जर्मन सरकार की वैधता नहीं मानने वाला राइषबुर्गर आंदोलन
राइषबुर्गर आंदोलन जर्मनी की सरकार की वैधता को नहीं मानता है. इसके कुछ सदस्य तो हिंसा के लिए भी तैयार रहते हैं. जानिए क्या है ये आंदोलन और इसके बारे में क्या कर रही है जर्मन सरकार.
क्या मानते हैं राइषबुर्गर?
"राइषबुर्गर" का मतलब है "राइष के नागरिक." यह एक अस्पष्ट आंदोलन है जो आधुनिक जर्मन राष्ट्र को ही नकारता है. इसके सदस्यों का मानना है कि जर्मन साम्राज्य की 1937 या 1871 की सीमाएं अभी भी अस्तित्व में हैं और आधुनिक जर्मनी सिर्फ एक प्रशासनिक व्यवस्था है जो अभी भी अलाइड ताकतों के अधीन है. राइषबुर्गरों के लिए सरकार, संसद, न्यायपालिका और सुरक्षा एजेंसियां सब विदेशियों द्वारा चलाई जा रही कठपुतलियां हैं.
पहला 'राइषबुर्गर' वोल्फगांग एबेल
जर्मन राइश अभी भी अस्तित्व में है यह सिद्धांत देने वाला पहला व्यक्ति वोल्फगांग एबेल था. एबेल बर्लिन की लोकल ट्रेन सेवा के लिए काम करता था. इसे पूर्वी जर्मनी की सरकार "डॉयचे राइषबान" के नाम से चलाती थी. 1980 में जब एबेल को नौकरी से निकाल दिया गया तो उसने कहा कि वो असल में राइष का अधिकारी था और उसे युद्ध के बाद बनी कोई संस्था निकाल नहीं सकती. अंत में वो सभी मुकदमे हार गया और रैडिकल बन गया.
क्या करते हैं राइषबुर्गर
राइशबुर्गर न टैक्स भरते हैं न जुर्माना. वो अपने घरों और अन्य निजी संपत्ति को जर्मन सरकार के अधिकार से बाहर स्वतंत्र संपत्ति मानते हैं और जर्मन संविधान और अन्य कानूनी दस्तावेजों को ठुकराते हैं. हालांकि इन्होंने जर्मन अदालतों में कई मुकदमे भी दायर किए हुए हैं. वो खुद अपने ही पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस आदि जैसे दस्तावेज जारी करते हैं.
कितना खतरा है इनसे
जर्मन खुफिया अधिकारियों के मुताबिक यह आंदोलन 1980 के दशक में शुरू हुआ था और यह एक असमान, नेतृत्वहीन आंदोलन है जिसके करीब 23,000 समर्थक हैं. इनमें से करीब 950 लोगों की धुर दक्षिणपंथी चरमपंथियों के रूप में पहचान हुई है. करीब 1,000 लोगों के पास बंदूक रखने का लाइसेंस है. कई तो यहूदी विरोधी विचारधारा का भी समर्थन करते हैं.
आंदोलन के सदस्य कौन हैं
जर्मन अधिकारियों के मुताबिक, औसत राइषबुर्गर 50 साल का है, पुरुष है और सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित है. आंदोलन के ज्यादातर सदस्य जर्मनी के दक्षिणी और पूर्वी हिस्सों में रहते हैं. मिस्टर जर्मनी ब्यूटी पेजेंट का पूर्व विजेता एड्रियन उर्साचे भी एक राइषबुर्गर है. उसे 2019 में एक पुलिस अधिकारी को गोली मारने और घायल करने के जुर्म में सात साल जेल की सजा दी गई थी.
नया मोड़
वोल्फगांग पी को 2017 में एक पुलिस अधिकारी की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा दी गई थी. इस मामले को एक नया मोड़ माना जाता है. वोल्फगांग पी पर एक राइषबुर्गर होने का आरोप था. एक बार जब हथियार बरामद करने के लिए पुलिस ने उसके घर पर छापा मारा तो उसने पुलिस पर गोलियां चला दीं. मामले ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचा और हिंसा के बढ़ने के खतरे को लेकर चिंताएं उत्पन्न की.
जर्मन सरकार इसके बारे में क्या कर रही है
जर्मन अधिकारियों पर लंबे समय से इस खतरे को कम समझने का आरोप लगता रहा है. 2017 में पहली बार जर्मनी की अंदरूनी खुफिया सेवा ने एक राइषबुर्गर द्वारा किए गए चरमपंथी अपराधों का खाका तैयार किया. तब से राइषबुर्गरों के खिलाफ कई छापे मारे जा चुके हैं और इनके उप-समूहों को बैन किया जा चुका है. पुलिस और सेना ने भी यह जानने के लिए छानबीन की है कि उनके बीच भी कहीं राइषबुर्गर तो नहीं हैं.
अंतरराष्ट्रीय समानताएं, षड़यंत्र सिद्धांत
राइषबुर्गरों को रूसी झंडे लहराते हुए देखा गया है जिससे आरोप लगे हैं कि उन्हें जर्मन सरकार को अस्थिर करने के लिए रूस से पैसे मिलते हैं. उनकी अमेरिका के "फ्रीमेन-ऑन-द-लैंड" जैसे समूहों से भी तुलना की जाती है, जो यह मानते थे कि उन पर वही कानून लागू होंगे जिनकी वो अनुमति देंगे और इस वजह से वो खुद को सरकार और न्याय के शासन से स्वतंत्र घोषित कर सकते हैं.
रिंगलीडर हाइनरिश तेरहवां, राजकुमार होएस
राजकुमार होएस उन राइषबुर्गर सहयोगियों के नेता थे जिन्होंने 2022 में तख्तापलट की योजना बनाई थी. होएस अपनी पुरानी जमीनें फिर से पाने के लिए दायर किए गए कई मुकदमे हार गए और फिर सार्वजनिक रूप से कहा कि मौजूदा लोकतांत्रिक संघीय गणराज्य का कोई आधार नहीं है. उन्होंने यहूदी विरोधी अलंकारों का इस्तेमाल किया और जर्मन शहंशाह काइजर को फिर से राजगद्दी पर बिठाने का सुझाव दिया. (समांथा अर्ली, रीना गोल्डनबर्ग)