दुनिया भर मे अंडे खोज रही है अमेरिकी सरकार
२८ मार्च २०२५अमेरिकामें अंडों की कमी के पीछे वजह है बर्डफ्लू की महामारी. फरवरी में अमेरिका ने एक साल पहले के इसी महीने के मुकाबले करीब 72 करोड़ अंडे कम पैदा किए जो करीब 10 फीसदी की कमी है. 21 फरवरी को अंडे की कीमत अमेरिका के होलसेल मार्केट में प्रति दर्जन 8.15 डॉलर थी जो रिकॉर्ड है. इसके बाद इसमें काफी कमी आई है, 21 मार्च को यह घट कर 3.27 डॉलर प्रति दर्जन पर आ गई. अमेरिका ने अपने यहां से अंडों का निर्यात रोक दिया है, हालांकि संकट अभी खत्म नहीं हुआ है.
अमेरिका में राशन की दुकानों पर अंडे की कीमत रिकॉर्ड ऊंचाई पर है. जर्मनी, इटली, पोलैंड और स्वीडन जैसे देशों से अमेरिकी कृषि विभाग ने अंडे के लिए संपर्क किया है. यूरोपीय उद्योग समूहों ने इसकी जानकारी दी है. हालांकि यूरोपीय सप्लायरों के लिए अमेरिका को अंडे भेजना आसान नहीं होगा. हालांकि, इसकी वजह ट्रंप के लगाए टैरिफों से उपजा तनाव नहीं है.
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अगर यूरोपीय देश अंडे भेजना भी चाहें तो उनके पास अतिरिक्त अंडे नही हैं क्योंकि यहां भी एवियम फ्लू की महामारी दस्तक देती रही है, इसके साथ ही ईसाई त्योहार ईस्टर से पहले खुद यूरोप में घरेलू स्तर पर भी अंडों की मांग काफी बढ़ी हुई है.
यही नहीं, अमेरिका जिन शर्तों पर अंडे खरीदेगा उसका पालन करना भी मुश्किल है. अमेरिका में खाद्य सुरक्षा के मानकों के तहत ताजे अंडे को दुकान में पहुंचने से पहले कीटाणुमुक्त और फ्रिज में रख कर ठंडा करना होता है. इधर यूरोपीय संघ के अपने सुरक्षा मानक हैं इसके तहत ए ग्रेड के अंडों को बिना धोए और बिना फ्रिज में ठंडा किए बेचना होता है. जर्मन एग एसोसिएशन के प्रमुख पेटर गोल्डनिक का कहना है, "ये दो सिस्टम इस से ज्यादा एक दूसरे से अलग नहीं हो सकते.
सुपरमार्केट में अंडों पर पंख
यूरोप में अंडे खरीदते वक्त ग्राहकों को अकसर उनके छिलकों पर पंख या फिर मुर्गी का मल चिपका हुआ दिख जाता है. जर्मनी के किसान डेविड कार्ल्ष इसे समझाते हैं कि सामान्य प्रक्रिया में अंडे पारिवारिक पॉल्ट्री फार्मों में जब अंडे लिए जाते हैं तो उसे मुर्गी के बाड़े से सीधे उठा कर कार्टन बॉक्स में रख दिए जाता है. ये कार्टन बॉक्स सीधे दुकान या फिर ठंडा रखने वाली वेंडिंग मशीनों में रखा जाता है जहां से ग्राहक इन्हें खरीद लेते हैं. इसमें इन्हें साफ करने या कीटाणुमुक्त करने जैसी कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई जाती.
कार्ल्ष ने ये भी बताया, "ईस्टर के समय में अंडों की मांग निश्चित रूप से काफी ज्यादा है. बहुत से बच्चे अंडों पर पेंट करते हैं इसलिए उन्हें अंडे चाहिए."
पोलैंड अंडों का एक प्रमुख निर्यातक है. वहां भी अमेरिकी ने अंडों की सप्लाई के बारे में पूछा है. पोलैंड के नेशनल चैंबर ऑफ पॉल्ट्री एंड फीड प्रोड्यूसर्स के निदेशक कातारीना गावरोन्सका ने यह जानकारी दी. उनका कहना है कि धुले और बिना धुले अंडों का मसले को यूरोपीय अधिकारी बड़ा मुद्दा मानते हैं.
यूरोपीय संध के 27 सदस्य देशों में ज्यादातर अंडे बेचने से पहले धोए नहीं जाते हैं. गावरोन्स्का का कहना है कि अंडे के छिल्कों से प्राकृतिक सुरक्षात्मक परत को हटाने से उनमें बैक्टीरिया के संक्रमण का ज्यादा खतरा होगा.
पोलैंड के अधिकारी यह तय करने की कोशिश में हैं कि क्या वहां के किसान अमेरिकी शर्तों को पूरा कर सकते हैं. अमेरिका यह तय करना चाहता है कि निर्यातक देश के पास खाद्य सुरक्षा के निरीक्षण का तंत्र उन्हीं के जैसा हो और बर्डफ्लू जैसी महामारियों को रोकने का भी.
अंडे के पाउडर वाली चीजें
यूरोपीय संघ में भले ही अंडों को धोने का नियम नहीं है लेकिन कुछ सदस्य देशों में इसकी व्यवस्था है. इन देशों में अंडो को पैक करते वक्त धोने की छूट कई दशक पहले दी गई थी. इनमें एक देश स्वीडन भी है जहां अंडों को पैक करने से पहले धोया जाता है.
डैनिश एग एसोसिएशन के सीईओ यॉर्गेन नाइबर्ग लार्सन का कहना है कि यहां अंडे को धोना नियमों में शामिल है. हालांकि स्वीडन और नॉर्वे ने अमेरिका को बताया है कि उनके पास निर्यात के लिए अतिरिक्त अंडे नहीं हैं.
फिलहाल अमेरिका को अगर यूरोप से निर्यात बढ़ाना है तो वह पाउडर या फिर दूसरी चीजों के रूप में होगा जो फ्रोजेन या फिर सूखा कर भेजे जाते हैं. पोलैंड के व्यापार संघ ने यूरोपीय अधिकारियों को यही जवाब दिया है. गावरोन्स्का ने कहा कि अगर अमेरिका पोलैंड को मान्यता देता है तो यह संगठन अंडे तो ज्यादा नहीं भेज पाएगा लेकिन बड़ी मात्रा में प्रसंस्कृत अंडों वाले सामान भेज सकता है.
प्रसंस्कृत अंडे आमतौर पर पाश्चुरीकृत होते हैं ताकि भोजन में पैदा होने वाली बीमारियों से बचाए जा सकें. इनका इस्तेमाल खाद्य चीजों को बनाने या फिर रेस्तरां, अस्पताल और नर्सिंग होम में होता है. बेक की जाने वाली चीजें, पास्ता और मेयोनीज जैसे सॉस एग पाउडर से बनाए जाते हैं.
यूरोप में उत्पादन की अपनी समस्याएं
अमेरिकी अधिकारियों ने उत्तरी इटली के किसानों से भी अंडों की आपातकालीन सप्लाई के लिए संपर्क किया था. हालांकि इटली सिर्फ उतने ही अंडे पैदा कर पाता है जिससे कि उसकी घरेलू मांग पूरी हो सके. ऐसे में ज्यादातर किसानों ने यही कहा कि वो इसमें मदद नहीं कर पाएंगे.
इसके अलावा पिछले साल बर्डफ्लू की महामारी ने भी इटली में अंडों के उत्पादन पर काफी असर डाला. यही हाल जर्मनी का भी है. यहां घरेलू पॉल्ट्री उद्योग से जितना अंडा पैदा होता है उससे यहां की करीब 73 फीसदी जरूरतें पूरी होती हैं. जर्मनी में अंडों की बाकी जरूरत नीदरलैंड्स से आयात होने वाले अंडों से पूरी होती है.
जर्मनी हर दिन करीब 4.5 करोड़ अंडे पैदा करता है. दूसरी तरफ अमेरिका में हर दिन करीब 5 करोड़ अंडों की कमी है. ऐसे में भला जर्मनी के किसान अमेरिका की कितनी मदद कर पाएंगे यह समझा जा सकता है. अमेरिका ने ऑस्ट्रिया, नॉर्वे, स्पेन और डेनमार्क से भी संपर्क किया है. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि उन्हें तुर्की और दक्षिण कोरिया से हाल के महीनों में अंडों की सप्लाई का भरोसा मिला है. हालांकि ये अंडे कितनी संख्या में और किस तरह के होंगे इसकी जानकारी नहीं दी गई है.
एनआर/आरपी (एपी)