उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा: कफील खान को अभी क्लीनचिट नहीं दी
४ अक्टूबर २०१९उत्तर प्रदेश चिकित्सा शिक्षा प्रमुख सचिव रजनीश दुबे ने कहा कि गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में अगस्त 2017 में ऑक्सीजन की कमी से 70 बच्चों की मौत होने के मामले में डॉक्टर कफील खान को क्लीनचिट नहीं मिली है. अभी किसी भी विभागीय कार्रवाई में अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. प्रमुख सचिव ने कहा कि डॉ खान जिन बिंदुओं पर क्लीनचिट मिलने का दावा कर रहे हैं, उन बिंदुओं पर जांच अभी पूरी भी नहीं हुई है. इसलिए क्लीनचिट की बात बेमानी है. उन्होंने कहा कि डॉ खान द्वारा मीडिया और सोशल मीडिया पर जांच रिपोर्ट के निष्कर्षो की भ्रामक व्याख्या करते हुए खबरें प्रकाशित कराई जा रही हैं.
प्रमुख सचिव ने कहा कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में घटित घटना में प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने के बाद डॉ खान के विरुद्ध चार मामलों में विभागीय कार्यवाही शुरू की गई थी. उनके विरुद्ध सरकारी सेवा में सीनियर रेजीडेंट व नियमित प्रवक्ता के सरकारी पद पर रहते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस करने व निजी नर्सिंग होम चलाने के आरोप साबित हो गए. दुबे ने बताया कि बीआरडी के बाल रोग विभाग के प्रवक्ता पद पर काम करने के बाद भी उनके अनाधिकृत रूप से निजी प्रैक्टिस करे तथा मेडिस्प्रिंग हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर से जुड़े होने की पुष्टि हुई है और उन पर निर्णय लिए जाने की कार्यवाही चल रही है. उन पर लगे दो अन्य आरोपों पर अभी शासन द्वारा अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है.
रजनीश दुबे ने बताया कि बच्चों की मौत के मामले में तत्कालीन प्राचार्य डॉ़ राजीव कुमार मिश्रा, एनेस्थीसिया विभाग के सतीश कुमार और बाल रोग विभाग के तत्कालीन प्रवक्ता डॉ कफील अहमद को निलंबित किया गया था. प्रमुख सचिव ने कहा कि डॉ खान का खुद को निर्दोष करार दिए जाने का प्रचार करना गलत है. उन्होंने कहा कि डॉ खान एक और विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गई है जिसमें उन पर अनुशासनहीनता, भ्रष्टाचार, कर्तव्यपालन में घोर लापरवाही करने का आरोप लगाया गया है. इसकी जांच के लिए प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण) को जांच अधिकारी बनाया गया है. इस प्रकार उन पर कुल 7 आरोप अभी प्रक्रियाधीन है.
70 बच्चों की मौत के मामले में आरोपी डॉ कफील खान को चार मामलों में से सिर्फ एक में ही क्लीनचिट मिली है. उनके बारे में यह बात निराधार साबित हुई है कि घटना के वक्त 100 बेड वाले एईएस वार्ड के नोडल प्रभारी वह थे. विभागीय जांच के लिए तत्कालीन प्रमुख सचिव (स्टाम्प) हिमांशु कुमार को जांच अधिकारी बनाया गया था. लंबे समय से चल रही जांच के बाद लगभग एक महीने पहले ही शासन को रिपोर्ट सौंपी गई थी.
--आईएएनएस
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बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के मामले में डॉक्टर कफील दोषमुक्त