क्या लागू होकर रहेगा भारत पर लगा 25 पर्सेंट अतिरिक्त टैरिफ?
१७ अगस्त २०२५भारत और अमेरिका में द्विपक्षीय व्यापार संधि की संभावना फिलहाल साकार होती नहीं दिख रही है. टैरिफ और रूसी तेल के आयात पर कायम तनाव के बीच दोनों देशों के बीच प्रस्तावित बातचीत टल गई है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी.
खबर के अनुसार, अमेरिकी वार्ताकार बातचीत के लिए 25 अगस्त को नई दिल्ली आने वाले थे. अब इस यात्रा को स्थगित कर दिया गया है. सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि वार्ता के इस चरण की अगली तारीख अभी तय नहीं हुई है. वहीं, इस संबंध में पूछे गए सवाल का भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से कोई जवाब नहीं आया है. ना ही अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि की गई है.
अमेरिका की ओर से कौन है वार्ताकार?
भारत के रूस से तेल खरीदने पर अमेरिका को आपत्ति है. इसी को आधार बनाकर राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारत से आयातित सामानों पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने का आदेश दिया. यह 27 अगस्त से लागू होना है. अब ट्रेड डील की बातचीत टल जाने के कारण भारत को अतिरिक्त टैरिफ से राहत मिलने की उम्मीद कमजोर हो गई है.
रॉयटर्स के पूछे सवाल पर नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने बताया कि उसे इस विषय में कोई नई जानकारी नहीं है. व्यापार और टैरिफ संबंधी वार्ता का जिम्मा 'यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रेप्रजेंटेटिव्स' (यूएसटीआर) का है. दूसरे देशों की सरकारों के साथ व्यापार और निवेश संबंधी समझौतों की बातचीत में यह अमेरिकी सरकार का मुख्य वार्ताकार है.
भारत-अमेरिका के बीच बनते-बनते बात बिगड़ गई?
भारत और अमेरिका के बीच 'द्विपक्षीय व्यापार समझौता' की बातचीत मार्च 2025 में शुरू हुई. इससे पहले फरवरी में खुद नरेंद्र मोदी वॉशिंगटन गए और बातचीत की भूमिका बनी. रॉयटर्स के मुताबिक, पांच चरण की बातचीत के बाद भारतीय वार्ताकारों को भरोसा हो गया था कि अमेरिका के साथ अच्छी डील हो जाएगी. उन्होंने मीडिया को संकेत दिया कि टैरिफ 15 प्रतिशत तक सीमित रह सकते हैं.
रूस से क्या और कितना खरीद रहे हैं भारत, यूरोप और अमेरिका
भारतीय अधिकारियों को यह भी उम्मीद थी कि टैरिफ लागू करने की समयसीमा, यानी 1 अगस्त से पहले ही खुद ट्रंप डील की घोषणा कर देंगे. मगर ऐसा हुआ नहीं. उम्मीद से उलट भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया गया, यानी कुल 50 पर्सेंट टैरिफ.
मोदी ने कहा, "किसानों, मछुआरों, मछलीपालकों के हितों से समझौता नहीं"
खबरों के मुताबिक, भारत औद्योगिक उत्पादों पर शून्य टैरिफ की पेशकश कर रहा था. अमेरिका से भारत निर्यात होने वाले सामानों में करीब 40 प्रतिशत हिस्सा इनका ही है. भारत ने अमेरिका से रक्षा आयात बढ़ाने और ऊर्जा क्षेत्र में 25 अरब डॉलर की खरीद करने का भी आश्वासन दिया. खबरों के अनुसार, अमेरिका चाहता है कि भारत अपने कृषि और डेयरी क्षेत्र में उसे अपनी ज्यादा पहुंच बनाने दे.
इन दोनों सेक्टरों में भारत बहुत रिआयत देने को राजी नहीं था. जैसा कि बीते हफ्ते मोदी ने अपने एक भाषण में कहा, "मेरे देश के किसानों के लिए, मेरे देश के मछुआरों के लिए, मेरे देश के पशुपालकों के लिए आज भारत तैयार है. भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरे भाई-बहनों के हितों के साथ कभी समझौता नहीं करेगा." मोदी ने इस संबोधन में सीधे-सीधे अमेरिकी टैरिफ का जिक्र तो नहीं किया, लेकिन उनकी पंक्तियों को इसी संदर्भ में देखा गया. स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में भी मोदी ने यह बात दोहराई.
भारत-अमेरिका के रिश्तों का तनाव
हालांकि, इसी बीच ऐसी भी खबरें आईं कि भारत को अब भी डील की उम्मीद है. रॉयटर्स के मुताबिक, अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की भारत यात्रा से पहले भारत सरकार समीक्षा कर रही थी कि फार्म और डेयरी उद्योग में कहां छूट देने की गुंजाइश बन सकती है. लेकिन अब वार्ता टलने की खबरें आ रही हैं.
ट्रंप ने भारत पर लगाया 25% टैरिफ
भारत और अमेरिका के संबंध अभी जिस ढलान पर हैं, वैसा कम-से-कम ढाई दशक में तो नहीं रहे. इससे पहले 1998 में जब भारत ने परमाणु परीक्षण किया, तब तनाव काफी गाढ़ा हो गया था. न्यूक्लियर टेस्ट की प्रतिक्रिया में अमेरिका ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए.
ट्रंप के टैरिफ पर दुनिया भर के देशों ने क्या कहा
उस अध्याय के बाद भी कई मौकों पर उतार-चढ़ाव आए. यहां तक कि यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भी नई दिल्ली और मॉस्को के संबंधों पर बाइडेन प्रशासन बहुत संतुष्ट नहीं था. लेकिन भारत, रूस और पश्चिमी देशों के साथ अपने रिश्तों में संतुलन बिठा पा रहा था. लेकिन फिलहाल दोनों देशों के रिश्तों में सबसे ज्यादा चुनौतियां नजर आ रही हैं.