क्या अमेरिका मध्यपूर्व में फौज की तैनाती बढ़ाने जा रहा है
६ दिसम्बर २०१९एक अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक अमेरिका मध्य पूर्व में ईरान के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए कई हजार सैनिकों की तैनाती की योजना बना रहा है. इस अधिकारी ने तो यहां तक कहा है कि 5000 से 7000 सैनिक इस इलाके में भेजे जा सकते हैं. समाचार एजेंसी एएफपी को एक अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर 5000 से लेकर 7000 सैनिकों को मध्य पूर्व भेजने की योजना बना रहे हैं. हालांकि अधिकारी ने इस बात की पुष्टि नहीं की कि सैनिक कब और कहां तैनात किए जाएंगे. इस अधिकारी ने यह जरूर कहा कि अमेरिकी संपत्तियों पर ईरान से जुड़े संगठनों के हमले को देखते हुए ऐसा किया जा रहा है.
उधर कांग्रेस के सामने पेश हुए अमेरिका के रक्षा नीति के सचिव जॉन रूड का कहना है कि ईरान के व्यवहार की अमेरिका समीक्षा कर रहा है. जॉन रूड ने कहा, "अमेरिका चिंता के साथ ईरान के व्यवहार का आकलन कर रहा है." सीनेट के सशस्त्र सेवा समिति में रूड ने कहा, "हम लगातार खतरे की उभरती तस्वीरें देख रहे हैं. हमारे पास सेना को गतिशील रूप से व्यवस्थित करने की क्षमता है."
रूड ने उस मीडिया रिपोर्ट को खारिज कर दिया जिसमें कहा जा रहा है कि अमेरिका 14,000 सैनिक तैनात करने की योजना बना रहा है. पेंटागन की प्रवक्ता ने भी ऐसी कोई योजना से इनकार किया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने बाद में ट्वीट किया, "हम सऊदी अरब 12,000 सैनिक भेज रहे हैं इस पर जो न्यूज रिपोर्ट है वह झूठी है. सटीक रूप से कहा जाए तो फेक न्यूज है!"
हालांकि यह साफ नहीं हो पाया कि राष्ट्रपति ट्रंप किस न्यूज रिपोर्ट की बात कर रहे थे. ईरान और अमेरिका के बीच तनाव तभी से बढ़ रहा है जब से ट्रंप ने ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए. ईरान कहता आया है कि अमेरिकी प्रतिबंध "अत्यधिक दबाव" बनाने की नीति का हिस्सा है, ताकि ईरान को 2015 में हुई परमाणु डील पर फिर से बातचीत के लिए रजामंद किया जा सके. बीते साल डॉनल्ड ट्रंप ने इस डील से बाहर आने का एकतरफा एलान कर दिया और ईरान पर प्रतिबंध लगा दिए.
सितंबर में ही अमेरिका ने सऊदी अरब के तेल रिफाइनरी में हमले के लिए ईरान पर आरोप लगाया था. इसके बाद रियाद ने वॉशिंगटन से अतिरिक्त सैन्य की मांग की थी, अमेरिका ने दो लड़ाकू विमान, अतिरिक्त मिसाइल डिफेंस सिस्टम के अलावा सैनिकों की तैनाती को बढ़ाकर 3000 कर दिया था.
खाड़ी में सऊदी अरब अमेरिका का पुराना साथी है और दोनों ही ईरान के प्रतिद्वंदी हैं. इसके अलावा इराक में हो रहे प्रदर्शनों ने भी अमेरिका को चौकन्ना कर दिया है, इराक में बेरोजगारी और खराब अर्थव्यवस्था को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. साथ ही इराक में ईरान की दखल को लेकर भी देश में नाराजगी है. मंगलवार को ही इराक के अल असद एयर बेस पर पांच रॉकेट हमले हुए थे. यह हमला अमेरिका के उप राष्ट्रपति माइक पेंस के दौरे के ठीक चार दिन बाद हुआ था. माइक पेंस ने एयर बेस पर अमेरिकी सेना के जवानों से मुलाकात की थी. सितंबर में तेल रिफाइनरी में हुए हमले में ईरान ने अपनी भूमिका से इनकार किया था.
वहीं ईरान की बात की जाए तो वहां खुद तेल की बढ़ती कीमत को लेकर विरोध हो रहे हैं. मानवाधिकर संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि ईरान में अब तक सुरक्षा बलों की कार्यवाही में 208 लोग मारे जा चुके हैं. इन प्रदर्शनों में नागरिकों की मौत पर अमेरिका भी चिंता जाहिर कर चुका है.
एए/एनआर (एएफपी)
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