शुभांशु शुक्ला बने अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय
अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर जाने वाली एक निजी फ्लाइट पर सवार शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं. दो हफ्तों के इस मिशन के लिए इसरो ने शुक्ला को चुना था.
तीन देशों का संयुक्त मिशन
भारत, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अमेरिकी कमर्शियल मिशन 'एक्सियोम मिशन 4' अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) के लिए रवाना हो गया है. इस मिशन में भारत की तरफ से इसरो के शुभांशु शुक्ला हिस्सा ले रहे हैं.
शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास
भारत ने 40 सालों बाद अपना कोई अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में भेजा है. 1984 में राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय बने थे. इस मिशन के साथ शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं.
'एक अरब दिलों की उम्मीदें'
39 साल के शुक्ला फाल्कन नाइन रॉकेट पर सवार बिल्कुल नए स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन कैप्सूल के पायलट हैं. फ्लाइट से पहले मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा था, "मैं अपने साथ सिर्फ यंत्र और उपकरण ही नहीं, बल्कि एक अरब दिलों की उम्मीदें और सपने भी ले जा रहा हूं."
भारतीय वायु सेना का गौरव
1985 में लखनऊ में पैदा हुए ग्रुप कैप्टेन शुक्ला भारतीय वायु सेना के प्रतिष्ठित पायलट हैं. उनके पास सुखोई, मिग, जगुआर, हॉक, डोर्नियर जैसे विमानों में 2,000 घंटों की कुल उड़ान का अनुभव है. इसरो ने उन्हें इस मिशन के लिए 2019 में चुना. मिशन के लिए उन्होंने एक साल तक रूस में प्रशिक्षण लिया.
इसरो का गगनयान मिशन
इसरो इस उड़ान को उसके अपने मानव युक्त मिशन गगनयान की तरफ एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में देख रहा है. इसे 2027 में भेजे जाने की योजना है. 'एक्सियोम मिशन 4' में शुक्ला के अलावा पोलैंड के मिशन स्पेशलिस्ट स्लावोस उजनांसकी-विसनूस्की, हंगरी के मिशन स्पेशलिस्ट तिबोर कापू और अमेरिका की मिशन कमांडर पेगी व्हिटसन शामिल हैं.
एक देश का खर्च 10 करोड़ डॉलर
14 दिनों तक चलने वाले इस मिशन के दौरान माइक्रोएलगी का अध्ययन, सलाद के बीजों को अंकुरित करना, अंतरिक्ष में अति सूक्ष्म जीवों के अध्ययन जैसे करीब 60 प्रयोग किए जाएंगे. भारत, पोलैंड और हंगरी अपने कर्मियों का खर्चा खुद उठा रहे हैं. हंगरी ने बताया है कि उसने अपनी सीट के लिए 10 करोड़ डॉलर दिए हैं. भारत और पोलैंड ने खर्च की जानकारी नहीं दी है.