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राजनीतिसंयुक्त राज्य अमेरिका

अमेरिका: 5 लाख से ज्यादा आप्रवासियों पर डिपोर्टेशन का खतरा

२२ मार्च २०२५

अमेरिका में पांच लाख से ज्यादा आप्रवासियों से देश में रहने का कानूनी दर्जा छिन जाएगा. एक महीने के भीतर उन्हें डिपोर्ट किया जा सकता है. क्या है पूरा मामला? किन देशों के आप्रवासियों पर असर पड़ेगा?

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21 मार्च 2025 को न्यू जर्सी के लिए रवाना होने से पहले वाइट हाउस लॉन में पत्रकारों से बात करते अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप
राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी इतिहास में सबसे बड़ा डिपोर्टेशन अभियान चलाने और इमिग्रेशन पर लगाम कसने का संकल्प जताया हैतस्वीर: Bryan Dozier/Middle East Images/AFP/Getty Images

अमेरिका में लाखों आप्रवासियों का कानूनी दर्जा खत्म किया जा रहा है. इस संबंध में 'डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्यॉरिटी' (डीएचएस) का आदेश 25 मार्च को 'फेडरल रजिस्टर' में प्रकाशित होगा. प्रकाशन के 30 दिन बाद संबंधित आप्रवासी अमेरिका में रहने का कानूनी अधिकार खो देंगे.

किन देशों के आप्रवासी होंगे प्रभावित?  

इस ताजा आदेश से करीब 5,32,000 आप्रवासी प्रभावित होंगे. खबरों के मुताबिक, ये इमिग्रेंट्स चार देशों के हैं: क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला. ये आप्रवासी भूतपूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन की एक मानवीय योजना (ह्यूमैनिटेरियन परोल प्रोग्राम) का लाभ लेते हुए अमेरिका आए थे.

दिसंबर 2022 की इस तस्वीर में लैटिन अमेरिका से आए प्रवासी अमेरिका की दक्षिणी सीमा के पास खड़े हैं
होमलैंड सिक्यॉरिटी विभाग ने स्पष्ट किया कि योजना अस्थायी थी और केवल परोल ही इमिग्रेशन स्टेटस मिलने का बुनियादी आधार नहीं हैतस्वीर: David Peinado/AA/picture alliance

यह योजना अनियमित आप्रवासन से निपटने की व्यापक नीति का हिस्सा बताई गई. एक ओर जहां अवैध तरीके से सीमा पार करके दाखिल होने वालों पर कार्रवाई की जा रही थी, वहीं नए कानूनी रास्ते बनाकर लोगों को वैध तरीके से अमेरिका आने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा था.  

शुरुआती तौर पर अक्टूबर 2022 में यह परोल प्रोग्राम वेनेजुएला के लोगों के लाया गया. फिर जनवरी 2023 में इसका विस्तार करते हुए क्यूबा, हैती और निकारागुआ के लोगों को भी शामिल किया गया. इन चारों देशों में मानवाधिकार की स्थितियां चिंताजनक हैं. अकेले वेनेजुएला में ही निकोलस मादुरो की सत्ता के दौरान पिछले एक दशक में 70 लाख से ज्यादा लोग देश छोड़कर भाग चुके हैं.

योजना के तहत मिला दो साल का परमिट

'सीएचएनवी प्रोग्राम' के तहत इन इमिग्रेंट्स को अमेरिका में रहने और काम करने के लिए दो साल का परमिट मिला था. आने से पहले जरूरी था कि इन इमिग्रेंट्स के पास अमेरिका में कोई "फाइनैंशनल स्पॉन्सर" हो. यानी, अमेरिका में कोई शख्स उन्हें आर्थिक मदद देने को तैयार हो.

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मेक्सिको से लगी सीमा से होकर बड़ी संख्या में हो रहे अनियमित आप्रवासन को रोकने में नाकाम रहने के कारण बाइडेन प्रशासन की आलोचना हो रही थी. इस योजना के कारण इन चारों देशों से 30,000 तक की संख्या में प्रवासियों को अमेरिका आने की इजाजत मिली. बाइडेन ने दावा किया था कि यह परोल प्रोग्राम "सुरक्षित और मानवीय ढंग से" यूएस-मेक्सिको सीमा पर अनियमित आप्रवासन के दबाव को कम करेगा.

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अब डीएचएस ने अपने आदेश में रेखांकित किया कि संबंधित योजना अस्थायी थी. विभाग की सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम ने बताया है कि ये आप्रवासी अपना कानूनी दर्जा खो देंगे. इस बीच अगर उन्हें कोई अन्य वैध इमिग्रेंट दर्जा नहीं मिल पाया, तो उन्हें 24 अप्रैल तक अमेरिका से जाना होगा.

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अमेरिका में शरण पाने की कोशिश कर रहे लोगों की मदद करने वाली एक संस्था 'वेलकम.यूएस' ने प्रभावित लोगों से अपील की है कि वे तत्काल किसी वकील से सलाह लें.

कैरेन टूमलिन, अमेरिका में 'जस्टिस एक्शन सेंटर' नाम की एक आप्रवासी अधिकार संस्था की निदेशक हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका की संघीय सरकार ने लाखों आप्रवासियों और उनके स्पॉनसरों से जो वादा किया था, उसे ट्रंप प्रशासन तोड़ रहा है. उन्होंने अपने बयान में लिखा, "सीएचएनवी मानवीय परोल पाने वाले लाखों लोगों का कानूनी दर्जा एकाएक खत्म करने से गैरजरूरी अफरा-तफरी मचेगी और पूरे देश में परिवारों और समुदायों का दिल टूटेगा."

युद्ध प्रभावित या राजनीतिक रूप से अस्थिर देशों के नागरिकों को अस्थायी रूप से अमेरिका आकर काम करने की अनुमति देने के लिए पहले भी परोल प्रोग्राम को माध्यम बनाया जाता रहा है. डॉनल्ड ट्रंप मानवीय परोल के बड़े स्तर पर बेजा इस्तेमाल का आरोप लगाते हैं. अपने चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने अनियमित आप्रवासन पर सख्ती दिखाने की बात कही थी. हालांकि, राष्ट्रपति बनने के बाद वह इमिग्रेंट्स के अमेरिका आने और रहने के कानूनी रास्तों पर भी कार्रवाई कर रहे हैं. ट्रंप प्रशासन के ऐसे कुछ फैसलों को अदालत में चुनौती भी दी गई है.

एसएम/आरएस (एपी, एएफपी)