पृथ्वी से बाहर जीवन का सबसे मजबूत संकेत मिला
१७ अप्रैल २०२५हमारे सौरमंडल के बाहर के एक ग्रह के वातावरण में ऐसी गैसों के रासायनिक संकेत मिले हैं, जिनका बनना सिर्फ जैविक प्रक्रियाओं से ही संभव हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि कम-से-कम पृथ्वी पर तो ये गैसें सिर्फ जैविक प्रक्रिया से ही बनती हैं.
ये दो गैसें हैं: डिमेथाइल सल्फाइड या डीएमएस और डाइमेथाइल डाइसल्फाइड यानी डीएमडीएस. जेम्स वेब दूरबीन ने के2-18बी ग्रह पर इन गैसों के संकेत देखे हैं. पृथ्वी पर ये गैसें सिर्फ जीवित प्राणियों के जरिए उत्पन्न होती हैं. पृथ्वी पर समुद्र में पैदा होने वाले जलीय पौधे जैसे कि शैवाल इन गैसों के प्राथमिक उत्पादक हैं.
डीएमएस और डीएमडीएस, दोनों एक ही रासायनिक परिवार से आते हैं. बाहरी ग्रहों पर इनकी मौजूदगी को जीवन का अहम संकेत बताया जा रहा है. जेम्स वेब ने इनमें से किसी एक, या फिर शायद दोनों की मौजूदगी का पता लगाया है. उस ग्रह के वातावरण में उनकी मौजूदगी का भरोसा 99.7 फीसदी तक है. हालांकि 0.3 फीसदी आसार अब भी हैं कि इन्हें देखने में आंकड़ों के लिहाज से कोई अनायास सफलता मिल गई हो. वैज्ञानिक लंबे समय से एलियन की तलाश में हैं और करोड़ों तारों की खाक छान कर भी नहीं मिला है एलियन.
सूक्ष्मजीवों की बहुतायत
इन संकेतों से यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि शायद इस ग्रह पर सूक्ष्मजीवों की बहुतायत हो सकती है. हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि वे वास्तविक जीवों की मौजूदगी की घोषणा नहीं कर रहे हैं. उनका कहना है कि इसकी बजाय इन्हें जैविक प्रक्रियाओं का संकेत कहा जा सकता है. इन खोजों को ज्यादा सावधानी से देखने और बहुत ज्यादा नजर रखने की जरूरत होगी.
इसके बावजूद वैज्ञानिकों के स्वर में उत्साह को साफ तौर पर महसूस किया जा सकता है. कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ऑफ एस्ट्रोनॉमी के एस्ट्रोफिजिसिस्ट निक्कू मधुसूदन का कहना है कि यह एलियन की दुनिया का पहला संकेत है, जहां शायद जीवन रहा हो.
मधुसूदन, एस्टोफिजिकल जर्नल लेटर्स में छपी संबंधित रिसर्च रिपोर्ट के प्रमुख लेखक हैं. उनका कहना है, "सौरमंडल के बाहर जीवन की तलाश में यह एक बदलाव का क्षण है, जहां हमने वर्तमान सुविधाओं के साथ यह दिखाया है कि जीवन की संभावना वाले ग्रहों पर जीवन के संकेत का पता चलना संभव है. हम खगोलीय जीवविज्ञान के पर्यवेक्षण युग में प्रवेश कर गए हैं."
मधुसूदन ने ध्यान दिलाया है कि हमारे सौरमंडल में भी जीवन के संकेत ढूंढ़ने की कई कोशिशें चल रही हैं. इनमें कई वातावरणों को लेकर भी दावे किए जाते हैं, जो जीवन के लिए उपयुक्त हैं. इनमें खासतौर से मंगल, शुक्र और कई बर्फीले चंद्रमाओं का नाम लिया जाता है.
किस ग्रह पर हुई यह खोज?
के2-18बी, पृथ्वी से 8.6 गुना बड़ा है और उसका व्यास हमारे ग्रह से करीब 2.6 गुना ज्यादा है. यह "जीवन के लिए उपयुक्त क्षेत्र" में परिक्रमा करता है. इसका मतलब है कि इसकी दूरी इतनी है, जहां पानी तरल अवस्था में भूमंडलीय सतह पर रह सकता है. जीवन के पनपने के लिए यह आवश्यक है.
यह ग्रह हमारे सूर्य की तुलना में छोटे और कम चमकदार छुद्र तारे का चक्कर लगाता है. यह पृथ्वी से करीब 124 प्रकाशवर्ष दूर है और लियो नक्षत्र में मौजूद है. प्रकाश वर्ष उस दूरी को कहते हैं, जो प्रकाश एक साल की अवधि में तय करता है. यह दूरी लगभग 9.5 लाख करोड़ किलोमीटर के बराबर होती है. इस तारे की परिक्रमा करने वाला एक और ग्रह देखा गया है.
बाहरी ग्रहों की दुनिया
सौरमंडल के बाहर अब तक 5,800 ग्रहों का पता लग चुका है. इन्हें एक्सोप्लेनेट या बाहरी ग्रह कहा जाता है. 1990 के दशक में इन ग्रहों की खोज शुरू हुई थी. वैज्ञानिकों ने ऐसे बाहरी ग्रहों के संसार के अस्तित्व की परिकल्पना की है, जो तरल पानी के समुद्र से ढके हैं, जहां सूक्ष्म जीव पनप सकते हैं और वातावरण में पर्याप्त हाइड्रोजन है.
2021 में जेम्स वेब को अंतरिक्ष भेजा गया और 2022 में इसने काम करना शुरू किया. इससे पहले के2-18 बी के वातावरण में मीथेन और कार्बन डाइ ऑक्साइड की पहचान की गई थी. यह पहली बार था, जब किसी तारे के जीवन के उपयुक्त इलाके में रहने वाले बाहरी ग्रह के वातावरण में कार्बनिक अणुओं की पहचान हुई थी.
मधुसूदन का कहना है कि अगर बाहरी ग्रहों की दुनिया में उनका अस्तित्व है, "तो हम संभवतया सूक्ष्म जीवों के बारे में बात कर रहे हैं, जैसा कि शायद हम पृथ्वी के महासागरों में देखते हैं." उनके महासागरों के बारे में माना जाता है कि वे पृथ्वी के महासागरों से ज्यादा गर्म हैं. बहुकोशिकीय जीवों या फिर बेहतर जीवन के बारे में सवाल पूछे जाने पर मधुसूदन ने कहा, "हम इस अवस्था में इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे सकते. आधारभूत रूप से धारणा सरल सूक्ष्मजीवों के जीवन की है."