भारत में टेस्ला के सामने क्या मुश्किलें होंगी
२४ फ़रवरी २०२५अमेरिका की इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली कंपनी टेस्ला ने पिछले हफ्ते भारत में लोगों को नौकरी देना शुरू कर दिया. कंपनी ने पिछले हफ्ते अपनी वेबसाइट पर दर्जनों नौकरियों के लिए विज्ञापन दिए हैं. इनमें दिल्ली और मुंबई के लिए स्टोर मैनेजर और सर्विस टेक्नीशियन की नौकरियां भी शामिल हैं.
नौकरियों की घोषणा कंपनी के सीईओ इलॉन मस्क की हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वॉशिंगटन में हुई अकेले में मुलाकात के बाद आई है.
पैसे वापस ले रहे हैं आठ साल पहले टेस्ला बुक करने वाले भारतीय
टेस्ला दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश और एक विशाल अर्थव्यवस्थामें घुसने के लिए बीते कुछ सालों से कोशिश कर रही है. मीडिया रिपोर्टों में पिछले साल कहा गया था कि कंपनी भारत में फैक्टरी और शोरूम के लिए जगह ढूंढ रही है.
भारत में इलेक्ट्रिक कारों का बाजार काफी छोटा है, लेकिन फिर भी यह टेस्ला के लिए विकास का मौका बन सकता है. खासतौर से चीन की इलेक्ट्रिक कारों से मिलती चुनौती और पहली बार बीते साल इसकी इलेक्ट्रिक कारों की सालाना बिक्री में आई गिरावट को देखते हुए.
एक प्रमुख और उभरता बाजार
भारत आकार के हिसाब से दुनिया में गाड़ियों का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है. उद्योग जगत से जुड़े लोग और अर्थशास्त्री मानते हैं कि यहां विकास के लिए अभी पर्याप्त संभावनाएं मौजूद हैं.
मोदी सरकार भी चाहती है कि बैटरी से चलने वाली गाड़ियां 2030 तक नई गाड़ियों की सालाना बिक्री का कम से कम 30 फीसदी हिस्सा जरूर हों. यह लक्ष्य देश को इलेक्ट्रिक कारों के लिहाज से एक बड़ा बाजार और इलाके में निर्यात का एक बड़ा केंद्र बनाता है.
हालांकि इन सारी उम्मीदों के बावजूद बैटरी ओके टेक्नोलॉजीज के सीईओ शुभम मिश्रा का कहना है कि चुनौतियां बहुत हैं. शुभम मिश्रा की कंपनी इलेक्ट्रिक कारों के क्षेत्र में उन्नत बैटरिओं पर काम करती है.
क्या टेस्ला से यूरोप को दूर कर रहा है इलॉन मस्क का रवैया
उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "टेस्ला की मौजूदा कीमतों की शुरुआत लगभग 40,000 डॉलर से शुरू होती है जो भारतीय बाजार के हिसाब से किफायत की सीमा से बहुत दूर है. यहां 80 फीसदी कारें 15,000 डॉलर से कम कीमत पर बेची जाती हैं."
मिश्रा ने यह भी कहा, "कीमत के लिहाज से प्रतिद्वंद्वी मॉडल विकसित करना बहुत जरूरी होगा, 30,000 डॉलर से कम कीमत पर, इसके साथ ही पूरा ध्यान इस पर रखना होगा कि बैटरी की गुणवत्ता से समझौता ना हो वो भी भारत के चरम पर्यावरणीय हालातों में, इसमें तापमान का 40 डिग्री से ऊपर जाना भी शामिल है.
प्रीमियम कारों में शामिल होने की वजह से टेस्ला शायद भारतीय कार कंपनियों के बड़े बाजार को प्रभावित ना करे लेकिन इसे बीएमडब्ल्यू और मर्सिडिज जैसी दूसरी लग्जरी कार कंपनियों से जरूर चुनौती मिलेगी.
मिश्रा का कहना है कि टाटा मोटर्स जैसी स्थानीय कंपनियां भी टेस्ला के सामने बड़ी प्रतिद्वंद्वी होंगी. फिलहाल भारत की इलेक्ट्रिक कारों के बाजार में टाटा मोटर्स की हिस्सेदारी 70 फीसदी से ज्यादा है. इसके साथ ही भारतीय सड़कों की स्थिति कारों के टिकाऊ होने में सबसे बड़ी बाधा हैं.
इलेक्ट्रिक कार बनाने वालों की चुनौतियां और फायदे
भारत ने लंबे समय तक इलेक्ट्रिक कारों पर भारी आयात शुल्क लगाए रखा. इसके नतीजे में टेस्ला भारतीय बाजार में नहीं दाखिल हो सकी. उसके पास स्थानीय उत्पादन की सुविधा नहीं थी.
पिछले साल भारत ने दुनिया भर की इलेक्ट्रिक कारों के भारत में उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया. इस नीति के तहत दुनिया भर की इलेक्ट्रिक कारों के लिए आयात शुल्क में कटौती की गई. इसके लिए उन्हें भारत में 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर के निवेश का वचन देना है और साथ ही तीन साल के भीतर स्थानीय स्तर पर उत्पादन शुरू करने की शर्त रखी गई है.
इस कदम को टेस्ला के लिए एक प्रोत्साहन के रूप में देखा गया जो पहले आयातित कारों के साथ बाजार को परखने के बाद यहां प्लांट स्थापित कर सकती है.
हालांकि यह नीति इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली सभी कंपनियों के लिए है. वियतनाम की कार कंपनी विनफास्ट ने इस साल पहले ही 2 अरब डॉलर का निवेश कर भारत में इलेक्ट्रिक कार की फैक्ट्री लगाने की योजना का एलान किया है.
इस महत्वाकांक्षी योजना के बावजूद भारत में चार्जिंग के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करना इन कारों के बाजार के लिए एक बड़ी बाधा है. हाल के वर्षों में इलेक्ट्रिक कारों की चार्जिंग का नेटवर्क भारत में बढ़ा है. 2022 में यहां महज 1,800 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन थे. 2024 के मध्य में इनकी संख्या 16,000 के पार चली गई.
हालांकि भारत में इलेक्ट्रिक कारों का व्यापक तौर पर इस्तेमाल बढ़ाने के लिए यह संख्या भी पर्याप्त नहीं है. इसके साथ ही फास्ट चार्जर इंस्टॉल करना और ग्रिड अपग्रेड करना महंगा है जो इनकी संख्या बढ़ाने के मार्ग में बड़ी बाधा है.
लीगल टेक स्टार्टअप लीगलविज डॉट इन के संस्थापक श्रीजय शेठ का कहना है, "इलेक्ट्रिक कारों के सेगमेंट में यह एक बड़ा और प्रमुख मुद्दा है और टेस्ला ने पहले ही इन समस्याओं की पहचान कर ली है और उनके समाधान के लिए सुपरचार्जिंग नेटवर्क तैयार करने के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रही है."
शेठ ने यह उम्मीद भी जताई कि टेस्ला के भारत में आने से इस सेक्टर को वह प्रोत्साहन मिलेगा जिसकी उसे बहुत जरूरत है.
फायदे का सौदा
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स के पूर्व निदेशक दिलीप शेनॉय की राय भी कुछ ऐसी ही है.
उनका कहना है कि टेस्ला की इलेक्ट्रिक कारों के साथ भारत में बेहतरीन तकनीक भी आएगी, इससे ग्राहकों के सामने विकल्प बढ़ेंगे और प्रतिद्वंद्विता भी शुरू होगी.
शेनॉय ने डीडब्ल्यू से कहा, "भले ही भारतीय ग्राहकों के लिए गाड़ियों की कीमत, स्थानीय जरूरतों को पूरा करना और चार्जिंग के बुनियादी ढांचे को तैयार करने की चुनौतियां रहेंगी लेकिन कुछ सकारात्मक बातें भी हैं.
उन्होंने जोर देकर कहा, "यह टेस्ला और भारत दोनों के लिए फायदे का सौदा है, यह बाजार को बढ़ाएगा और एक नया उत्पादन केंद्र होगा जिसके सामने शुल्क उतनी बड़ी बाधा नहीं. भारत के लिए यह विदेशी निवेश, तकनीक और इलेक्ट्रिक कारों के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम बनाएगा जिसमें ग्राहकों के लिए ज्यादा विकल्प होंगे."