कई पेशेवर फुटबॉल खिलाड़ियों को डर लगता है कि अगर वे मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में खुलकर बात करेंगे, तो उनका करियर खतरे में पड़ जाएगा. लेकिन अब स्थितियां बदल रही हैं. कई खिलाड़ी अपने फुटबॉल क्लबों से मांग कर रहे हैं कि वे मनोवैज्ञानिक सहायता मुहैया कराएं.