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प्रकृति और पर्यावरणसंयुक्त राज्य अमेरिका

संघर्ष और आपदा के कारण 8 करोड़ से ज्यादा लोग बेघर हुए

१३ मई २०२५

बीते साल दुनिया भर के 8 करोड़ से ज्यादा लोग अपने ही देश में विस्थापित होने को मजबूर हुए. बढ़ते संघर्ष, आपदाएं और जलवायु परिवर्तन के बिगड़ते हालातों के कारण यह दुर्दशा हुई है.

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जंगल की आग में तबाह हुआ कैलिफोर्निया का इलाका
कैलिफोर्निया में जंगल की आग ने बड़ी संख्या में लोगों के घर तबाह किएतस्वीर: Valerie Macon/AFP/Getty Images

अपने ही देश में विस्थापित हुए लोगों की संख्या सारे पिछले रिकॉर्डों को ध्वस्त कर 2024 में 8.34 करोड़ पर पहुंच गई है. विस्थापितों पर नजर रखने वाली एजेंसी इंटरनल डिसप्लेसमेंट मॉनिटरिंग सेंटर (आईडीएमसी) और नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल (एनआरसी) की सालाना संयुक्त रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. आईडीएमसी की प्रमुख एलेक्जांड्रा बिलाक ने बयान जारी कर कहा है, "संघर्ष, गरीबी और जलवायु जहां टकराते हैं, वहां अंदरूनी विस्थापन सबसे कमजोर वर्ग पर बेहद कठोरता से वार करता है."

सूडान में विस्थापित हुआ एक परिवार
सूडान में एक करोड़ से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैंतस्वीर: AFP/Getty Images

सूडान और गाजा

रिपोर्ट में बताया गया है कि अंदरूनी तौर पर दुनिया भर में विस्थापित 90 फीसदी यानी 7.35 करोड़ लोग संघर्ष और हिंसा की वजह से ऐसा करने पर मजबूर हुए. साल 2018 से इसमें 80 फीसदी की वृद्धि हुई है. 10 देश ऐसे हैं जहां हरेक में 30 लाख से ज्यादा लोग अंदरूनी तौर पर 2024 में विस्थापित हुए. सबसे ज्यादा लोग जंग से जूझते सूडान में विस्थापित हुए. वहां 1.16 करोड़ लोगों को विस्थापन झेलना पड़ा जो किसी एक देश के लिए अब तक की सबसे बड़ी संख्या है.

युद्ध और आपदा के कारण देश के भीतर विस्थापित होते लोग

गाजा पट्टी की लगभग पूरी आबादी यानी करीब 20 लाख लोग भी पिछले साल विस्थापित हुए. इस साल 18 मार्च को संघर्षविराम खत्म होने के बाद यह सिलसिला फिर से शुरू हो गया है.

गाजा में टेंट में रह रहे लोग
गाजा में लाखों लोग अपना घर छोड़ने पर मजबूर हुएतस्वीर: DAWOUD ABU ALKAS/REUTERS

इसी तरह दुनिया भर में करीब एक करोड़ लोग अपने ही देश में आपदाओं के कारण विस्थापित हुए. यह संख्या पांच वर्ष पहले के मुकाबले दोगुने से ज्यादा है. 2024 में कुल 6.58 करोड़ लोग ऐसे हैं जो पहली बार विस्थापन के शिकार बने. इनमें कुछ लोगों को एक से ज्यादा बार भी विस्थापन झेलना पड़ा है. पहली बार विस्थापित 2.01 करोड़ लोगों के लिए कारण संघर्ष था जबकि रिकॉर्ड 4.58 करोड़ लोगों को आपदा के कारण अपना घर छोड़ना पड़ा.

अमेरिका में तूफान ने किया विस्थापन

बहुत से लोगों के विस्थापन का कारण हेलेन और मिल्टन जैसे तूफान भी थे. अकेले अमेरिका में ही करीब 1.1 करोड़ लोगों को तूफानों से बचने के लिए अपना घर छोड़ना पड़ा. दुनिया भर में इस वजह से विस्थापित लोगों की संख्या का करीब एक चौथाई है.

जलवायु परिवर्तन की वजह से तीव्र हुए मौसम ने भी लोगों के विस्थापित होने में बड़ी भूमिका निभाई है. आपदा के कारण विस्थापित हुए 99.5 फीसदी लोग इन्हीं चरम मौसमी घटनाओं के शिकार बने.

फ्लोरिडा के मिल्टन तूफान में ध्वस्त हुआ एक घर
अमेरिका में तूफान की वजह से लाखों लोगों को विस्थापन झेलना पड़ातस्वीर: Jose Luis Gonzalez/REUTERS

असम में बाढ़ के कारण हर साल विस्थापन का दर्द झेलते लोग

इस बीच उन देशों की संख्या 15 वर्षों में तिगुनी हो गई है जहां संघर्ष और आपदा दोनों ने लोगों को विस्थापित होने पर मजबूर किया. तीन चौथाई से ज्यादा लोग जो संघर्षों की वजह से विस्थापित हुए वो जलवायु परिवर्तन के लिहाज से भी बहुत नाजुक स्थिति का सामना कर रहे हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अकसर विस्थापन की वजहें और विस्थापन का असर, "आपस में गुंथे होते हैं और संकट को ज्यादा जटिल और विस्थापितों के लिए लंबे समय के असर वाला बना देते हैं."

विस्थापितों की भारी संख्या के आंकड़े ऐसे समय में जारी हुए हैं जब मानवीय संगठन मुश्किलों में हैं. दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद डॉनल्ड ट्रंप ने विदेशों को अमेरिकी मदद पर रोक लगा दी है. इसकी आंच अपने ही देश में विस्थापित हुए लोगों को भी झेलनी पड़ रही है. इन लोगों पर दुनिया की नजर कम ही जाती है. दूसरे देशों में विस्थापित हुए लोग ही दुनिया का ध्यान खींचने में सफल होते हैं.

एनआरसी के प्रमुख जान एगेलैंड ने बयान में इस बात पर जोर देकर कहा है, "इस साल के आंकड़े वैश्विक बंधुत्व के लिए चेतावनी हैं. हर बार मानवीय सहायता में जब कटौती होती हैं, तो एक और विस्थापित आदमी से भोजन, दवा, सुरक्षा और उम्मीद छिन जाते हैं."

उन्होंने यह भी कहा कि विस्थापन पर लगाम कसने की प्रक्रिया में प्रगति नहीं होना, "नीतियों की नाकामी और मानवता पर एक नैतिक धब्बा दोनों है."