भूख से सूख-सूख कर मरते बच्चे
बच्चे भूख से सूख-सूख कर मरते जा रहे हैं. मांएं रो भी नहीं पा रही हैं क्योंकि उन्हें दूसरे बच्चों को बचाने की कोशिश करते रहना है. यह सोमालिया है.
सबसे बुरा दौर
40 साल के सबसे बुरे सूख से गुजर रहे सोमालिया में भूख से मरते बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सरकार का कहना है कि स्थिति काबू से बाहर हो चुकी है.
गांवों में बस मौत बची है
बाइदोआ शहर में लगाए गए एक कैंप में रह रहे लोग कई-कई दिन चलकर अपने गांवों से आए हैं. वे इसलिए यहां आ गए क्योंकि गांव में मौत के सिवा अब कुछ बचा नहीं है.
गंभीर कुपोषण
हाल ही में जारी एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि विभिन्न कैंपों में रह रहे बच्चों और गर्भवती महिलाओं में से दो तिहाई गंभीर कुपोषण का शिकार हैं.
जीवन बदल चुका है
जलवायु परिवर्तन और लगातार जारी सूखे ने सोमालिया को मौत की बस्ती में बदल दिया है. लोगों का सामान्य जीवन अब परिभाषाएं बदल रहा है.
सब बाइदोआ जा रहे हैं
बड़ी संख्या में लोग बाइदोआ की ओर भाग रहे हैं. कुछ अनुमान हैं कि बीते महीनों में शहर की आबादी चार गुना बढ़कर आठ लाख पर पहुंच गई है.
सूखते दुखते हलक
कैंपों में रह रहे बच्चे इस कदर सूख चुके हैं कि उनके हलक से पानी उतरना भी मुश्किल हो गया है. कुछ को न्यूमोनिया है तो कुछ खसरे से जूझ रहे हैं.
रोने की ताकत नहीं
दुधमुंहे बच्चों में इतनी ताकत नहीं बची है कि रो सकें. कइयों की त्वचा सूखकर लगभग गायब हो चुकी है.
किसी ने सुनी नहीं
सोमाली अधिकारी और संयुक्त राष्ट्र कई महीनों से इस भयानक आपदा की चेतावनी दे रहे थेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेे लेकिन दुनिया यूक्रेन में व्यस्त है.