शुरू हो चुकी है हावड़ा पुल को बचाने की कोशिश
हावड़ा पुल का वजन इतना बढ़ गया है कि उसकी वजह से पुल पर संकट मंडराने लगा है. कोलकाता के प्रतीक माने जाने वाले इस पुल की मरम्मत का काम शुरू हो चुका है.
इतिहास से सीख
सितंबर 2018 में कोलकाता का माजेरहाट पुल गिर गया था. विशेषज्ञों का कहना था कि रोज रोज तारकोल का लेप लगाने की वजह से उस पुल का वजन इतना बढ़ गया था कि अंत में वो टूट ही गया. कलकत्ता पोर्ट ट्रस्ट का मानना है कि इसी तरह हावड़ा पुल का वजन भी बहुत ज्यादा बढ़ गया है.
बोझ कम करने के लिए कदम
इस वजह से पुल का बोझ कम करने के लिए नए कदम उठाए गए हैं. पुल सालों साल स्वस्थ अवस्था में खड़ा रहे इसलिए तारकोल की पुरानी परतों को हटाया जाएगा. उसके बाद उसके नीचे स्थित स्टील के हिस्से की जांच की जाएगी ताकि यह पता चल सके कि उसे कहीं कोई नुकसान तो नहीं पहुंचा है.
पूरी मरम्मत होगी
अगर स्टील के हिस्से में कुछ नुकसान पाया गया तो उसकी मरम्मत की जाएगी और उसके बाद उसके ऊपर तारकोल की नई सड़क बिछाई जाएगी. ऐसा करने से पुल का वजन कम हो जाएगा और उस पर बोझ भी हल्का हो जाएगा.
प्रदूषण पर भी ध्यान
अलकतरा और बालू का मसाला शहर के बाहर राजारहाट से लाया जाएगा. इस मसाले को तैयार करने में वायु प्रदूषण होता है इसलिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने शहर के अंदर इसे बनाने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है.
रात में होगा काम
एक सर्वे के मुताबिक इस पुल पर से सुबह आठ बजे से लेकर शाम आठ बजे तक हर एक मिनट में 550 वाहन गुजरते हैं. प्रशासन ने कहा है कि वो यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है कि पुल की मरम्मत की वजह से आम लोगों को असुविधा न हो.
पूरी तरह नहीं होगा बंद
हावड़ा ब्रिज ट्रैफिक गार्ड के मुताबिक, 21 मीटर चौड़े पुल पर एक बार में सिर्फ सात मीटर बराबर जगह पर मरम्मत की जाएगी. यानी एक बार में पुल के सिर्फ एक-तिहाई हिस्से की मरम्मत की जाएगी. बाकी जगह पर वाहन चलते रहेंगे.
27 दिनों तक चलेगा काम
मरम्मत का काम कुल 27 दिनों तक चलते रहने का अनुमान है. सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान ट्रैफिक जाम न हो यह सुनिश्चित करने के लिए ट्रैफिक पुलिस के अतिरिक्त कर्मियों को तैनात किया जाएगा.
लोगों में आशंका
भले ही मरम्मत के लिए रात का समय चुना गया है, लेकिन लोगों में असुविधा की आशंका है. विशेष रूप से शाम के बाद हावड़ा की तरफ जाने वाले यात्री चिंतित हैं कि उन्हें परेशान होना पड़ेगा.
रबीन्द्रनाथ ठाकुर के नाम पर
हावड़ा पुल की शुरुआत अंग्रेजों के समय में हुई थी. 14 जून 1965 को इसका नाम रबीन्द्रनाथ ठाकुर के नाम पर रबीन्द्र सेतु रख दिया गया था. यह बोर्ड आने जाने वालों को पुल की विरासत की याद दिलाता है.
एक लाख गाड़ियां गुजरती हैं रोज
हावड़ा पुल कोलकाता और हावड़ा के बीच आवाजाही में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इस पुल को रोज करीब 1,50,000 पैदल यात्री और 1,00,000 गाड़ियां पार करती हैं. (सुब्रता गोस्वामी)