समुद्र के तल पर बिछी केबलों से चलती है हमारी डिजिटल दुनिया
७ फ़रवरी २०२५हाल ही में समुद्री केबलों को जानबूझकर कई बार नुकसान पहुंचाया गया है, जिसके लिए कथित तौर पर एक रूसी ‘शैडो फ्लीट' को जिम्मेदार माना जा रहा है. इससे पता चलता है कि संचार सुविधा बेहतर बनाने और इंटरनेट चलाने के लिए दुनिया भर में जो केबल बिछाए गए हैं उनकी सुरक्षा कमजोर है और उन्हें आसानी से नुकसान पहुंचाया जा सकता है.
बाल्टिक सागर में इंटरनेट केबल कटने से बढ़ी ‘हाइब्रिड युद्ध’ की चिंताएं
पानी के नीचे बिछे हैं अलग-अलग तरह के केबल
कुछ समुद्री केबल हाई-वोल्टेज डाइरेक्ट करंट (एचवीडीसी) और विद्युत ऊर्जा को बहुत तेजी से और लंबी दूरी तक ले जाते हैं, जैसे कि दो देशों के बीच या द्वीपों तक. इन केबलों का इस्तेमाल, समुद्र में लगी पवन चक्कियों से बिजली को तट पर लाने के लिए भी किया जा सकता है.
इसके अलावा, टेलीकम्युनिकेशन केबल भी होते हैं. ये केबल दुनिया भर के करीब 95 फीसदी डेटा को एक जगह से दूसरी जगह ले जाते हैं. दूसरे शब्दों में कहें, तो ये केबल इंटरनेट पर होने वाले लगभग 95 फीसदी कामों के लिए जरूरी हैं, जैसे इंटरनेट पर कुछ सर्च करना, ऑनलाइन खरीदारी करना और फोन कॉल करना. हालांकि, इन केबलों से संदेश पहुंचने में थोड़ा समय लगता है. उदाहरण के लिए, यूरोप से किसी अमेरिकी वेबसाइट पर कॉल करने में लगभग 60 मिली सेकंड लगते हैं.
वहीं, कुछ केबल डेटा सेंटर और बड़े नेटवर्क को जोड़ते हैं. इनका इस्तेमाल सैन्य संचार और शोध के लिए भी होता है. इन केबलों की सुरक्षा दूसरे केबलों से ज्यादा होती है.
उपग्रह नहीं हैं समुद्री केबल के विकल्प
अंतरराष्ट्रीय संचार का एक छोटा हिस्सा उपग्रहों के जरिए होता है. वहीं, समुद्री केबल कम लागत में बहुत ज्यादा डेटा एक जगह से दूसरी जगह भेज सकते हैं. दूसरी ओर, उपग्रहों के जरिए कनेक्शन धीमे होते हैं और आसानी से बाधित हो सकते हैं.
हालांकि, अमेरिका और यूरोप के देश सैटेलाइट तकनीकों, जैसे कि स्टारलिंक और आईआरआईएस कार्यक्रमों में काफी धन निवेश कर रहे हैं. इनके जरिए वे एक सुरक्षित और अलग तरह का संचार नेटवर्क बनाना चाहते हैं.
पानी के नीचे केबल कहां बिछाए जाते हैं?
दुनिया भर में लगभग 500 केबल लाइनें हैं, जिनमें 14 लाख किलोमीटर केबल शामिल हैं. केबल इतने लंबे हैं कि उन्हें भूमध्य रेखा के चारों ओर 30 बार लपेटा जा सकता है. इनमें हर साल नए केबल जोड़े जाते हैं. अधिकांश केबल कनेक्शन यूरोप और उत्तरी अमेरिका के बीच अटलांटिक महासागर में एवं अमेरिका और पूर्वी एशिया के बीच प्रशांत महासागर में मौजूद हैं.
हालांकि, पूरे विश्व को दिखाने वाले किसी भी मानचित्र में हर केबल का सटीक स्थान नहीं दिखाया गया है. सबमरीनकेबलमैप डॉट कॉम या टेलिजियोग्राफी जैसे प्लेटफॉर्म पर केबल के नक्शे दिखाए गए हैं, लेकिन इस बात की सटीक जानकारी नहीं दी गई है कि वे किस स्थान पर बिछाए गए हैं.
यूरोप और एशिया के बीच लगभग 90 फीसदी डेटा ट्रैफिक यमन के समुद्र के पास से गुजरने वाले 14 केबलों से होकर जाता है. साल 2024 में, हूथी विद्रोहियों ने इस इलाके में हाइजैक किए गए एक जहाज से इनमें से तीन केबलों पर हमला किया था.
पानी के नीचे केबल कौन बिछाता है?
पहले, टेलीफोन और इंटरनेट सेवा देने वाली बड़ी कंपनियां, जैसे कि एटी एंड टी और चाइना टेलीकॉम के पास समुद्री केबलों की मिल्कियत थी और इस बाजार में उनका दबदबा था.
हालांकि, अब बड़ी तकनीकी कंपनियां, जैसे कि गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, मेटा और एमेजॉन इन केबलों में बहुत पैसा लगा रही हैं. गूगल के पास छह चालू समुद्री केबल हैं. वह और भी बनाने की योजना पर काम कर रहा है. मेटा के पास 16 मौजूदा केबलों में हिस्सेदारी है और वह अपना खुद का वैश्विक नेटवर्क बनाने की योजना बना रहा है.
समुद्री केबल कैसे बनाए जाते हैं?
आधुनिक समुद्री केबल में फाइबर ऑप्टिक्स की कई परतें होती हैं जो डिजिटल जानकारी को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए लाइट पल्स का इस्तेमाल करती हैं. इन केबलों को स्टील के तारों और स्टील कवच से मजबूती दी जाती है. इनके ऊपर पॉलीएथिलीन और पानी से बचाव वाली सामग्री की परतें भी होती हैं.
ये परतें केबलों को समुद्र की गहराई में होने वाले बहुत ज्यादा दबाव और कठिन परिस्थितियों से बचाती हैं. ये केबल औसतन 25 वर्षों तक इस्तेमाल किए जा सकते हैं. 20 सेंटीमीटर से ज्यादा मोटे समुद्री केबल बहुत भारी होते हैं. इनका वजन 40 से 70 किलोग्राम प्रति मीटर के बीच हो सकता है.
पानी के अंदर केबल कैसे बिछाया जाता है?
भूवैज्ञानिक और इंजीनियर तय करते हैं कि समुद्र में केबल कहां-कहां बिछाया जाए. इसके लिए, वे कई बातों का ध्यान रखते हैं, जैसे कि समुद्र में गहरे गड्ढे, समुद्री धाराएं, मछली पकड़ने वाले इलाके और जहाजों के रास्ते. गहरे समुद्र में, लगभग आठ किलोमीटर की गहराई तक, इन केबलों को नुकसान पहुंचने का खतरा कम होता है.
उत्तरी और बाल्टिक सागर में, पिछले युद्धों के दौरान बहुत सारे हथियार समुद्र में डुबो दिए गए थे. इन हथियारों की कुल मात्रा लगभग 16 लाख टन है, जो अब एक बड़ी समस्या बन गई है.
जब केबल बिछाए जाते हैं, तो इस बात का ध्यान रखा जाता है कि उन्हें सही ढंग से खींचा जाए. अगर इन्हें कम खींचा जाता है, तो केबल में लूप बन सकते हैं. वहीं, अगर इन्हें बहुत ज्यादा खींचा जाता है, तो केबल तैरने लगेगा और टूट सकता है.
पानी के नीचे मौजूद केबल को नुकसान कैसे पहुंचता है?
समुद्र में मछली पकड़ने के लिए इस्तेमाल होने वाले जाल और लंगर समुद्री केबलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. कभी-कभी इन केबलों को जानबूझकर भी तोड़ा जाता है. शीत युद्ध के समय से ही ऐसे हमले होते रहे हैं.
1959 में, अमेरिका ने रूस पर आरोप लगाया था कि उसने जानबूझकर मछली पकड़ने के जालों से एक समुद्री केबल को तोड़ा था. जासूसी भी एक बड़ी समस्या है, क्योंकि समुद्री केबलों को डेटा के लिए टैप किया जा सकता है.
पानी के नीचे केबल की मरम्मत कैसे की जाती है?
पानी के नीचे अत्यधिक दबाव और अप्रत्याशित मौसम की स्थिति के कारण समुद्री केबल की मरम्मत करना जटिल काम है. केबल को कितना नुकसान हुआ है और वह कितनी गहराई में है, इसके आधार पर अलग-अलग तरीके से उसकी मरम्मत की जाती है. अगर नुकसान ज्यादा नहीं है, तो गोताखोर समुद्र के अंदर जाकर ही केबल की मरम्मत कर सकते हैं.
वहीं, ज्यादा नुकसान होने पर एक खास तरह के जहाज की मदद से केबल को पानी से बाहर निकाला जाता है और फिर उसकी मरम्मत की जाती है. जहाज पर तकनीशियन पुराने हिस्सों को हटाकर नए हिस्से लगा देते हैं. फिर इन हिस्सों की अच्छी तरह जांच की जाती है और केबल को सावधानी से दोबारा बिछाया जाता है.
पानी के नीचे केबलों को कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है?
समुद्री केबल प्राकृतिक खतरों से तो अच्छी तरह सुरक्षित हैं, लेकिन दुश्मन देशों, जासूसी एजेंसियों या आतंकवादियों के हमलों से इनकी सुरक्षा करना थोड़ा मुश्किल काम है. पानी के अंदर चलने वाले ड्रोन और साउंड सेंसर सिस्टम की मदद से पता लगाया जा सकता है कि कोई समुद्री केबल को नुकसान पहुंचाने की कोशिश तो नहीं कर रहा है.
कुछ देश साथ मिलकर समुद्री केबलों की सुरक्षा के लिए रणनीतियां बना रहे हैं. इनमें देशों की सरकारें, केबल का प्रबंधन देखने वाली कंपनियां और अंतरराष्ट्रीय संगठन शामिल हैं. सैन्य गठबंधन नाटो ने भी बाल्टिक सागर में समुद्री केबलों की सुरक्षा के लिए गश्त और निगरानी शुरू करने का फैसला किया है. विशेषज्ञों का कहना है कि युद्ध जैसी स्थिति में, इन केबलों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए कानून बनाने की जरूरत है.