हंगरी: प्राइड परेड पर बैन के बावजूद लाखों लोगों ने किया सतरंगी सलाम
बीते शनिवार को बुडापेस्ट की सड़कों पर लाखों लोगों ने प्रतिबंध को चुनौती देते हुए शहर की अब तक की सबसे बड़ी प्राइड परेड को मुमकिन कर दिखाया.
जब प्राइड परेड में शामिल हुए करीब दो लाख लोग
बुडापेस्ट की सड़कों पर इतना बड़ा हुजूम उमड़ पड़ेगा इसकी उम्मीद बहुत कम लोगों ने की थी. प्राइड परेड के आयोजकों के मुताबिक इसमें 2 लाख से अधिक लोग शामिल हुए.
प्रतिबंध के बीच यौनिकता और लैंगिक पहचान का जश्न
बु़डापेस्ट के सिटी हॉल से शुरू हुई इस परेड को दक्षिणपंथी समूहों के हमले का भी खतरा था, लेकिन इस परेड में ना सिर्फ क्वीयर समुदाय के लोग शामिल हुए बल्कि उनका साथ देने के लिए दूसरे लोग भी बड़ी संख्या में मौजूद थे.
परेड में एलजीबीटी विरोधी भी पहुंचे
परेड में एलजीबीटी विरोधी भी मौजूद रहे. वे धार्मिक चिन्हों और किताबों के साथ वहां आए थे. हालांकि, पुलिस ने दक्षिणपंथी समूहों के संभावित हमले के खतरे को भांपते हुए परेड के तय रूट को भी बदल दिया.
परेड में सरकार का विरोध भी नजर आया
विक्टर ओरबान की सरकार यह मानकर चल रही थी कि प्रतिबंध के बाद अब प्राइड परेड का आयोजन नहीं होगा लेकिन हुआ इसके ठीक उलट. ना सिर्फ परेड का आयोजन हुआ बल्कि इसमें लाखों की संख्या में लोग भी आए जिसकी उम्मीद सरकार ने नहीं की थी.
समुदाय के बाहर के लोगों का भी मिला साथ
परेड में शामिल ब्लांका मोलनार कहती हैं कि ये एक शानदार अहसास है कि रोक के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में लोग यहां आए, खासकर वे लोग भी आए जिन्होंने आज से पहले शायद परेड में कभी हिस्सा नहीं लिया था.
सजा के डर के बीच हुई परेड
प्राइड परेड से पहले प्रशासन ने पूरे शहर में सर्विलांस कैमरे लगवाए थे ताकि परेड में हिस्सा लेने वालों की पहचान की जा सके. हंगरी के नए कानून के मुताबिक परेड में हिस्सा लेने पर भारतीय मुद्रा में करीब 50 हजार रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है.
जुर्माने और जेल का डर नहीं कर पाया काम
सरकार ने यहां तक कह दिया था कि अगर किसी ने परेड में हिस्सा लिया या लोगों को इसके लिए उकसाया तो उन्हें एक साल की कैद तक दी जा सकती है. हालांकि, परेड में आए लोगों की तादाद देखकर कहा जा सकता है कि सजा का डर शायद काम नहीं कर पाया.
"लोकतांत्रिक अधिकारों का सवाल"
परेड में शामिल हुए लोगों ने इस बात पर जोर दिया कि इसमें शामिल होने वाले लोग सिर्फ क्वीयर या एलजीबीटी+ समुदाय के अधिकारों के लिए इकट्ठा नहीं हुए बल्कि वे हंगरी के बिगड़ते लोकतांत्रिक भविष्य को लेकर भी आवाज उठाने आए हैं. वे हंगरी के लिए नई दिशा चाहते हैं.
क्वीयर अधिकारों की विरोधी है ओरबान सरकार
हंगरी की सरकार ने इस साल बच्चों की सुरक्षा का हवाला देते हुए प्राइड परेड पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि, यह प्रतिबंध सरकार की एलजीबीटी समुदाय विरोधी नीतियों का ही हिस्सा था. सरकार सेम सेक्स मैरिज, क्वीयर जोड़ों के गोद लेने की प्रक्रिया और दस्तावेजों में नाम और लैंगिक पहचान बदलने पर भी प्रतिबंध लगा चुकी है.