चांद की सतह पर पानी का पता लगाएगा यह यान
२६ फ़रवरी २०२५लूनर ट्रेलब्लेजर यान को अमेरिका के फ्लोरिडा में स्थित नासा के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा. यान में आधुनिक तकनीक से लैस एक कैमरा लगाया गया है जिसे चांद की सतह का तापमान मापने के लिए डिजाइन किया गया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि पानी कहां पर हो सकता है.
इसे ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने डिजाइन किया है. विश्वविद्यालय के फिजिक्स विभाग में इंस्ट्रूमेंट साइंटिस्ट प्रोफेसर नील बाउल्स ने बताया कि मिशन "चांद के वॉटर साइकिल को समझने में लाभकारी होगा और यह भविष्य में संभावित मानवीय खोजों के लिए भी महत्वपूर्ण है."
पानी का मानचित्र
2009 में भारतीय और अमेरिकी यानों द्वारा जल मिश्रित खनिजों की निशानियों का पता लगाने के बाद से वैज्ञानिकों को चांद पर पानी के होने का अनुमान रहा है. प्रोफेसर बाउल्स ने कहा, "हालांकि यह तुलनात्मक रूप से एक छोटा यान है, करीब 200 किलो वजन का. इसके वैज्ञानिक लक्ष्य बेहद महत्वपूर्ण हैं."
उन्होंने आगे कहा, "हमें लगता है कि चांद के ध्रुवों पर बर्फ के रूप में पानी है और सतह पर भी पानी की बेहद पतली परत हो सकती है." उन्होंने यह भी कहा कि "लूनर ट्रेलब्लेजर अंतरिक्ष यान का मिशन इसके मानचित्र को बनाना और इसे समझना है."
यान को गुरुवार 27 फरवरी को स्पेसएक्स के फाल्कन नाइन रॉकेट पर लॉन्च किया जाएगा. लॉन्च विंडो चार दिन की है. यात्रा में उसका साथ देगा "इन्टुइटिव मशीन" कंपनी का निजी एथेना चंद्रयान और एक एस्टेरॉयड खनन कंपनी द्वारा बनाया गया एक खोजी यान.
ट्रेलब्लेजर का इंजन तुलनात्मक रूप से छोटा है, इसलिए सैटलाइट फाल्कन नाइन रॉकेट से अलग होने के बाद चांद तक पहुंचने के लिए सूरज, चांद और धरती के गुरुत्वाकर्षण का इस्तेमाल करेगा. लूनर थर्मल मैपर (एलटीएम) कैमरा यान पर मौजूद दो उपकरणों में से एक होगा. इस कैमरे को ऑक्सफर्ड के वैज्ञानिकों ने 39 लाख डॉलर की फंडिंग की मदद से बनाया, जो उन्हें यूके अंतरिक्ष एजेंसी और अमेरिकी सरकार के विज्ञान, इनोवेशन और तकनीक विभाग से मिली.
महामारी में काम कर रही थी टीम
एलटीएम कैमरा चांद की सतह पर तापमान मापने का काम करेगा और एचवीएमथ्री नाम का एक उपकरण यह मापेगा कि पानी की परतें सूरज की रौशनी को कैसे सोखती और प्रतिबिंबित करती हैं. इस उपकरण को नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने बनाया है.
प्रोफेसर बाउल्स को उम्मीद है कि मिशन मिट्टी के रसायन के बारे में जानकारी हासिल कर पाएगा जिससे यह पता चल सके कि पानी की जितनी मात्रा वहां मौजूद है, वह इस्तेमाल करने लायक है या नहीं और वहां "रासायनिक प्रक्रियाएं हैं या नहीं ताकि हम जरूरत पड़ने पर और पानी बना सकें."
उन्होंने यह भी बताया, "टीम ने इस उपकरण को बनाने के लिए बहुत मेहनत की और महामारी के दौरान एक बेहद चुनौतीपूर्ण वातावरण में बहुत काम किया...लेकिन अंत में हम सफल हो ही गए, जो सबसे जरूरी बात है और अब हम चांद पर जाने के लिए तैयार हैं."
सीके/वीके (डीपीए)