जर्मनी में क्यों हो रहे हैं एक के बाद एक हमले
१४ फ़रवरी २०२५म्यूनिख में 13 फरवरी को एक अफगान शरणार्थी ने भीड़ पर कार चढ़ा दी. इसमें कम से कम 30 लोग घायल हो गए. बवेरिया के मुख्यमंत्री मार्कुस जोएडर ने इसे "संभावित हमला" बताया. 24 वर्षीय अफगान नागरिक द्वारा किए गए इस हमले से जर्मनी में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है, जहां पिछले दस महीनों में ऐसे छह हमले हो चुके हैं.
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब जर्मनी में 23 फरवरी को संघीय चुनाव होने वाले हैं और शुक्रवार से म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन शुरू हो रहा है, जिसमें अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वैंस और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की जैसे प्रमुख नेता शामिल होंगे. इस हमले ने कानून के राज और इमिग्रेशन नीतियों पर राजनीतिक बहस को तेज कर दिया है.
कोई योजनाबद्ध साजिश नहीं, लेकिन खतरा बढ़ा
काउंटर एक्सट्रीमिज्म प्रोजेक्ट के वरिष्ठ निदेशक हंस याकोब शिंडलर ने डॉयचे वेले से बातचीत में कहा कि जर्मनी में आतंकी हमलों की "लहर" चल रही है, लेकिन ये हमले आईएसआईएस या अल-कायदा जैसी किसी संगठन की संगठित साजिश का हिस्सा नहीं हैं. उन्होंने कहा, "यह आईएसआईएस या अल-कायदा जैसे किसी समूह का कोई मास्टरप्लान नहीं है, बल्कि, यह कई वैश्विक और घरेलू कारणों का परिणाम है."
शिंडलर के अनुसार, अफगानिस्तान, अफ्रीका और मध्य पूर्व जैसे संघर्ष क्षेत्रों से पश्चिमी सैन्य बलों की वापसी के कारण इस्लामी नेटवर्क को अधिक स्वतंत्रता मिल गई है. वह कहते हैं, "वे महसूस कर रहे हैं कि उन्होंने अफगानिस्तान में अमेरिकियों, अफ्रीका में फ्रांसीसी और संयुक्त राष्ट्र के सैनिकों को हरा दिया है और अब सीरिया में ईरान और रूस के खिलाफ जीत रहे हैं."
शिंडलर कहते हैं कि इस्लामी चरमपंथी गुट खुद को विजेता मान रहे हैं. उनके अनुसार एक और प्रमुख कारण सोशल मीडिया का अनियंत्रित माहौल है, जो संचार, कट्टरपंथ, फंडिंग और हमलों के समन्वय के लिए महत्वपूर्ण बन चुका है. उन्होंने कहा, "सोशल मीडिया कंपनियां मॉडरेशन को बेहतर करने के बजाय और खराब कर रही हैं."
चुनाव से पहले राजनीतिक उथल-पुथल
गुरुवार के हमले ने सुरक्षा और प्रवासन को लेकर राजनीतिक तनाव बढ़ा दिया है. कंजरवेटिव उम्मीदवार फ्रीडरिष मैर्त्स, जो चांसलर शॉल्त्स की जगह लेने के लिए प्रमुख उम्मीदवार हैं, कानून-व्यवस्था को अपनी प्राथमिकता बता रहे हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "हम कानून और व्यवस्था को लागू करेंगे. हर किसी को हमारे देश में सुरक्षित महसूस करना चाहिए. जर्मनी में कुछ बदलना होगा."
धुरदक्षिणपंथी अल्टरनेटिव फॉर डॉयचलैंड (एएफडी) की नेता अलीस वाइडेल ने भी इस घटना पर प्रतिक्रिया दी और आरोपी की अफगान नागरिकता पर जोर दिया. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "क्या यह हमेशा ऐसे ही चलेगा? अब प्रवासन नीति में बदलाव होना चाहिए!" वहीं, शॉल्त्स ने कहा कि अपराधी को कोई रियायत नहीं दी जाएगी, "उसे दंडित किया जाएगा और उसे देश छोड़ना होगा."
म्यूनिख हमला: अब तक क्या पता
पुलिस ने आरोपी की पहचान अफगानी मूल के फरहाद एन. के रूप में की है और पुष्टि की है कि वह जर्मनी में कानूनी रूप से रह रहा था. पहले बताया गया था कि वह अवैध आप्रवासी था. पुलिस के अनुसार, आरोपी ने एक सफेद मिनी कूपर कार को हड़ताली मजदूरों के प्रदर्शन में घुसा दिया, जिससे कम से कम 30 लोग घायल हो गए. एक पुलिस अधिकारी ने उस पर गोली चलाई, लेकिन वह बच गया और उसे मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया. उसके मकसद की जांच जारी है.
अभियोजक गाब्रिएले टिलमान ने कहा कि संदिग्ध ने पुलिस के सामने "अल्लाहू अकबर" कहा और फिर गिरफ्तारी के बाद प्रार्थना की. इस वजह से मामले की जांच का काम चरमपंथ और आतंकवाद विरोधी विभाग ने ले लिया है. पूछताछ में आरोपी ने स्वीकार किया कि उसने जानबूझकर प्रदर्शनकारियों की भीड़ पर गाड़ी चलाई थी और इसका एक ऐसा कारण बताया जिसे टिलमान ने "धार्मिक प्रेरणा" बताया. उन्होंने कहा, "जो जानकारी अभी हमारे पास है, उसके आधार पर मैं इसे इस्लामी चरमपंथ से प्रेरित कहने का जोखिम ले सकती हूं."
यह हमला हाल ही की अन्य हिंसक घटनाओं की कड़ी में शामिल हो गया है, जिसमें पिछले महीने अशाफेनबुर्ग में चाकू से हमला और दिसंबर में माग्देबुर्ग के क्रिसमस बाजार में हुआ हमला शामिल है. इन घटनाओं ने जनता में भय बढ़ा दिया है और चुनावी माहौल को और गर्म कर दिया है.
वीके/एमजे (एएफपी, रॉयटर्स)