बर्लिन वॉल ट्रेल: 160 किलोमीटर में बर्लिन की अद्भुत कहानी
शीत युद्ध के समय 28 सालों तक बर्लिन की दीवार ने पश्चिमी और पूर्वी बर्लिन को विभाजित रखा. दीवार तो 1990 में गिरा दी गई लेकिन इसके इतिहास को जिंदा रखने के लिए 160 किलोमीटर का एक ट्रेल आज भी मौजूद है.
यादगार दीवार
160 किलोमीटर लंबी इस यात्रा को कहीं से भी शुरू किया जा सकता है. पूरे रास्ते पर जगह जगह साइनपोस्ट लगे हैं. कई जगह सड़क में पत्थरों भी लगे हुए हैं जो बताते हैं कि यही वो जगह है जहां से कभी वो दीवार गुजरती थी.
बर्लिन दीवार स्मारक
बर्लिन दीवार स्मारक इस यात्रा को शुरू करने के लिए एक अच्छी जगह है. यह बरनाउएर स्ट्रीट पर है जहां कभी दीवार हुआ करती थी. यहां आप देख सकते हैं कि कैसे सीमा पर किलेबंदी की गई थी. यहां उन लोगों को श्रद्धांजलि भी दी जाती है जो पूर्वी बर्लिन से भाग निकले या निकलने की कोशिश में मारे गए.
पत्थर बताते हैं दीवार की जगह
सड़क के बीच लगे ये गोल पत्थर यह पहचानने में मदद करते हैं कि दीवार कहां पर हुआ करती थी. हालांकि पत्थरों से इस तरह के निशान सिर्फ कुछ ही स्थानों पर बनाए गए हैं. नौ नवंबर, 1989 को जब दीवार गिरी तो पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी के लोग इसके हर निशान को पूरी तरह से मिटा देने पर आतुर थे.
ब्रांडेनबर्ग गेट
रास्ते पर आप शहर के मध्य की तरफ बढ़ेंगे तो आगे चल कल आपको मिलेंगे सरकारी दफ्तरों वाले इलाके, स्प्री नदी और ऐतिहासिक ब्रांडेनबर्ग गेट. जब शहर विभाजित था तब यह इमारत एक तरह के नो-मैंस-लैंड में थी. आज यह पर्यटकों के लिए एक बड़ा केंद्र है.
चेकपॉइंट चार्ली
चेकपॉइंट चार्ली आज भी पूर्वी और पश्चिमी बर्लिन के बीच एक तरफ से दूसरी तरफ जाने के सबसे मशहूर स्थानों में से है. आज पर्यटक यहां तस्वीरें खिंचवाने के लिए जरूर रुकते हैं. यहां एक नकली साइन बोर्ड भी लगा हुआ है, जिस पर लिखा है, "आप अमेरिकी सेक्टर छोड़ कर जा रहे हैं."
पोट्सडामर प्लाट्ज का वॉच टावर
दीवार के इर्द गिर्द 300 से ज्यादा वॉचटावर लगे हुए थे, जिन पर खड़े हो कर पूर्वी जर्मनी के सीमा रक्षक भाग कर निकल जाने की कोशिश करने वालों को पकड़ लेते थे. पोट्सडामर प्लाट्ज के पास यह मीनार उन चंद मीनारों में से है जिन्हें तोड़ा नहीं गया. यह मीनार अब एक ऐतिहासिक इमारत के रूप में जानी जाती है.
ईस्ट साइड गैलरी
ईस्ट साइड गैलरी ऐसी जगह है जहां आपका ध्यान चला ही जाएगा. यहां देवार का 1.3 किलोमीटर का एक अंश है जिस पर 1990 में अंतरराष्ट्रीय कलाकारों ने कई रंगीन भित्ति चित्र बनाए थे. यह दुनिया की सबसे बड़ी ओपन एयर गैलरियों में से है. लियोनिद ब्रेजनेव और एरिक होनेकर के एक दूसरे का चुंबन लेती हुई यह तस्वीर इसके सबसे जाने माने भित्त चित्रों में से है.
ग्लीनिक पुल
यह रास्ता शहर के मुख्य इलाकों से होते हुए बाहर के इलाकों से होते हुए पोट्सडाम के ग्लीनिक पुल तक पहुंचता है, जहां शीत युद्ध के समय जासूसों की अदला बदली की जाती थी. 1962 में इसी जगह पर केजीबी के एक एजेंट और एक अमेरिकी पायलट की अदला बदली की गई थी. स्टीवन स्पीलबर्ग की 2015 में बनी फिल्म "ब्रिज ऑफ स्पाइज" इसी घटना पर आधारित है.
हेनिंग्सडॉर्फ वॉच टावर संग्रहालय
रास्ते का एक बड़ा हिस्सा शहर के इर्द गिर्द के जंगलों वाले इलाकों से हो कर गुजरता है. बर्लिन से करीब 20 किलोमीटर दूर हवेल नदी के किनारे स्थित हेनिंग्सडॉर्फ में इस वॉच टावर में एक संग्रहालय है, जहां बर्लिन वॉल के इतिहास को संजो कर रखा गया है. यहां प्रवेश निशुल्क है.
पंको के चेरी पेड़
शहर में वापस लौटने पर पंको में चेरी के पेड़ों के बीच से होकर गुजरता यह रास्ता आपका स्वागत करेगा. यहां सबसे शानदार नजारा अप्रैल में नजर आता है जब इन पेड़ों पर बहार आई होती है. जापान ने इस तरह के करीब 10,000 पेड़ जर्मनी को भेंट में दिए थे, ताकि "लोगों के दिलों में अमन आ सके." इन्हें दीवार के कई हिस्सों में लगाया गया.