ब्रिटेन की जासूसी एजेंसी एमआई-5 का इतिहास बताने वाली चीजें
110 साल पुराने एक नींबू ने भी एमआई-5 के इतिहास में बड़ी भूमिका निभाई है. लंदन में एमआई5 की प्रदर्शनी में शामिल जिन चीजों पर ज्यादा लोगों की नजरें हैं, उनमें इस नींबू समेत कई चीजें है.
एजेंसी का पहला स्पाई कैम
तस्वीर में नजर आ रहा 1910 एनसाइग्नेटे एमआई- 5 के लिए खरीदा गया पहला कैमरा है. यह पहला कॉम्पैक्ट कैमरा है जो कीमत के लिहाज से किफायती था और इसे आम लोग भी खरीद सकते थे. बहुत सी जानकारियां और चीजें दिखा कर एजेंसी के काम के बारे में बताया गया है. इसी ब्रिटेन में कभी वह भी दौर था कि एमआई-5 के अस्तित्व से भी इनकार किया जाता था.
एजेंटों और अधिकारियों की लिस्ट
तस्वीर में दिख रहा दस्तावेज 1919 में एजेंसी के लिए काम करने वाले पुराने और वर्तमान अधिकारियों और एजेंटों की लिस्ट है. ब्रिटेन की इस घरेलू खुफिया एजेंसी की शुरुआत 1909 में हुई थी तब इसमें सिर्फ दो अधिकारी काम करते थे.
फ्लैश रेडियो सेट
1960 का क्रोगर का फ्लैश रेडियो सेट भी उन चीजों में शामिल है जिन्हें प्रदर्शनी में शामिल किया गया है. इसे पीटर और हेलेन क्रोगर इस्तेमाल करते थे. दोनों सोवियत जासूसों ने इसके जरिए रूसी अधिकारियों को ब्रिटिश नौसेना की खुफिया जानकारियां दी. इन्हें पोर्टलैंड स्पाइज के नाम से जाना जाता है. इनके साथ दूसरे एजेंट भी जासूसी के काम में शामिल थे. 1961 में उनके घर पर स्पेशल फोर्स के छापे में यह उपकरण मिला था.
पाउडर का डिब्बा
यार्डले टैल्कम पाउडर का यह टिन भी 1960 में पोर्टलैंड स्पाइज के घर से रेडियो सेट के साथ ही मिला था. इसे माइक्रोडॉट को छिपाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था. माइक्रोडॉट सूक्ष्म तस्वीरें या फिर अक्षर होते हैं. जासूस इनके जरिए सूचनाओं को छिपा कर एक जगह से दूसरी जगह भेजते हैं. विश्व युद्धों के दौरान जासूस इनका खूब इस्तेमाल करते थे.
जुगाड़ का बम
इंस्टैंट कैमरा और एक बोतल का इस्तेमाल कर यह बम बनाया गया है. ब्रिटेन के बॉम्ब डाटा सेंटर ने इसे सबूत के तौर पर फिर से गढ़ा है. पिछले दशक की कुछ चीजों को दिख कर यह बताने की कोशिश की गई है कि पहले जो एजेंसी विदेशी जासूसों के खिलाफ काम करती थी वह अब आतंकवाद के खिलाफ काम करती है.
कैमरा, पाउडर का डिब्बा, ब्रीफकेस
छोटे गुप्त कैमरे, टैल्कम पाउडर की टिन में माइक्रोडॉट और भागते रूसी जासूस गाई बुर्गेस का पासपोर्ट और ब्रीफकेस जैसी कई चीजें हैं जो ब्रिटेन की नेशनल अर्काइव की इस प्रदर्शनी में आपको दिख जाएंगी. इन चीजों से ब्रिटेन की घरेलू खुफिया एजेंसी का इतिहास बताने की कोशिश की गई है.
110 साल पुराना नींबू
सूख कर अब काला पड़ चुका यह नींबू 110 साल पुराना है. इसने पहले विश्व युद्ध में जर्मन जासूस कार्ल म्यूलर को दोषी ठहराने में मदद की थी. पुलिस को यह बेडसाइड टेबल पर एक और नींबू के साथ उनकी ओवरकोट की जेब में मिला था. सबूतों ने दिखाया कि इसके रस का इस्तेमाल अदृश्य स्याही वाला वह पत्र लिखने में किया गया जिसमें ब्रिटिश सैनिकों की आवाजाही के बारे में जानकारी थी.
एजेंसी की बदलती भूमिका
प्रदर्शनी के जरिए नेशनल अर्काइव्स के ऐसे रिकॉर्ड दिखाए जा रहे हैं जो अब गोपनीय नहीं हैं. इसके साथ ही इसमें टेम्स हाउस की गुप्त म्यूजियम से मांग कर लाई गई चीजें भी हैं. दूसरे विश्व युद्ध में इसकी सफलता की कई कहानियां हैं. तब एजेंसी ने नाजी एजेंटों को पकड़ कर गलत जानकारियों को जर्मनी भेजा था. इसकी वजह से अडोल्फ हिटलर को 1944 में मित्र सेना के आक्रमण के ठिकानों का पहले से पता नहीं चल सका.
एजेंसी की नाकामियां
एमआई5 की नाकामियों में "कैंब्रिज स्पाई" का नाम लिया जाता है जिसके सदस्यों ने सोवियत संघ के रहस्यों को ब्रिटिश खुफिया तंत्र से निकाल कर सार्वजनिक कर दिया. हाल में जारी दस्तावेजों में 1963 में कैंब्रिज स्पाई किम फिल्बी का कबूलनामा भी है. फिल्बी ने सालों तक धोखे के आरोपों से इनकार किया हालांकि उनका सच सामने आया और वो मॉस्को भाग गए.
जासूसी की कहानियां
एमआई5 के जासूसों पर उपन्यास भी लिखे गए हैं और फिल्में भी बनी हैं. प्रदर्शनी में आए एमआई5 के महानिदेश केन मैक्कुलम ने पत्रकारों को एजेंसी के जासूसों की कई कहानियां भी सुनाईं.