महाकुंभ में मची भगदड़ में 30 लोगों की मौत हुई हैः प्रशासन
२९ जनवरी २०२५महाकुंभ मेला क्षेत्र के डीआईजी वैभव कृष्ण ने यह जानकारी दी है. बुधवार देर शाम उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर हादसे में हताहत हुए लोगों की जानकारी दी. इससे पहले मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बुधवार 29 जनवरी को सुबह दो बजे के आस पास प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ में भगदड़ मच गई. कई लोगों के घायल होने की खबर है. इसी के साथ कुछ लोगों के मारे जाने की भी खबरें आ रही हैं, लेकिन प्रशासन की तरफ से आंकड़े आने में काफी ज्यादा वक्त लगा.
यह मौनी अमावस्या का दिन है, यानी महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सबसे पवित्र दिनों में से एक. अंदाजा था कि इस दिन करीब 10 करोड़ लोग संगम में डुबकी लगाने के लिए पहुंचेंगे.
संगम से दूर रहने की हिदायत
लेकिन भगदड़ की खबरें आने के बाद प्रशासन ने श्रद्धालुओं को संगम से दूर रहने के लिए कहा है. लोगों से अपील करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर लिखा, "मां गंगा के जिस घाट के आप समीप हैं, वहीं स्नान करें, संगम नोज की ओर जाने का प्रयास न करें."
संगम नोज यानी संगम के तट का वो इलाका जिसके बाद संगम शुरू हो जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार संगम में डुबकी लगाने से पापों से मुक्ति मिलती है, जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है.
इसी वजह से कुंभ के दौरान संगम के आस पास नहीं बल्कि ठीक संगम में ही डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं में होड़ लगी रहती है. लोगों का मानना है कि इस बार महाकुंभ के दौरान ग्रहों का जो योग बना है वो 144 सालों में एक बार आता है, इसलिए लोगों में इस महाकुंभ में संगम में डुबकी लगाने का विशेष रूप से चाव दिख रहा है.
कई लोगों के मारे जाने की आशंका
समाचार एजेंसियों के मुताबिक मेला स्थल पर ही बने अस्थायी अस्पताल के बाहर परेशान परिवारों का तांता लगा हुआ है जो अपने लापता रिश्तेदारों के बारे में पूछताछ कर रहे हैं. बचावकर्मी घायल लोगों को अस्पताल तक पहुंचा रहे हैं और पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है.
जहां भगदड़ मची थी उस जगह के आस पास कपड़े, कंबल, बैग और दूसरा सामान बिखरा पड़ा है. अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि भगदड़ का कारण क्या था और कितने लोग घायल हुए हैं. समाचार एजेंसी एपी ने कुछ स्थानीय वेबसाइटों के हवाले से कहा कि 10 लोगों की मौत हो गई है. कुछ रिपोर्टों में महाकुंभ की व्यवस्था पर उंगलियां भी उठ रही हैं.
स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि असली आंकड़ा इससे कहीं बड़ा होने की आशंका है. आरोप यह भी लग रहे हैं कि प्रशासन मीडिया को हालात दिखाने से रोकने की कोशिश कर रहा है.
एक स्थानीय पत्रकार ने डीडब्ल्यू को बताया कि भगदड़ के समय जितने पत्रकार संगम नोज के पास मौजूद थे, प्रशासन ने उनमें से कई के कैमरे जब्त कर लिए हैं. फिर भी कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें लोग इधर उधर भागते हुए, बैरिकेडों को लांघ कर जाते हुए नजर आ रहे हैं.
प्रशासन के इंतजाम पर सवाल
कुछ तस्वीरों में पुलिसकर्मी घायल लोगों को स्ट्रेचर पर और एम्बुलेंस में ले जाते भी नजर आ रहे हैं. प्रशासन का घटना के बारे में सही और स्पष्ट जानकारी ना देना, लोगों की उलझन बढ़ा रहा है.
हालांकि मुख्यमंत्री ने यह माना है कि सुबह एक से दो बजे के बीच हुई इस घटना में कुछ लोग "गंभीर रूप से घायल" हुए हैं और उनका इलाज कराया जा रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि लोगों के दबाव को देखते हुए अखाड़ों ने अपना स्नान रद्द कर दिया है और कहा है कि पहले श्रद्धालु स्नान कर लें और उसके बाद अखाड़े स्नान करेंगे.
लेकिन इस घटना से प्रशासन की तैयारी पर सवाल उठ रहे हैं. मुख्यमंत्री के मुताबिक इस समय आठ से 10 करोड़ लोग प्रयागराज में मौजूद हैं और तीन करोड़ लोग स्नान करके वापस लौट रहे हैं.
इतनी बड़ी संख्या में लोगों की आवाजाही के लिए पूरे राज्य के पुलिसकर्मियों और अर्धसैनिक बालों को मेला स्थल पर तैनात किया गया है. भीड़ के नियंत्रण के लिए पुलिस की एक टुकड़ी घोड़ों पर सवार हो कर भी मेला स्थल में मौजूद रहती है. साथ ही लोगों की आवाजाही नियंत्रित रहे इस पर एआई कैमरों से भी भी लगातार नजर रखी जा रही है.
लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्टों ने दावा किया है कि कई लोग सुबह के इंतजार में संगम जाने के रास्ते पर ही सो गए थे. सुबह जब स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ संगम की तरफ बढ़ी तो रास्ता अवरुद्ध होने की वजह से भगदड़ मच गई.