्च करने के लिए तैयार नहीं हैं. स्पेन के प्रधानमंत्री का कहना है कि वह कम खर्च करके भी सैन्य क्षमता के लक्ष्यों तक पहुंच सकते हैं. ऐसे में पूर्ण सहमति कैसे बनती है यह कहना मुश्किल है. सम्मेलन में शायद कोई इसका रास्ता निकले.

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इतना पैसा आएगा कहां से?

नाटो का सदस्य हरेक देश यह खुद तय करेगा कि रक्षा पर निवेश के लिए पैसा कहां से आएगा और उसे कैसे खर्च किया जाएगा. यूरोपीय संघ ने इसे आसान बनाने के लिए कुछ उपाय किए हैं. यूरोपीय संघ सदस्य देशों को अपना रक्षा खर्च जीडीपी के डेढ़ फीसदी तक बढ़ाने की अनुमति दे रहा है. ये देश चार साल तक बिना कोई अनुशासनात्मक कदम उठाए यह खर्च कर सकते हैं. आमतौर पर अनुशासनात्मक कदम तब उठाए जाते हैं जब किसी देश का राष्ट्रीय घाटा जीडीपी के 3 फीसदी से ऊपर चला जाता है.

यूरोपीय संघ के मंत्रियों ने पिछले महीने 150 अरब यूरो का आर्म्स फंड बनाने की मंजूरी दी है. इसके लिए यूरोपीय संघ से संयुक्त कर्ज ले कर यूरोपीय देशों को संयुक्त रक्षा परियोजनाओं के लिए कर्ज दिया जाएगा. कुछ यूरोपीय देश चाहते हैं कि यूरोपीय संघ कर्ज की बजाय रक्षा खर्च के लिए सीधे धन दे दे. हालांकि मुद्रा के मामले में रुढ़िवादी सोच रखने वाले जर्मनी और नीदरलैंड्स जैसे देश इसका विरोध कर रहे हैं.

दूसरे देशों के रक्षा बजट की तुलना में कहां है नाटो देशों का लक्ष्य

नाटो में शामिल देश अपने आर्थिक उत्पादन का बहुत छोटा हिस्सा ही रक्षा पर खर्च करके हैं. खासतौर से रूस के तुलना में हालांकि संयुक्त रूप से यह रकम रूस की तुलना में बहुत बड़ी हो जाती है.

रूस ने अपना रक्षा खर्च 2024 में 38 फीसदी बढ़ा कर इसे अनुमानित रूप से 149 अरब डॉलर तक पहुंचा दिया. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट के मुताबिक यह उसकी जीडीपी का 7.1 फीसदी है.

दुनिया भर में सबसे ज्यादा पैसा रक्षा पर खर्च करने वालों में चीन दूसरे नंबर पर है. पिछले साल उसने अपनी जीडीपी का करीब 1.7 फीसदी रक्षा पर खर्च किया.

नाटो के सदस्य देशों का रक्षा पर खर्च उनकी राष्ट्रीय बजट का एक बहुत छोटा हिस्सा है. कुल बजट का 3.2 फीसदी इटली में फ्रांस में 3.6 और पोलेंड में 8.5 फीसदी रक्षा पर 2023 में खर्च किया गया. दूसरी तरफ रूस ने उस साल सरकारी खर्च का करीब 19 फीसदी केवल रक्षा पर खर्च किया था.