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विवादजर्मनी

यूक्रेन की आजादी जर्मन विदेश नीति के लिए सबसे अहम

ओंकार सिंह जनौटी डीपीए, एपी, एएफपी, रॉयटर्स
३० जून २०२५

जर्मनी के विदेश मंत्री योहान वाडेफुल, यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंचे हैं. जर्मन विदेश मंत्री बहुतों को चौंकाते हुए ट्रेन से कीव पहुंचे. उनके साथ जर्मनी के हथियार उद्योग के प्रतिनिधि भी हैं.

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पहली बार कीव पहुंचने पर पत्रकारों से बात करते जर्मन विदेश मंत्री योहान वाडेफुल
तस्वीर: Mykola Berdnyk/DW

जर्मनी के विदेश मंत्री सोमवार को पहली बार कीव पहुंचे. कीव पहुंचने से पहले उनका यह दौरा बेहद गोपनीय रखा गया. यूक्रेनी राजधानी में योहान वाडेफुल ने वादा किया कि जर्मनी, रूस के खिलाफ युद्ध में यूक्रेन की मदद करना लगातार जारी रखेगा. जर्मन विदेश मंत्री ने कहा, "हम दृढ़ता से यूक्रेन के पक्ष में खड़े रहेंगे ताकि वो सफलता से खुद की रक्षा कर सके-आधुनिकएयर डिफेंस सिस्टम और अन्य हथियारों के जरिए और मानवीय और आर्थिक मदद के साथ."

जर्मन विदेश मंत्री ने कीव में उन जगहों का भी दौरा किया जहां रूस ने बड़े हमले किए. वाडेफुल ने जोर देकर कहा कि, "यूक्रेन की आजादी और उसका भविष्य हमारी विदेश और सुरक्षा नीति की सबसे अहम टास्क हैं."

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "वह समझौते को लेकर बातचीत नहीं करना चाहते हैं वह आत्मसमर्पण चाहते हैं."

कीव में जर्मनी के विदेश मंत्री योहान वाडेफुल
कीव में रूसी हमलों का मारे गए लोगों को श्रद्धाजंलि देने जर्मन विदेश मंत्री वाडेफुलतस्वीर: Jörg Blank/dpa/picture alliance

टॉरस मिसाइलों पर झिझकता जर्मनी

अमेरिका के बाद जर्मनी, यूक्रेन की सबसे ज्यादा सैन्य मदद करने वाला देश है. यूक्रेन, जर्मनी से लंबी दूरी तक मार करने वाली टॉरस मिसाइलें देने की मांग करता आ रहा है. जर्मनी को यह मिसाइलें देने में झिझक हो रही है.

मई में जर्मनी के चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स ने वादा किया कि उनका देश टॉरस देने के बजाए लंबी दूरी की मिसाइलें खुद विकसित करने में यूक्रेन की मदद कर सकता है. मैर्त्स ने कहा कि ऐसा करने से यूक्रेन बहुत हद तक आत्मनिर्भर हो जाएगा.

जर्मनी की इस झिझक की बड़ी वजह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की खुली चेतावनी भी है. पुतिन कह चुके हैं कि जर्मनी अगर यूक्रेन को टॉरस मिसाइलें सप्लाई करता है तो इसका मतलब होगा कि जर्मनी सीधे तौर पर रूस पर हमला करने वालों में शामिल हो रहा है. जर्मन नेताओं को भी लगता है कि कीव को टॉरस देने से तनाव और ज्यादा बढ़ेगा और हो सकता है कि यह यूक्रेन तक सीमित न रहे.

यूक्रेन फरवरी 2022 से रूस के साथ युद्ध लड़ रहा है. रूसी सेना के सीमा पार करने से शुरू हुई इस लड़ाई में कीव को ऐसी मिसाइलों की जरूरत महसूस हो रही है जो रूसी इलाके में भीतर तक घुसकर हवाई अड्डों और सप्लाई लाइन को निशाना बना सकें. ऐसे कई रूसी ठिकानों से ही यूक्रेन पर हमले होते हैं. टॉरस लंबी दूरी का मिसाइल है. यह 500 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकती है. यह मिसाइल 'स्टील्थ' तकनीक से लैस है, यानी इसके रडार की पकड़ में आने की संभावना बेहद कम है.

अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्पति बनने के बाद से यूक्रेन को मिल रही अमेरिकी मदद पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. जनवरी 2025 से अब तक वॉशिंगटन ने कीव की कोई भी अतिरिक्त मदद नहीं की है. हालांकि जून के आखिर में द हेग में हुए नाटो शिखर सम्मेलन में ट्रंप ने कीव को प्रैट्रियॉट डिफेंस मिसाइल देने का संकेत जरूर दिया, लेकिन उसकी ठोस समयसीमा नहीं बताई.

यूक्रेनी वायुसेना के एसयू-27 विमान में लगी टॉरस मिसाइल
यूक्रेन के पास मौजूद एसयू-27 और एसयू-24 विमानों से दागी जा सकती है टॉरस मिसाइलतस्वीर: MBDA Deutschand/ABACA/picture alliance

पूर्वी यूक्रेन में रूसी सेना को मिलती बढ़त

इस बीच रूस के सरकारी मीडिया और ब्लॉगरों का दावा है कि उनकी सेना लड़ाई के मोर्चे पर लगातार बढ़त बना रही है. पूर्वी यूक्रेन के दिनिप्रोपेत्रोव्स्क इलाके में रूसी सेना के हमले को सफलता की तरह पेश किया जा रहा है. पूर्वी यूक्रेन के लुहांस्क, दोनेस्क, जापोरिझिया और हेर्सोन इलाकों के उलट रूस ने अभी तक दिनिप्रोपेत्रोव्स्क को अलग करने का एलान नहीं किया है.

इस बीच रूस के विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने नाटो देशों के पांच फीसदी रक्षा बजट पर तंज किया है. सोमवार को लावरोव कहा कि नाटो देशों की रक्षा बजट में पांच फीसदी करने की कार्यवाही ही इस सैन्य संगठन को तोड़ने वाला कारण बनेगी. इससे पहले पोलैंड के विदेश मंत्री रादोस्लाव सिकोस्की ने कहा था कि पश्चिम और रूस के बीच हथियारों की रेस ही व्लादिमीर पुतिन के अंत का कारण बनेंगी. लावरोव इसी बयान का जवाब दे रहे थे.