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समाज

कुरान पर याचिका से शिया और सुन्नी समुदायों में रोष

१५ मार्च २०२१

सुप्रीम कोर्ट में कुरान से 26 आयतों को हटाने की जनहित याचिका दाखिल करने वाले वसीम रिजवी के खिलाफ देशभर में शिया और सुन्नी समुदाय के सदस्य गुस्से में हैं और उन्हें गिरफ्तार करने की मांग कर रहे हैं.

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तस्वीर: IANS

सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले वसीम रिजवी यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन हैं और उन्होंने अपनी याचिका में कुरान से 26 आयतों को हटाने की मांग की है. याचिका में कहा गया ये आयतें "हिंसा, नफरत और आतंकवाद के लिए उकसाती" हैं और कथित तौर पर बाद में तीन खलीफाओं की अवधि में जोड़ी गईं. इस जनहित याचिका के बाद से ही देशभर में रिजवी के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध हो रहे हैं और उनकी गिरफ्तारी की मांग की जा रही है. शिया और सुन्नी समुदाय से जुड़े संगठन रिजवी पर ईशनिंदा का आरोप लगा रहे हैं और कह रहे हैं कि उन्होंने समाज में नफरत फैलाने का काम किया है.

मजलिस-ए-उलेमा-ए-हिंद के महासचिव और जाने माने शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद और लखनऊ स्थित ऐशबाग ईदगाह के इमाम और सुन्नी धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने रिजवी के इस कदम की न केवल निंदा की है, बल्कि शांति के उल्लंघन और ईशनिंदा के प्रयास के लिए उनकी गिरफ्तारी की भी मांग की है. हालांकि, शिया और सुन्नी दोनों मौलवियों ने कहा है कि पिछले 1,400 सालों में मूल कुरान में एक भी शब्द का कोई बदलाव या छेड़छाड़ नहीं की गई है. मौलाना कल्बे जव्वाद के मुताबिक, "रिजवी को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए. वह मुस्लिम विरोधी ताकतों के एजेंट हैं और चूंकि सीबीआई वक्फ बोर्ड में भ्रष्टाचार की जांच कर रही है, इसलिए वह समर्थन हासिल करने के लिए हथकंडे अपना रहे हैं."

रिजवी की याचिका की निंदा करते हुए दोनों समुदाय के सदस्यों ने रिजवी को इस्लाम और समाज से निकाल दिया है. सुन्नी धर्मगुरु मौलाना फजले मन्नान रहमानी नदवी के मुताबिक, "रिजवी एक इस्राएली एजेंट हैं जो केवल समाज की शांति और एकता में दरार पैदा करने का काम करते हैं."

क्या कानून की कसौटी में उतार पाएगी याचिका?

नलसार यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ, हैदराबाद के वाइस चांसलर डॉ. फैजान मुस्तफा कहते हैं कि याचिका में अस्पष्ट बातें कहीं गईं हैं और याचिकाकर्ता ने जो भी दलील दी है वह बेतुकी है. साथ ही वे कहते हैं कि रिजवी को भारतीय नागरिक होने के नाते अभिव्यक्ति की आजादी के साथ स्वतंत्र सोचने की भी आजादी है. वे शिया या सुन्नी धर्म से असहमति रख सकते हैं. डॉ. मुस्तफा के मुताबिक, "सबसे पहली चीज यह देखी जाएगी जो जनहित याचिका दाखिल हुई है क्या वह जनहित में है और निजी हित में नहीं है. क्या याचिकाकर्ता खुद को सीबीआई जांच से बचाने के लिए इस तरह से सस्ता प्रचार पाने के लिए कर रहा है. क्या मीडिया में कवरेज पाने के लिए वह सुप्रीम कोर्ट गया." साथ ही वे कहते हैं कोर्ट यह भी देखेगा कि याचिकाकर्ता किस हैसियत से याचिका दायर कर रहा है. वे कहते हैं, "क्या वह ऐक्टिविस्ट है, क्या वह अधिकार कार्यकर्ता और वह कितना गंभीर है."

Ramadan Indien Delhi
शिया और सुन्नी धर्म को मानने वाले कर रहे हैं गिरफ्तारी की मांग.तस्वीर: Reuters/A. Abidi

दूसरे कानूनी विशेषज्ञ कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगा सकता है और सजा भी सुना सकता है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार जनरल जस्टिस सोहेल एजाज सिद्दीकी के मुताबिक, "सुप्रीम कोर्ट पहली नजर में याचिका को खारिज कर देगा. यह भी संभव है कि सुप्रीम कोर्ट वसीम रिजवी पर अपने संवैधानिक अधिकार का दुरुपयोग करने के लिए भारी जुर्माना लगाए."

"अल्लाह के खिलाफ क्यों नहीं किया मुकदमा दायर"

रिजवी ने मामले में दर्जनों मुस्लिम राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक दलों, विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और लगभग एक दर्जन सरकारी मंत्रालयों, विभागों और एजेंसियों को पार्टियों के रूप में नामित किया है. डॉ. मुस्तफा कहते हैं, "अगर रिजवी को किसी को पार्टी बनाना था, तो वह अल्लाह को एक पक्षकार बनाते. भारत में भगवान पार्टी बनाया जा सकता है. बाबरी मस्जिद केस में राम पक्षकार थे और वे मुकदमा जीत गए." साथ ही डॉ. मुस्तफा कहते हैं कि याचिका पर सुनवाई से पहले कोर्ट याचिकाकर्ता के पिछले रिकॉर्ड भी देखेगा.

उपमहाद्वीप में एक प्रसिद्ध धार्मिक संस्थान, दारुल उलूम देवबंद के अधीक्षक मौलाना अबुल कासिम नोमानी ने एक बयान में कहा कि घृणा फैलाने वाले के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए क्योंकि सस्ती प्रसिद्धि पाने के लिए ऐसे तत्व किसी भी हद तक गिर सकते हैं.

कौन हैं वसीम रिजवी?

मायावती की सरकार के दौरान वसीम रिजवी को उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया था. इससे पहले वह समाजवादी पार्टी के दौर में भी अध्यक्ष पद संभाल चुके हैं. उनपर वक्फ की जमीनों की अवैध बिक्री और करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे. सीबीआई उनके खिलाफ करोड़ों रुपये के गबन के आरोपों की जांच कर रही है. साल 2017 में यूपी बीजेपी की सरकार बनने के बाद रिजवी ने अपना तेवर बदल लिया और उन्होंने कई बार मुस्लिम विरोधी बयान भी दिए.

इस्लाम के जानकार हाफिज मोहम्मद हाशिम कादरी सिद्दीकी कहते हैं, "कुरान का एक लफ्ज भी किसी को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं है. 1,400 साल से आजतक बहुत से लोगों ने इस तरह की हरकत की. कुरान का एक-एक लफ्ज अल्लाह द्वारा जमीन पर उतारा गया है वह किसी के लिए नुकसान पहुंचाने वाला नहीं है." वहीं मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली कहते हैं कि अदालत को रिजवी की उस याचिका को खारिज कर देना चाहिए जिसने दुनिया भर के मुसलमानों को आहत किया है.

आमिर अंसारी, डीडब्ल्यू हिन्दी, नई दिल्ली
आमिर अंसारी डीडब्ल्यू के दिल्ली स्टूडियो में कार्यरत विदेशी संवाददाता.
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