पाकिस्तानी कश्मीर में लोगों को राशन जमा करने का निर्देश
२ मई २०२५पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के प्रधानमंत्री चौधरी अनवर उल हक ने स्थानीय विधानसभा में कहा, "नियंत्रण रेखा के पास के 13 विधानसभा क्षेत्रों को दो महीने का खाना पीना स्टॉक करने का निर्देश दिया गया है."
स्थानीय सरकार ने एक अरब पाकिस्तानी रुपये का एक इमरजेंसी फंड भी बनाया है. हक के मुताबिक इस पैसे से इन 13 क्षेत्रों में "भोजन, दवाओं और अन्य सभी बुनियादी जरूरतों" की सप्लाई पक्की की जाएगी.
पाकिस्तानी कश्मीर की राजधानी मुज्जफराबाद में अनवर उल हक ने कहा कि सरकारी और निजी मशनरी को एलओसी के आस पास सड़कों की देखरेख करने में लगाया गया है.
नीलम घाटी में पसरी बेचैनी और घबराहट
नीलम घाटी, भारत और पाकिस्तान को बांटने वाली नियंत्रण रेखा से करीब तीन किलोमीटर दूर, पाकिस्तानी कश्मीर में है. पाकिस्तान में गर्मियों के सीजन की शुरुआत होते ही बड़ी संख्या में पर्यटक नीलम घाटी तक पहुंचने लगते हैं. अप्रैल से जून के बीच ही करीब 3,00,000 सैलानी नीलम घाटी आकर, स्थानीय अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाते हैं.
लेकिन इस वक्त नीलम घाटी में बेचैनी और घबराहट है. पहलगाम हमले के बाद, लकीर के दूसरी ओर मौजूद इस घाटी में होटल खाली हो चुके हैं. एक होटल के मालिक रफकत हुसैन के मुताबिक, इस संकट की सबसे बुरी मार टूरिज्म पर पड़ी है, "ज्यादातर सैलानी यहां से निकलकर अपने शहरों में लौट चुके हैं क्योंकि युद्ध का जोखिम है."
भारतीय कश्मीर में प्रशासन ने एहतियात के चलते दर्जनों टूरिस्ट रिजॉर्ट्स को कुछ समय के लिए बंद कर दिया है. पाकिस्तानी प्रशासन की तरफ से अब तक ऐसा कोई आदेश नहीं आया है. हालांकि पाकिस्तान के नियंत्रण वाले कश्मीर में प्रशासन ने एक हजार से ज्यादा मदरसे बंद 10 दिन के लिए बंद किए हैं. पाकिस्तानी अधिकारियों के मुताबिक, भारत की सैन्य कार्रवाई की आशंका के चलते एहतियातन ये कदम उठाया गया है.
एलओसी के पास, पाकिस्तान के नियंत्रण वाले कश्मीर में बाजार खुले जरूर हैं, लेकिन उनमें चहल पहल नहीं के बराबर है. चकोथी कस्बे में दुकान चलाने वाले बशीर मुगल ने समाचार एजेंसी एपी से कहा, "सबसे पहले तो हम अमन की दुआ करते हैं क्योंकि युद्ध की पहली मार हमेशा आम लोगों पर पड़ती है." हालांकि वह यह भी कहते हैं कि अगर संघर्ष हुआ तो वे अपनी फौज के साथ खड़े रहेंगे.
बंकर बनाते और दुरुस्त करते लोग
पाकिस्तानी कश्मीर में प्रशासन, लोगों की बंकर बनाने में मदद करता रहा है. नियंत्रण रेखा पर होने वाली भीषण गोलीबारी के दौरान लोग घरों के पास बने इन बंकरों में शरण लेते हैं. बशीर मुगल कहते हैं, "अगर युद्ध हुआ तो स्थानीय लोग तबाह हो जाएंगे."
चाकोथी में ही रहने वाली सैकिया नसीर, गोलीबारी के बीच गुजरे अपने बचपन को यादकर कहती हैं, "अब मैं एक मां हूं, और खुद वैसा ही डर महसूस कर रही हूं."
2019 में भी भारतीय कश्मीर के पुलवामा में हुए हमले के बाद दोनों पड़ोसी देश युद्ध के मुहाने पर पहुंच गए थे. तब भी नियंत्रण रेखा पर कई हफ्तों तक भीषण गोलीबारी हुई. सैकिया के घर के भीतर एक बंकर बना है. वह कहती हैं, "अगर युद्ध हुआ तो हम यहीं रहेंगे. हम भागेंगे नहीं."
सुलग रहा है कश्मीर विवाद
भारतीय कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को पर्यटकों पर हुए हमले के बाद कश्मीर विवाद फिर सुलग रहा है. हमले में 26 आम नागरिकों की मौत हो गई. भारत ने इसे आतंकवादी हमला करार देते हुए, पाकिस्तान को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है. प्रतिक्रियावादी कदम उठाते हुए दोनों देशों ने सिंधु जल समझौते और शिमला समझौते जैसी दशकों पुरानी द्विपक्षीय संधियां निलंबित कर दी हैं.
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह हमले में शामिल तत्वों को अंजाम भुगतने की चेतावनी दे चुके हैं. हमले के बाद मोदी, सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति और भारतीय सेना के उच्च अधिकारियों के साथ बैठक कर चुके हैं. भारतीय मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक, सरकार ने सेना को अपने मुताबिक कार्रवाई करने की खुली छूट दी है. पाकिस्तान का आरोप है कि भारत उस पर हमला करने की तैयारी कर रहा है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक सीमा पर दोनों तरफ से सैन्य उपस्थिति बढ़ी है.