पुरानी कारों को लेकर दूसरे देशों में क्या हैं नियम
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में एंड ऑफ लाइफ व्हीकल पर रोक लगाकर कार मालिकों को राहत दी. कोर्ट ने दिल्ली में पुरानी गाड़ियों के मालिकों के खिलाफ सख्ती पर फिलहाल रोक लगा दी. जानिए, दूसरे देशों में क्या हैं नियम.
दिल्ली-एनसीआर के लिए क्या थे नियम
जुलाई 2025 में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने नो फ्यूल फॉर ओल्ड व्हीकल पॉलिसी का एलान किया था. सरकार ने 1 जुलाई, 2025 से 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल और 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों को ईंधन नहीं देने का फैसला किया. इसका उद्देश्य वायु प्रदूषण को कम करना था. लोगों के विरोध के बाद इस नीति पर रोक लगा दी गई.
अलग-अलग देशों में अलग-अलग नियम
कारों की उम्र को लेकर अलग-अलग देशों के अपने नियम हैं. कार कितनी पुरानी है और वह सड़क पर चलने लायक है या नहीं उसकी फिटनेस तय होने के बाद वह सड़क पर फर्राटा भर सकती है. रखरखाव के आधार पर यह अवधि बढ़ भी सकती है.
जापान
जापान टोयोटा, निसान, सुजुकी और होंडा जैसी कारों को बनाता है और उसकी कारें दुनिया भर में बिकती है. जापान में कारों की औसत उम्र आठ से नौ साल है. अच्छे रखरखाव के साथ वहां के लोग अपनी कार को 13 से 15 साल तक चला सकते हैं. यहां कारों को कचरे में डालने से पहले उसकी स्थिति की जांच की जाती है.
अमेरिका
अमेरिका में पुरानी गाड़ियों के लिए अलग से कोई संघीय कानून नहीं है. इस मामले में पर्यावरण से जुड़े नियमों और राज्यों के नियमों के आधार पर कार्रवाई होती है. कुछ राज्यों में यहां साल में दो बार और कुछ में एक बार जांच करानी होती है. हालांकि कुछ राज्यों में यह नहीं होता बल्कि सिर्फ प्रदूषण जांच की जाती है. 25 साल से ज्यादा पुरानी गाड़ियों को क्लासिक का दर्जा मिलता है.
चीन
चीन में पुरानी गाड़ियों की औसत उम्र लगभग 12 साल है. चीन में गाड़ियों का नियमित रूप से फिटनेस टेस्ट किया जाता है. चीन में 10 साल से ज्यादा पुरानी कार को पुरानी कार मान लिया जाता है.
ब्रिटेन
ब्रिटेन में कारों की औसत उम्र लगभग नौ साल है. 2019 में यह आठ साल थी. यहां एक तिहाई से ज्यादा कारें 12 साल से अधिक पुरानी है. यहां नई गाड़ी खरीदना काफी महंगा है इसलिए लोग अपनी गाड़ियों को अच्छे तरीके से मेनटेन करते हैं.
यूरोपीय संघ
यूरोपीय संघ के देशों में अमूमन सभी गाड़ियों को पहली बार 4 साल और उसके बाद हर दो साल पर उनकी जांच करानी पड़ती है. इन नियमों का पालन करते हुए लंबे समय तक कार चलाई जा सकती है. कुछ देशों में यह नियम 3 साल के बाद हर दूसरे साल या फिर हर साल जांच कराने का भी है.
फ्रांस
फ्रांस में कारों के लिए कोई आयु प्रतिबंध नहीं है, लेकिन यूरो 6 मानकों को पूरा करना होगा. हालांकि फ्रांस के कुछ शहरों में उत्सर्जन की वजह से पुराने वाहनों पर प्रतिबंध है.
आयरलैंड
आयरलैंड में पुरानी कारों पर कोई आयु प्रतिबंध नहीं है, लेकिन पुरानी कारों पर अधिक टैक्स लग सकता है.
जर्मनी
जर्मनी में कारों के शौकीनों की कमी नहीं है. इसलिए यहां लोग कई सालों तक कारों को अच्छी तरह से रखते हैं. यहां पर 30 साल से अधिक पुराने वाहनों को "ओल्डटाइमर" (विंटेज या क्लासिक कारें) माना जाता है और उन्हें एच-प्लेट ("ऐतिहासिक" के लिए) के साथ रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है, जो टैक्स का भी लाभ देता है. साथ ही ऐसे इलाकों में प्रवेश की अनुमति देता है जो पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील है.