नीलगिरी शृंखला में लंबे समय से चाय, यूकेलिप्टस और बांस जैसी नकदी फसलों का बोलबाला रहा है. देसी जंगलों को काटकर बागानों के लिए जगह बनाई गई. इसके कारण ईकोसिस्टम को गंभीर नुकसान पहुंचा. अब यहां मूलनिवासी समुदायों के पारंपरिक ज्ञान को साथ लेकर एक बार फिर जंगलों को बहाल करने की कोशिश की जा रही है.