धरती पर जल्द गिर सकता है 53 सालों से चक्कर लगा रहा यान
२ मई २०२५कॉस्मॉस 482 नाम के इस अंतरिक्ष यान को 1972 में सोवियत संघ ने लॉन्च किया था. यह उस समय शुक्र तक पहुंचने के लिए लॉन्च किए गए कई मिशनों में से एक था. लेकिन रॉकेट में खराबी की वजह से यह यान कभी धरती की कक्षा से बाहर ही नहीं निकल सका.
इसका अधिकांश हिस्सा तो एक दशक के भीतर गिर गया था, लेकिन कई जानकारों का मानना है कि करीब तीन फुट के व्यास वाला उसका लैंडिंग कैप्सूल पिछले 53 सालों से एक बेहद अंडाकार कक्षा में धरती की परिक्रमा करते हुए धीरे धीरे नीचे आ रहा है.
क्या इसके गिरने से कोई खतरा है?
अंतरिक्ष को ट्रैक करने वाले जानकारों के मुताबिक अभी यह कहना मुश्किल है कि धातु से बना करीब 500 किलो वजनी, यह यान कहां गिरेगा या पृथ्वी के वायुमंडल में दोबारा प्रवेश करते समय इसका कितना हिस्सा बच पाएगा.
डच वैज्ञानिक मार्को लैंग्ब्रोक का अनुमान है कि यह यान 10 मई के आस पास वायुमंडल में फिर से प्रवेश करेगा. उनकी गणना के मुताबिक, अगर वह बच गया तो 242 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से धरती पर गिरेगा.
लैंग्ब्रोक ने समाचार एजेंसी एपी को ईमेल में बताया, "इससे थोड़ा खतरा तो है लेकिन हमें ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है." उन्होंने बताया कि यह तुलनात्मक रूप से छोटा ही है और अगर वो नष्ट नहीं भी होता है तो भी "खतरा एक उल्कापिंड के गिरने जैसा ही है, जो कि साल में कई बार गिरते हैं. इससे ज्यादा जोखिम आपके ऊपर बिजली गिरने का होता है."
उन्होंने यह भी कहा कि ऑब्जेक्ट किसी चीज पर या किसी व्यक्ति पर गिरे इसकी संभावना भी कम है, लेकिन "इसे पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता."
हीट शील्ड की भूमिका पर है नजर
लैंग्ब्रोक ने बताया कि कॉस्मॉस 482 को शुक्र की कार्बन डाइऑक्साइड से भरी हुई सतह पर उतरने के लिए डिजाइन किया गया था. जानकारों को संदेह है कि इतने सालों बाद यान का पैराशूट सिस्टम शायद काम ना करे. इतने दशकों तक कक्षा में रहने के बाद हो सकता है कि हीट शील्ड भी ठीक से काम ना कर रही हो.
हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के जॉनथन मैकडोवेल ने एक ईमेल में बताया कि हीट शील्ड फेल होना सबसे अच्छा रहेगा, क्योंकि उससे यान वायुमंडल में दाखिल होने के दौरान ही जलकर नष्ट हो जाएगा.
उन्होंने आगे जोड़ा कि अगर हीट शील्ड बची रही तो "वह पूरी की पूरी वायमंडल में प्रवेश करेगी और आपको आसमान से गिरती आधे टन की धातु की एक वस्तु का सामना करना पड़ेगा."
लैंग्ब्रोक ने बताया कि यान 51.7 डिग्री उत्तरी और दक्षिणी अक्षांश (लैटीट्यूड) के बीच कहीं भी गिर सकता है, यानी लंदन और अल्बर्टा के एडमंटन से लेकर दक्षिण अमेरिका के केप हॉर्न के बीच कहीं भी. चूंकि धरती का अधिकांश हिस्सा पानी से भरा है इसलिए, "काफी संभावना है कि यह किसी ना किसी समुद्र में ही गिरेगा."