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रूस से क्या और कितना खरीद रहे हैं भारत, यूरोप और अमेरिका

६ अगस्त २०२५

अमेरिका और यूरोप, भारत को नसीहत दे रहे हैं कि उसे रूस के साथ व्यापार नहीं करना चाहिए. लेकिन दोनों खुद रूस से अरबों यूरो की खरीद कर रहे हैं.

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गुवाहाटी में इंडियन ऑयल की रिफाइनरी
तस्वीर: BIJU BORO/AFP

अमेरिका, यूरोपीय संघ और नाटो के देश नहीं चाहते हैं कि भारत, रूस से कच्चा तेल खरीदे. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप, भारत की इस खरीद को रूसी युद्ध मशीन में पैसा लगाना कहते हैं.

5 अगस्त को अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनबीसी के साथ एक इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा, "भारत एक अच्छा कारोबारी साझेदार नहीं है क्योंकि वह हमारे साथ बहुत कारोबार करता है, लेकिन हम उनके साथ व्यापार नहीं करते. इसीलिए हमने 25 फीसदी का फैसला किया है, लेकिन मुझे लगता है कि मैं इसे अगले 24 घंटे में काफी ज्यादा बढ़ाऊंगा, क्योंकि वे रूसी तेल खरीद रहे हैं."

भारत ने इस दबाव को लेकर पश्चिमी देशों पर पलटवार किया है. नई दिल्ली ने इसे पश्चिम के दोहरे मानक करार दिया है. भारत ने दावा किया है कि यूक्रेन युद्ध के बावजूद, खुद अमेरिका और यूरोप, रूस से अरबों यूरो की खरीदारी कर रहे हैं. समाचार एजेंसी एएफपी ने भी इन सौदों की तुलना की है.

रूस के कालिनिंग्राद में एक मालगाड़ी
पहले के मुकाबले कम लेकिन अब भी काफी चीजें रूस से आयात कर रहा है यूरोपतस्वीर: AP/picture alliance

रूस से क्या कुछ खरीद रहा है यूरोपीय संघ

समाचार एजेंसी एएफपी ने यूरोपीय संघ में आंकड़े जमा करने वाली संस्था यूरोस्टैट के ताजा डेटा के आधार पर यह रिपोर्ट दी है. इस रिपोर्ट के मुताबिक बीते चार साल में रूस और यूरोपीय के कारोबार का मिजाज बदल चुका है. इसे यूक्रेन युद्ध से पहले और उसके बाद के नजरिए से देखा जा सकता है.

2025 की पहली तिमाही में यूरोपीय संघ ने रूस से 8.74 अरब यूरो का माल खरीदा. 2021 में यह आंकड़ा 30.58 अरब यूरो था. वहीं जनवरी 2022 से अब तक यूरोपीय संघ ने रूस से कुल 297 अरब यूरो का सामान आयात किया है. यूरोपीय संघ अब भी रूस से तेल, निकल, प्राकृतिक गैस, खाद, लोहा और स्टील खरीद रहा है. वहीं नाटो का सदस्य तुर्की, चीन और भारत के बाद रूसी तेल का तीसरा बड़ा खरीदार बना हुआ है.

रूस में एक तेल रिफाइनरी
तुर्की और हंगरी समेत यूरोप के कई देश रूस से खरीद रहे हैं तेल और गैसतस्वीर: Veniamin Kondratyev/Telegram/AP Photo/picture alliance

कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस और खाद

चार साल पहले रूस, यूरोपीय संघ का सबसे बड़ा पेट्रोलियम आपूर्तिकर्ता था. लेकिन यूक्रेन युद्ध के बाद ईयू ने समुद्री रास्ते से आने वाले रूसी कच्चे तेल पर प्रतिबंध लगा दिया. इसके बाद रूसी तेल का आयात 14.06 अरब यूरो (2021) से गिरकर 2025 की पहली तिमाही में 1.48 अरब यूरो रह गया.

2021 की पहली तिमाही में यूरोपीय संघ, 48 फीसदी प्राकृतिक गैस रूस से खरीदताथा. 2025 की पहली तिमाही में यह खरीद 17 फीसदी रह गई. चार साल पहले यूरोपीय संघ रूस से 28.15 फीसदी खाद खरीद रहा था. 2025 की पहली तिमाही यह आंकड़ा जरा सा गिरकर 25.62 प्रतिशत हुआ है.

गुवाहाटी में इंडियन ऑयल की रिफाइनरी के पास एक फ्यूल ट्रेन
चीन के बाद भारत रूसी कच्चे तेल का दूसरा बड़ा खरीदार बनातस्वीर: BIJU BORO/AFP

रूस से क्या और कितनी मात्रा में खरीद रहा है भारत

यूरोप से तुलना करने पर भारत की रूसी माल की खरीदारी बीते चार बरसों में लगातार बढ़ती गई है. 2021 में भारत ने रूस से 8.25 अरब डॉलर का निर्यात किया. वहीं 2024 में यह आंकड़ा 65.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया. एएफपी ने यह आंकड़े भारत के वाणिज्य मंत्रालय की वेबसाइट से लिए हैं.

2021 में भारत रूस से 2.31 अरब डॉलर का कच्चा तेल खरीद रहा था. 2024 में यह खरीद 52.2 अरब डॉलर तक पहुंच गई. इसी दौरान रूस से भारत ने 3.5 अरब डॉलर का कोयला भी खरीदा. 2021 में यह कोयला आयात 1.12 अरब डॉलर था. खाद के मामले में यह वृद्धि 48.3 करोड़ डॉलर से 1.67 अरब डॉलर तक पहुंची है.

व्लादिमीर पुतिन और डॉनल्ड ट्रंप
अमेरिका भी रूस से नाभिकीय ईंधन खरीद रहा हैतस्वीर: Evan Vucci/AP/dpa/picture alliance

रूस से क्या और कितना खरीद रहा है अमेरिका

2025 की पहली तिमाही में अमेरिका ने रूस से 2.50 अरब डॉलर का आयात किया. चार साल पहले इसी समायावधि में यह आयात 14.14 अरब डॉलर का था. अमेरिकी सेंसस ब्यूरो और ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक एनालिसिस डेटा के मुताबिक, 2024 में अमेरिका ने रूस से 1.27 अरब डॉलर की खाद खरीदी. यह 2021 के 1.14 अरब डॉलर के भुगतान के मुकाबले ज्यादा है.

2024 में अमेरिका ने रूस से 62.4 करोड़ डॉलर का संवर्धित यूरेनियम और प्लूटोनियम खरीदा. 2021 में यह खरीद 64.6 करोड़ डॉलर की थी. बीते साल रूस ने अमेरिका को 87.8 करोड़ डॉलर का पैलैडियम निर्यात किया. 2021 में पैलैडियम का यह सौदा 1.59 अरब डॉलर का था.