इस सब्जी के बगैर जर्मनी में वसंत नहीं आता
जर्मनी में एस्परेगस का मौसम आ गया है. एक तरह से यह वसंत के आने की अनाधिकारिक शुरुआत का संकेत है. जर्मन लोगों में इस सब्जी को लेकर जो दीवानगी है वह और किसी सब्जी के लिए नहीं दिखती.
एस्परेगस पर फिदा जर्मनी
एस्परेगस को पिघले हुए मक्खन के साथ खाया जाए या फिर होलैंडाइज सॉस के साथ. स्मोक्ड हैम के साथ परोसा जाए या फिर श्नित्सेल के साथ. एक तरीका उबले, छीले आलुओं के बीच बेकन और प्याज के साथ फ्राई करके पेश करने का भी है. एस्परेगस खाने के ऐसे कई तरीके हैं और भोजन में कम दिलचस्पी रखने वाले जर्मन इन पकवानों पर घंटो चर्चा कर सकते हैं.
खाने के तरीके
जर्मनी में एस्परेगस को लेकर इस बात पर भी चर्चा होती है कि इसे शाखों के साथ हाथ से खाया जाए या फिर केवल छूरी कांटे से. पारंपरिक तरीका कहता है कि अगर आप अपनी ऊंगलियों को गर्म पानी की कटोरी में डुबोने के बाद इसे सीधे हाथ से भी उठा लें तो भोजन की कुलीन रिवाजों का उल्लंघन नहीं होता.
राजा है हरा एस्परेगस
एस्परेगस के मामले में एक बात पर सभी जर्मन लोग रजामंद हैं कि उनकी पसंदीदा सब्जी में हरे एस्परेगस का मुकाबला सफेद एस्परेगस नहीं कर सकता. हरे एस्परेगस के सामने लोग सफेद एस्परेगस की अनदेखी या अवहेलना करने को भी तैयार रहते हैं.
जर्मनी के लिए सफेद सोना है एस्परेगस
एस्परेगस उगाने के लिए मशहूर इलाकों में एक जगह बेइलित्ज भी है. यह राजधानी बर्लिन के दक्षिण-पश्चिम में महज 50 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां के किसान बताते हैं कि अप्रैल की शुरुआत में जब सीजन की शुरुआत होती है तो यह 20 यूरो प्रति किलो तक के भाव पर बिकता है. जून के महीने में जब मौसम खत्म होने वाला होता है तब भी इसकी कीमत 10 यूरो प्रति किलो तक रहती है.
सब्जी नहीं उत्सव है एस्परेगस
करीब 25 हेक्टेयर में एस्परेगस उगाने वाले किसान युर्गेन याकोब्स कहते हैं कि यह सब्जी नहीं जीने का एक तरीका है. उनका कहना है कि एस्परेगस खाना एक उत्सव है. उनके फार्म में मौजूद रेस्तरां में अकसर लोग एस्परेगस के साथ यह उत्सव मनाते हैं. उनके रेस्तरां के मेहमान अपने परिवार और दोस्तों के साथ इसका लुत्फ उठाने यहां आते हैं.
वसंत के आगमन का संकेत
सर्दियों के खत्म होते ही जब जर्मनी में आलस में डूबी प्रकृति हाथ पांव झाड़ कर अंगड़ाई लेती है तो हर तरफ हरियाली और रंगों की आपाधापी शुरू हो जाती है. रंगों के इस मेले में एक रंग एस्परेगस का भी आता है जो इस मौसम की पहली सब्जी है. रेस्तरां से लेकर घरों की रसोइयों में इसकी खुशबू उड़ने लगती है और लोग कहते हैं आ गया वसंत.
इतिहास में एस्परेगस
प्राचीन रोमन इस सब्जी को कामोत्तेजक मानते थे. रोमन ही इसे मध्य यूरोप में लेकर आए थे. शुरुआत में तो इसे सिर्फ मोनेस्ट्री के बागों में ही उगाया जाता था. इतना ही नहीं मध्ययुग में तो सिर्फ शाही परिवार या कुलीन लोगों को ही यह खाने के लिए मिलता था. 19वीं सदी के बाद से किसानों ने इसे खेत में उगाना शुरू किया और तब यह आमलोगों की पहुंच में आया. हालांकि आज भी इस सब्जी में पुरानी कुलीनता का कुछ अंश बाकी है.
बलुई मिट्टी भाती है
एस्परेगस की शाखें बलुई जमीन पर फलती फूलती हैं. इसकी वजह से इन्हें अनोखा मीठा और कुछ कुछ मेवे जैसा स्वाद मिलता है. सफेद एस्परेगस को जमीन के नीचे प्लास्टिक की चादरों के अंदर छिपा कर उगाया जाता है. सूरज की रोशनी पड़ते ही इनका रंग बैंगनी होते हुए, हरा और फिर आखिर में भूरा हो जाता है. रंगों के साथ ही इनके स्वाद की भी यात्रा चलती है और खुशबू भी जो आखिर में थोड़ी कड़वी हो जाती है.
कितना एस्परेगस खाते हैं जर्मन
जर्मन लोग सफेद एस्परेगस खाने के मामले में वर्ल्ड चैंपियन हैं. हर आदमी प्रतिवर्ष लगभग तीन पाउंड एस्परेगस खा जाता है. पिछले साल जर्मन सांख्यिकी कार्यालय के मुताबिक कुल 105,000 मीट्रिक टन एस्परेगस पैदा हुआ था. हालत यह है कि ये सारा एस्परेगस यहां के लोग खुद ही खा जाते हैं और इसका निर्यात नहीं होता. जर्मन भाषा में इसे स्पार्गल कहा जाता है
बाहर से भी खूब आता है एस्परेगस
जर्मन लोग अपनी सब्जी भले बाहर ना भेजें लेकिन विदेशों से आयात खूब करते हैं. स्पेन और इटली के किसान इसे निर्यात करने के लिए ही उगाते हैं और जर्मनी में इनकी खूब बिक्री होती है. आयात हुआ एस्परेगस ज्यादातर सुपरमार्केट में बिकता है और घरेलू एस्परेगस की तुलना में सस्ता होता है. हालांकि यहां के किसान उसके स्वाद को उतना अच्छा नहीं मानते.
सफेद और हरे का फर्क
सफेद एस्परेगस को पानी में एक चम्मच नमक और चीनी डाल कर भाप पर पकाया जाता है. ग्रीन एस्परेगस से उलट इसे पकाने से पहले छीलने की जरूरत पड़ती है. पारंपरिक रूप से घर की महिलाएं साथ बैठकर घंटो तक कई किलो एस्परेगस छीलती और गप्प करती थीं. अब तो कई सुपरस्टोर छीले हुए एस्परेगस भी बेचते हैं. इससे इन्हें बनाने में कम समय लगता है.
पोषक तत्व
आधा कप पके हुए एस्परेगस में करीब 20 कैलोरी, 0.2 ग्राम फैट, 1.8 ग्राम फाइबर, 2.2 ग्राम प्रोटीन और 3.7 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है. कम कैलोरी की वजह से सेहत के विशेषज्ञ इसे खाने की सलाह देते हैं. तो फिर सोचना क्या है फार्म वाली दुकानों से इसे ताजा खरीदिए, छीलिए, पकाइए और फिर परिवार के साथ मिल कर खाइए. यही तो है वसंत यानी एस्परेगस का उत्सव.