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यूरोपीय संघ और अमेरिका के बीच ट्रेड डील का आखिरी मौका

२७ जुलाई २०२५

यूरोपीय संघ और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को आकार देने के लिए रविवार को डॉनल्ड ट्रंप और उर्सुला फॉन डेय लाएन के बीच मुलाकात होने जा रही है लेकिन तय नहीं है कि बातचीत के बाद भी दोनों पक्षों के बीच समझौता हो पाएगा या नहीं.

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साल 2020 में डॉनल्ड ट्रंप और उर्सुला फॉन डेय लायन के बीच हुई मुलाकात की फाइल फोटो
ट्रेड डील से जुड़े मतभेदों को दूर करने के लिए डॉनल्ड ट्रंप और उर्सुला फॉन डेय लाएन की मुलाकात हो रही है तस्वीर: Jonathan Ernst/REUTERS

अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और यूरोपीय संघ की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लाएन के बीच रविवार को स्कॉटलैंड में मुलाकात होगी. इस मुलाकात का मकसद अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच ट्रेड डील को लेकर जारी गतिरोध को खत्म करना होगा. यह गतिरोध महीनों से चल रहा है और उम्मीद की जा रही है कि इस मुलाकात के दौरान उन मुद्दों को सुलझाया जा सकेगा, जिसे लेकर दोनों पक्ष असहमत हैं. डॉनल्ड ट्रंप की ओर से कहा गया है कि यूरोपीय संघ के साथ डील होने की 50 फीसदी संभावनाएं हैं. 

रविवार को दोनों के बीच स्कॉटलैंड के टर्नबेरी में मुलाकात होगी. यहीं पर डॉनल्ड ट्रंप का लग्जरी गोल्फ रिजॉर्ट भी है. शुक्रवार को यहां पहुंचने के बाद डॉनल्ड ट्रंप ने यूरोपीय संघ के साथ 'अब तक की सबसे बड़ी डील' होने की उम्मीद जताई थी. यूरोपीय संघ की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लाएन को सिर्फ उर्सुला कहकर संबोधित करते हुए ट्रंप ने उन्हें एक बेहद सम्मानित महिला बताया था. यह भावना, ट्रंप की ओर से यूरोपीय संघ के प्रति पूर्व में जाहिर की गई उस भावना से अलग थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि ईयू का काम ही अमेरिका को नुकसान पहुंचाना है. उन्होंने यह जानकारी भी दी थी कि करीब 20 मुद्दों को लेकर दोनों पक्षों में मतभेद हैं. 

यूरोपीय संघ की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लाएन की फाइल फोटो
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कुछ महीनों पहले कहा था कि यूरोपीय संघ का मकसद सिर्फ अमेरिका को नुकसान पहुंचाना है तस्वीर: Ansgar Haase/dpa/picture alliance

यूरोपीय संघ को डील की उम्मीद

अमेरिका के साथ 1 अगस्त की समयसीमा तक ट्रेड डील ना कर पाने वाले देशों पर डॉनल्ड ट्रंप ने दंडात्मक टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है. इस लिस्ट में दर्जनों देश शामिल हैं. अमेरिका के साथ ट्रेड डील ना होने की स्थिति में यूरोपीय संघ के सभी सामानों पर 30 फीसदी तक टैरिफ लगने की संभावना है. फॉन डेय लाएन का यूरोपीय कमीशन, यूरोपीय संघ के 27 देशों की ओर से अमेरिकी अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहा है. दोनों पक्षों के बीच करीब 2 ट्रिलियन डॉलर के सामान और सेवाओं का व्यापार होता है. 

गुरुवार को यूरोपीय संघ की ओर से कहा गया था कि उनका मानना है कि डील संभव है. यूरोपीय राजनयिकों के मुताबिक अभी जिस तरह का समझौता सामने है, उसमें यूरोपीय संघ की ओर से अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले सभी सामानों पर 15 फीसदी टैरिफ लगाया जाना है. जापान के साथ समझौते में भी टैरिफ दर इतनी ही रखी गई है. हालांकि कुछ अहम सेक्टर जैसे एयरक्राफ्ट, इमारती लकड़ी और वाइन सहित शराबों को इस दर से अलग रखा गया है. 

अमेरिका को मिल सकती हैं बड़ी छूट

अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक यूरोपीय संघ, अमेरिका की लिक्विफाइड नेचुरल गैस यानी एलएनजी की खरीद को भी बढ़ाने का वादा करेगा. यह उसके अमेरिका में निवेश बढ़ाने के वादों का हिस्सा होगा. यूरोपीय पक्ष को अमेरिका के साथ स्टील के निर्यात में भी थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है. इसके लिए एक नियत कोटा तय किया जा सकता है. हालांकि अगर यूरोपीय संघ इस कोटे से ज्यादा स्टील का निर्यात करेगा तो उस अधिक स्टील पर 50 फीसदी से ज्यादा का टैरिफ चुकाना होगा. 

डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से उन्होंने यूरोपीय संघ पर कई तरह के टैरिफ लगाए हैं. मसलन फिलहाल यूरोपीय संघ की कारों पर अमेरिका में 25 फीसदी और स्टील और एल्युमिनियम पर 50 फीसदी टैक्स लगता है. अन्य सभी चीजों पर 10 फीसदी का टैरिफ लगता है जिसे अमेरिका ने डील ना होने की स्थिति में 30 फीसदी तक बढ़ाने की धमकी दी है. 

भारत के दुग्ध उद्योग पर ट्रेड डील की खटास

ईयू ने भी की हुई है टैरिफ की तैयारी

फिलहाल यूरोपीय संघ, अमेरिका के साथ ट्रेड डील करने के लिए आतुर है. दरअसल अगर अमेरिका की ओर से यूरोपीय संघ पर भारी टैरिफ लगाए जाते हैं तो पहले से ही सुस्ती से गुजर रही यूरोपीय संघ की अर्थव्यवस्था के लिए ये एक बड़ा झटका होगा. ऐसे में यूरोपीय संघ को अमेरिका पर भी टैरिफ लगाने पर विचार करना पड़ेगा. 

इन जवाबी टैरिफों की रूपरेखा भी तैयार की जाने लगी है. यूरोपीय संघ के देश अमेरिका के 109 बिलियन डॉलर के निर्यातों पर टैरिफ की अनुमति भी दे चुके हैं. इन निर्यातों में एयरक्राफ्ट और कार भी शामिल हैं. ये टैरिफ 7 अगस्त से प्रभावी होने हैं. इसके अलावा यूरोपीय संघ अमेरिका की ऐसी सेवाओं की लिस्ट भी बना रहा है, जिन्हें टैरिफ के दायरे में लाया जा सकता है. 

इससे भी आगे बढ़कर फ्रांस जैसे देश तो यूरोपीय संघ से यह तक कह चुके हैं कि डील ना होने की स्थिति में उसे 'ट्रेड बजूका' लागू करने से भी नहीं चूकना चाहिए. यह कदम यूरोपीय संघ से बाहर के किसी देश की यूरोपीय मार्केट और सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स तक पहुंच को बहुत सीमित कर देता है. ऐसा हुआ तो यूरोप में अमेरिकी कंपनियों की पहुंच सीमित हो जाएगी. हालांकि ऐसा कोई भी कदम अमेरिका के साथ यूरोपीय संघ के रिश्तों को काफी खराब कर सकता है.