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गूगल, चैटजीपीटी की नींद उड़ाने वाला 'डीपसीक' क्या है

२८ जनवरी २०२५

ब्रिटेन, अमेरिका समेत यूरोप के कई देशों में 'डीपसीक' जनवरी में एप्पल प्ले स्टोर पर फ्री ऐप कैटेगरी में सबसे ज्यादा डाउनलोड होने वाला ऐप बन गया है.

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मोबाइल फोन पर दिखाई देता डीपसीक ऐप
डीपसीक एक एआई चैटबॉट है, जिससे आप कोई भी सवाल पूछ सकते हैं.तस्वीर: CFOTO/picture alliance

अगर कोई एआई इंसानों की तरह सोचने लग जाए तब क्या होगा? दरअसल इसी सोच के साथ इन दिनों सुर्खियां बटोर रहे एआई चैटबॉट डीपसीक का निर्माण किया गया था.

चैटजीपीटी की तरह डीपसीक एक एआई चैटबॉट है, जिससे आप कोई भी सवाल पूछ सकते हैं. इसे चीन के हांगझो प्रांत की एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी ने बनाया है. ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने इसकी तारीफ करते हुए इसे एक 'प्रभावशाली मॉडल' बताया है.
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एप्पल एप स्टोर पर दिखाई देता डीपसीक ऐप
डीपसीक के निर्माताओं का दावा है कि इसे बनाने में महज 60 लाख डॉलर खर्च हुए हैं.तस्वीर: Christoph Dernbach/dpa/picture alliance

अमेरिका समेत दुनिया भर की टेक कंपनियों को 27 जनवरी को हुआ भारी नुकसान इसके चर्चा में आने की प्रमुख वजहों में से एक बना. चिप बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक एनवीडिया को इसकी वजह से 593 अरब डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा. अमेरिका के इतिहास में ये किसी कंपनी की मार्केट वैल्यू में एक दिन में दर्ज की गई सबसे बड़ी गिरावट है.

कंपनी की लोकप्रियता ने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को भी हैरान कर दिया. शेयर बाजार में हुए उथल-पुथल के बाद ट्रंप ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "अमेरिका की दिग्गज टेक कंपनियों को अब सचेत हो जाना चाहिए और ऐसी चुनौतियों से लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए."

खर्चा बस 60 लाख डॉलर

डीपसीक की लोकप्रियता की एक और वजह इसे बनाने में लगा कम खर्च भी है. चैटजीपीटी जैसे दूसरे एआई मॉडल्स को बनाने में जहां अरबों डॉलर खर्च हुए हैं, वहीं डीपसीक को बनाने में महज 60 लाख डॉलर का खर्च आया है. एक रिपोर्ट के अनुसार 10 जनवरी को कंपनी ने डीपसीक के जिस वी3 मॉडल को लॉन्च किया, उसे ट्रेन करने के लिए इस्तेमाल किए गए एनवीडिया के कम क्षमता वाले एच800 चिप की कीमत 60 लाख डॉलर से भी कम थी.

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महज दो महीने में तैयार किया गया यह मॉडल एक ऐसी आंतरिक संरचना का उपयोग करता है, जिससे ना सिर्फ इसे कम मेमोरी की जरूरत पड़ती है बल्कि इसे चलाने का खर्च भी कम हो जाता है.

मालिक कौन है

डीपसीक के बारे में अभी कम ही जानकारी मौजूद है. रिकॉर्ड्स के अनुसार इसकी शुरुआत लियांग वेनफेंग ने की थी, जो हाई-फ्लायर नाम की एक बड़ी निवेश कंपनी के मालिक हैं. उन्होंने हांगझो की झेजियांग यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. चीन के एक निवेश फर्म को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि सालों तक उन्होंने बस यह पता लगाया कि अलग-अलग क्षेत्रों में एआई को कैसे लागू किया जा सकता है.

मोबाइल फोन पर दिखाई देता ओपनएआई का लोगो
एआई को चलाने के लिए डेटा सेंटर बड़ी मात्रा में बिजली और पानी खर्च करते हैं.तस्वीर: Rafael Henrique/SOPA/IMAGO

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दूसरे एआई की तरह डीपसीक भी सारे सवालों के जवाब नहीं देता है. यह राजनीति और खासकर चीन से जुड़े संवेदनशील मुद्दों पर जवाब नहीं देता है. समाचार एजेंसी एएफपी की टीम ने जब इससे अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बारे में बताने को कहा तो उसने उनकी नीतियों के बारे में विस्तार से बताने के साथ लोकतंत्र को कमजोर करने के उनके प्रयासों की आलोचना भी की लेकिन जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बारे में उससे पूछा गया तो उसने कोई जवाब नहीं दिया.

डीपसीक का भविष्य

डीपसीक की लोकप्रियता ने उन दावों को खारिज कर दिया है, जिसमें एआई के विकास के लिए ढेर सारा पैसा और संसाधन खर्च करने की बात कही जा रही थी. अमेरिकी ऊर्जा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 2023 में डाटा सेंटर्स ने अमेरिकी में खर्च होने वाली कुल बिजली का लगभग 4.4 फीसदी हिस्सा इस्तेमाल किया था, जिसके 2028 तक 12 फीसदी पहुंचने की उम्मीद है.

क्या एआई से हो सकती हैं गलतियां?

यूनिवर्सिटी ऑफ वेलिंगटन में एआई के सीनियर लेक्चरर एंड्रयू लेन्सन कहते हैं, "एआई को चलाने के लिए बनाए जाने वाले डेटा सेंटर बड़ी मात्रा में पानी और बिजली इस्तेमाल करते हैं. साथ ही डेटा सेंटर के निर्माण में स्टील और कार्बन का खूब इस्तेमाल होता है. अगर डीपसीक ओपनएआई जैसे मॉडल की जगह ले लेगा तो निश्चित रूप से ऊर्जा की कम खपत होगी." 

एवाई/एनआर (रॉयटर्स/एएफपी)