जान बचाती साइडकार
जहां बड़ी गाड़ियां नहीं जा सकतीं, वहां भी मरीजों तक एंबुलेंस पहुंचाने के लिए यह तरीका निकाला गया है. साइडकार वाली मोटरसाइकलें जिंदगियां बचा रही हैं.
मोटरबाइक एंबुलेंस
साइडकार को एंबुलेंस का रूप दे दिया गया है और उसे बाइक के साथ लगाकर ऐसे इलाकों में भी ले जाया जा सकता है, जहां सड़कें नहीं है और एंबुलेंस नहीं जा सकतीं.
ग्रामीण इलाकों में काम
छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में ये एंबुलेंस उन लोगों तक पहुंच रही हैं जहां सड़कमार्ग से पहुंचना संभव नहीं है. हालांकि इसके लिए स्वास्थ्यकर्मियों को भी खासी मशक्कत करनी पड़ रही है.
2014 में शुरुआत
इस मोटरबाइक एंबुलेंस की शुरुआत छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में की गई, जो भारत के सबसे घनी आबादी वाले जिलों में से है. अधिकारी मानते हैं कि ये एंबुलेंस स्थायी समाधान नहीं हैं लेकिन लोगों को मदद तो मिल ही रही है.
13 एंबुलेंस
नारायणपुर में ये बाइक एंबुलेंस 2014 में शुरू की गई थीं. आज तीन जिलों में 13 ऐसी एंबुलेंस काम कर रही हैं. इन्हें स्थानीय समाजसेवी संगठन ही चला रहे हैं.
घाना से मिला आइडिया
‘साथी’ नामक संस्था के भूपेश तिवारी बातते हैं कि इनका विचार घाना के एक प्रोजेक्ट से आया था और इनका मुख्य मकसद गर्भवती महिलाओं के लिए इस्तेमाल है. सिर्फ नारायणपुर में 3,000 महिलाओं को इनकी मदद से अस्पताल पहुंचाया जा चुका है.