पोप फ्रांसिस के कुछ बेबाक और संवेदनशील बयान
समलैंगिकता, महिला अधिकार और चर्च में हुए बच्चों के यौन शोषण पर रोमन कैथोलिक चर्च की भौहें तन जाती थीं. लेकिन पोप फ्रांसिस ने इस झिझक को तोड़ा. कई मौकों पर वे धर्मगुरु के बजाए एक संवेदनशील इंसान की तरह बोले.
मानवाधिकारों पर
"मानवाधिकारों का उल्लंघन सिर्फ आतंकवाद, सताने या हत्याकांडों से नहीं होता, बल्कि गहरी असमानता पैदा करने वाला गलत आर्थिक ढांचा भी इसका हनन करता है."
समलैंगिकता पर
"अगर कोई समलैंगिक है और सद्भावना से ईश्वर को खोजता है तो उसे परखने वाला मैं कौन होता हूं? हमें इसके चलते लोगों को हाशिए पर नहीं डालना चाहिए. उन्हें समाज में अच्छी तरह शामिल करना चाहिए."
महिलाओं पर
सदियों से वैटिकन के उच्च पद महिलाओं के लिए बैन थे. लेकिन पोप फ्रांसिस ने इस रुढ़ि को तोड़ते हुए कई महिलाओं को चर्च में उच्च पदों पर नियुक्त किया. पोप फ्रांसिस ने खुलकर कहा, "महिलाओं के पास जीवन देने की क्षमता वाला महान तोहफा है, उनके पास कोमल होने और शांति व उल्लास बिखेरने की क्षमता है." और उनके बिना चर्च अधूरा है.
आर्थिक असमानता पर
"इन दिनों दुनिया में बहुत गरीबी है और यह एक स्कैंडल है क्योंकि हमारे पास इतने सारे अमीर लोग हैं और संसाधन सबको दिए गए हैं. हम सबको सोचना होगा कि हम कैसे थोड़े गरीब बन सकते हैं."
चर्च के बाल यौन शोषण पर
पोप फ्रांसिस ऐसे पहले पोप थे, जिन्होंने खुलकर कैथोलिक चर्च में हुए बाल यौन अपराधों को स्वीकारा. उन्होंने शोषण के कई आरोपी पादरियों और बिशपों की छुट्टी की. पोप ने इन मामलों पर कहा कि चर्च को "शर्मिंदा होना चाहिए."
ईशनिंदा पर
"ये कहना कि आप ईश्वर के नाम पर किसी की हत्या कर सकते हैं, यही ईशनिंदा है."
चर्च के पदाधिकारियों पर
"ऐसे चरवाहे बनो जिससे भेड़ों की गंध आए." इस संदेश के जरिए चर्च के पादरियों, बिशपों और अन्य अधिकारियों से पोप ने कहा कि वे विशिष्ट व्यक्ति बनने के बजाए आम लोगों के बीच जाएं और उनसे घुलें मिलें.
ईसाई धर्म पर
"मैं अपने कर्मचारियों को सही तनख्वाह नहीं देता हूं, मैं लोगों का शोषण करता हूं, मैं गंदा व्यापार करता हूं. मैं पैसे की हेराफेरी करता हूं और एक दोहरा जीवन जीता हूं. ऐसे बहुत सारे कैथोलिक हैं जो ऐसा ही करते हैं और स्कैंडल करते हैं. हमने कितनी बार लोगों को यह कहते हुए सुना है कि अगर ये शख्स कैथोलिक है तो इससे बेहतर है नास्तिक होना."
पर्यावरण पर
"हमें जैव विविधता के उजड़ने और इकोसिस्टमों के तबाह होने के प्रति उदासीन नहीं होना चाहिए. ऐसा अक्सर गैरजिम्मेदाराना और स्वार्थी व्यवहार के कारण होता है. सिर्फ हमारी वजह से हजारों प्रजातियां वो चमक नहीं बिखेर सकेंगी, जिसके लिए ईश्वर ने उन्हें बनाया है. हमें ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है."
राजनीति पर
"एक व्यक्ति जो सिर्फ दीवारें बनाने के बारे में सोचता हो, चाहे वो जहां भी हों और वह पुल बनाने के बारे में ना सोचता हो, वह ईसाई नहीं है."
नई पीढ़ी से आशा
"यह बूढ़ा आदमी आपसे (यूनिवर्सिटी के छात्रों से) बात कर रहा है. इस बूढ़े इंसान के भी सपने हैं कि एक दिन आप लोग शिक्षकों की एक पीढ़ी बनेंगे. मानवता के शिक्षक, करुणा और उम्मीद के टीचर."
नृत्य और कला पर
"मैं टैंगो (अर्जेंटीना का डांस) से मोहब्बत करता हूं और जब मैं जवान था तब मैं ये डांस करता था."