सैकड़ों बार सांप से कटवाया, अब दवा खोजने में बने मददगार
३ मई २०२५टिम फ्रीडे को लंबे समय से सरीसृप और दूसरे जहरीले जीव लुभाते रहे हैं. विस्कॉन्सिन के अपने घर में वह शौकिया तौर पर बिच्छुओं और मकड़ों का जहर निकाला करते थे. इतना ही नहीं उन्होंने दर्जनों सांपों को भी पाल रखा था.
उन्हें उम्मीद थी कि इसके जरिए वे खुद को सांप के काटने से बचा सकेंगे. केवल उत्सुकता की वजह से उन्होंने जहर की छोटी छोटी खुराक अपने शरीर में इंजेक्शन की मदद से डालने की शुरुआत की. धीरे धीरे वह मात्रा बढ़ाते गए और उसके प्रति सहनशक्ति विकसित कर ली. उसके बाद वह खुद को सांपों से सीधे कटवाने लगे.
शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मदद
फ्रीडे कहते हैं, "शुरू-शुरू में तो यह काफी डरावना था, लेकिन जितना ज्यादा आप करते हैं स्थिति बेहतर होती जाती है, आप शांत होते जाते हैं." कोई भी डॉक्टर या मेडिकल क्षेत्र से जुड़ा शख्स या फिर आम आदमी इसकी सलाह नहीं देगा. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि उनका तरीका दिखाता है कि शरीर कैसे काम करता है. इसमें शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र का सामना सांप के जहर के टॉक्सिन से होता है. इस स्थिति में प्रतिरक्षा तंत्र ऐसी एंटीबॉडी बनाने लगता है जो शरीर में जहर को बेअसर कर सकते हैं.
अगर जहर की छोटी मात्रा है तो शरीर पर उसका व्यापक असर होने से पहले ही शरीर प्रतिक्रिया देता है. अगर उस जहर से शरीर का पहले से सामना हो चुका है तो वह तेजी से प्रतिक्रिया देगा और बड़ी मात्रा को भी संभाल सकता है.
संस्कृति और पौराणिक कथाओं में सांपों का महत्व
कुछ सांपों की काट का बेहतर इलाज
फ्रीडे ने सांप के काटने और इंजेक्शन का करीब दो दशक तक सामना किया. आज भी उनके पास केवल जहर से भरा हुआ एक फ्रिज है. वह अपने यूट्यूब चैनल पर वीडियो डालते हैं. उसमें उन्होंने ब्लैक माम्बा, टाइपान और वाटर कोबरा के काटने से हाथ में सूजन और निशान को दिखाया है. उनका कहना है, "मैं अपनी सीमाओं को लड़खड़ाने से लेकर मौत के जितना करीब संभव है वहां तक बढ़ाना और फिर वहां से वापस आना चाहता था."
40 बार सांप से कटवाने गया वैज्ञानिक
फ्रीडे लोगों की मदद भी करना चाहते थे. उन्हें जितने वैज्ञानिक मिले उन सबको उन्होंने ईमेल भेजा. इसमें उनसे अनुरोध किया कि जो सहनशीलता उन्होंने विकसित की है वह उसका अध्ययन करें. इसकी जरूरत भी है. दुनिया भर में लोगों की सेहत और स्वास्थ्य पर नजर रखने वाले विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हर साल करीब 110,000 लोग सांप के काटने से मरते हैं.
कैसे बनती है जहर की काट
एंटीवेनम यानी जहर की काट बनाना कठिन भी है और बहुत खर्चीला भी. आमतौर पर इसे घोड़े जैसे बड़े स्तनधारियों में जहर डाल कर और फिर उनसे बने एंटीबॉडी को जमा कर बनाया जाता है. इस तरह के एंटीवेनम आमतौर पर सांप की केवल कुछ खास प्रजातियों के लिए ही कारगर होते हैं. इसके साथ ही कई बार ये खराब प्रतिक्रियाओं को भी जन्म देते हैं क्योंकि उनकी उत्पत्ति मानव से नहीं हुई है.
जब कोलंबिया यूनिवर्सिटी के पीटर क्वोंग ने फ्रीडे के बारे में सुना तो उन्होंने कहा, "अरे वाह, यह तो बिल्कुल अनोखा है. हमारे पास एक खास आदमी है जिसमें शानदार एंटीबॉडीज हैं जो उसने 18 साल से ज्यादा के समय में जमा किए हैं.
शुक्रवार को जर्नल शेल में प्रकाशित रिसर्च रिपोर्ट में क्वोंग और उनके सहयोगियों ने बताया है कि फ्रीडे के अनोखे खून से वे क्या करने में सफल हुए. उन्होंने दो ऐसे एंटीबॉडीज की पहचान की है जो कई अलग अलग प्रजातियों के जहर को बेकार कर सकते हैं. उनका लक्ष्य आने वाले दिनों में ऐसा इलाज विकसित करना है जो व्यापक रूप से सांप के काटने पर सुरक्षा देगा.
इंसान के इलाज में वक्त लगेगा
रिसर्च अभी बहुत शुरुआती चरण में है. इस एंटीवेनम का परीक्षण अभी सिर्फ चूहों में किया गया है और इंसानों पर इसका परीक्षण करने में कई साल लगेंगे. ये एंटीवेनम सांपों के कई समूहों पर कारगर है लेकिन कई समूह अब भी इसकी पहुंच से काफी दूर हैं.
फ्रीडे की यात्रा भी गलतियों से अछूती नहीं है. उनमें से एक यह भी है कि एक बार सांप के काटने के बाद उन्हें अपनी उंगली का एक हिस्सा काटना पड़ा था. इसके अलावा नटखट कोबरा जैसे कुछ सांपों ने उन्हें अस्पताल जाने पर भी मजबूर किया.
फ्रीडे अब सेंटीवैक्स नाम की कंपनी के लिए काम करते हैं. यह कंपनी इलाज विकसित करने की कोशिश में है और उसने रिसर्च के लिए पैसा भी दिया है. फ्रीडे बहुत उत्साह में हैं कि 18 साल से चली आ रही उनकी कोशिशें एक दिन सांप के काटने से लोगों को बचाएंगी. हालांकि जो लोग उनकी राह पर चलने की सोच रहे हैं उनसे वह साफ-साफ कहते हैं, "यह मत करिएगा."