दौड़ में इंसान ने रोबोट को हरा दिया
चीन में हुए एक मैराथन में रोबोट, इंसानों से हार गए. इतना ही नहीं, दौड़ के बीच इंसानों की ही तरह रोबोटों को भी आराम की जरूरत पड़ी. ब्रेक में इंसानों ने तो पानी पीया, रोबोटों ने क्या किया?
दौड़ में इंसान ने रोबोट को हरा दिया
कई लोगों को फिक्र होती है कि एक दिन रोबोट उनकी जगह ले लेंगे. खासकर आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस के आने के बाद यह डर और बढ़ गया है. वैसे तो ये मुद्दा बड़ा जटिल है और इसकी कई परतें हैं, लेकिन फिलहाल एक अच्छी खबर है. चीन में हुए एक हालिया मैराथन में रोबोट, इंसानों से हार गए.
रोबोट बनाम इंसान
चीन की राजधानी बीजिंग में ह्यूमनॉइड रोबोट हाफ मैराथन का आयोजन हुआ. इसमें 10,000 लोगों और 21 अलग-अलग तरह के रोबोटों ने हिस्सा लिया. इसमें 120 सेंटीमीटर से लेकर 1.8 मीटर तक की लंबाई वाले रोबोट शामिल थे.
कौन जीता, कौन हारा
21 किलोमीटर लंबी इस हाफ मैराथन को टियानगॉन्ग रोबोट ने खत्म किया 2 घंटे 40 मिनट में. लेकिन मैराथन की फिनिश लाइन तक एक इंसान पहुंच गया महज एक घंटे, 11 मिनट और 7 सेकंड के अंदर. वक्त के फासले को देखें, तो इस रेस में रोबोट बस हारा नहीं. वह बुरी तरह पिछड़ गया.
मैराथन के बीच में रोबोट को भी लेना पड़ा ब्रेक
जाहिर सी बात है कि इतनी लंबी रेस में शामिल प्रतिभागियों को ब्रेक की भी जरूरत पड़ी. इंसानों ने जब ब्रेक लिया, तो उन्होंने पानी पीया या कुछ हल्का-फुल्का स्नैक खाया. सिर्फ इंसानों को ही नहीं, बल्कि रोबोटों को भी आराम की जरूरत पड़ी. उन्हें पानी या स्नैक की नहीं, बल्कि मरम्मत की जरूरत पड़ी. उनके साथ आए उनके निर्माताओं ने ब्रेक के दौरान जांचा कि कहीं उनके कोई पुर्जे ढीले तो नहीं पड़ गए.
आयोजकों को रोबोट के जीतने की उम्मीद भी नहीं थी
मैराथन के आयोजकों को इस बात की उम्मीद भी नहीं थी कि रोबोट इस रेस को जीत पाएंगे. उनके मुताबिक, इस प्रतियोगिता में रोबोट का शामिल होना सिर्फ तकनीक का प्रदर्शन था.
तकनीक के मामले में अमेरिका से आगे बढ़ने की रेस में चीन
यह मैराथन चीन की सरकार की उस कोशिश का हिस्सा है, जिसके तहत वह अपनी एआई काबिलियत और तकनीक को अमेरिका से बेहतर करना चाहता है.
अर्थव्यवस्था को मिलेगी रोबोट से मजबूती
चीन को उम्मीद है कि रोबोटिक्स में निवेश उसकी अर्थव्यवस्था को और मजबूत कर सकता है. इसलिए चीन इसमें निवेश को बढ़ावा देना चाहता है.