रूस और चीन की नौसेना का जापान सागर में साझा अभ्यास
३ अगस्त २०२५रूस और चीन, दोनों की नौसेनाओं ने साथ मिलकर सैन्य अभ्यास शुरू किया है. 1 अगस्त को शुरू हुए इस पांच-दिवसीय सैन्य अभ्यास को 'मैरीटाइम इंटरेक्शन 2025' नाम दिया गया है. यह ड्रिल रूस के व्लादिवोस्तोक शहर के तट के नजदीक हो रहा है. व्लादिवोस्तोक, जापान सागर के किनारे बसा है.
रूस के 'पसिफिक फ्लीट' द्वारा जारी बयान के अनुसार, इस साझा सैन्य अभ्यास में दोनों देशों के नौसैनिक एंटी-सबमरीन युद्धकला, हवाई रक्षा और खोज व बचाव अभियान का प्रशिक्षण लेंगे.
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इंटरफैक्स न्यूज एजेंसी के अनुसार, ड्रिल में रूस का एक विशाल एंटी-सबमरीन जहाज, चीन के दो ड्रिस्ट्रॉयर, दोनों देशों की डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां और एक चीनी सबमरीन रेस्क्यू जहाज शामिल हैं.
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यह सैन्य अभ्यास ऐसे समय में शुरू हुआ है, जब अमेरिका और रूस के बीच तनाव बढ़ा हुआ है. अमेरिकी दबाव के बावजूद यूक्रेन में संघर्षविराम नहीं हो पाया है. इसमें देरी को लेकर राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप रूस से नाराज हैं.
रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेद्वेदेव और ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक-दूसरे के लिए काफी कुछ लिखा, खिल्ली उड़ाई. मेद्वेदेव ने ट्रंप के अल्टीमेटम पर आपत्ति जताते हुए अमेरिका के साथ युद्ध के जोखिम का संकेत दिया.
ट्रंप ने इसे परमाणु युद्ध की धमकी बताते हुए दो न्यूक्लियर सबमरीनों को "समुचित इलाके" में तैनात करने का आदेश दिया. अमेरिका और रूस, दोनों के पास दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु हथियारों का भंडार है.
रूस और चीन कब से कर रहे हैं साझा सैन्य अभ्यास?
यह पहली बार नहीं है, जब दोनों ने साझा सैन्य अभ्यास किया हो. 'सेंटर फॉर यूरोपियन पॉलिसी एनालिसिस' (सीईपीए) की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देश 2003 से सैन्य अभ्यास कर रहे हैं. समय के साथ इन अभ्यासों की वार्षिक संख्या में अंतर आता रहा है. हालांकि, 2012 के बाद कमोबेश यह आंकड़ा बढ़ता ही रहा है.
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साल 2024 में 14 साझा सैन्य अभ्यासों के साथ यह अपने सबसे बड़े स्तर पर था. सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (सीएसआईएस) के अनुसार, 2003 से अब तक दोनों देशों 113 सम्मिलित अभ्यास में हिस्सा ले चुके हैं.
दोनों देशों के साझा अभ्यासों का भौगोलिक दायरा भी बढ़ा है. मसलन, 2003 में जब दोनों ने पहला अभ्यास "पीस मिशन 2003" किया, तो उसका स्थान था मध्य एशिया का कजाखस्तान और खुद चीन. शुरुआती वर्षों में अभ्यास की जगह चीन और पश्चिमी एशिया थी.
फिर इनका दायरा फैलता गया और भूमध्यसागर और बाल्टिक सागर (2017) तक पहुंचा. बल्कि 2017 में 'जॉइंट सी 2017' के नाम से हुआ साझा अभ्यास पहला मौका बताया जाता है, जब चीन ने इस इलाके में नौसेना अभ्यास किया हो.
सैन्य क्षमताओं का शक्ति प्रदर्शन?
विश्लेषकों के अनुसार, साझा सैन्य अभ्यास दोनों देशों को राजनीतिक संदेश देने में मदद करते हैं, खासतौर पर उन देशों को जिनके साथ उनका सीमा विवाद है या कटुता है.
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सीएसआईएस के अनुसार, चीन की नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी द्वारा 2020 में छपवाई गई 'साइंस ऑफ मिलिटरी स्ट्रैटजी' नाम की एक किताब में लिखा है, "सैन्य अभ्यास ना केवल विरोधियों के आगे चीनी सेना की युद्ध क्षमताओं का प्रदर्शन करता है, बल्कि यह शंका भी पैदा करता है. हमारे इरादों के प्रति उनमें संदेह पैदा करता है. "
रूस और चीन, दोनों अपने सैन्य सहयोग को "असीमित" बताते हैं. यह साफ है कि फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमला करने के बाद रूस, चीन के ज्यादा करीब आया है. लेकिन कई विशेषज्ञों के अनुसार, वैश्विक तौर पर अलग-थलग हो चुके रूस की चीन पर निर्भरता बढ़ी है.
उसके अपने प्रमुख उद्योगों को भी नुकसान हुआ है. मसलन, हथियारों का निर्यात. एक तो यूक्रेन युद्ध में अपनी जरूरतों के कारण और फिर वैश्विक आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से रूस का हथियार निर्यात कम हुआ है.
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सीएसआईएस के मुताबिक, 2012 में समूचे वैश्विक हथियार निर्यात में रूस की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत थी. साल 2024 में यह घटकर करीब चार प्रतिशत रह गई है. वहीं, चीन का आर्म्स एक्सपोर्ट अपेक्षाकृत बढ़ा है. साल 2023 में यह अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा, वैश्विक हथियार बिक्री का 8.4 प्रतिशत.