चांद पर उतरा निजी कंपनी का एक और लैंडर
२ मार्च २०२५ब्लू घोस्ट नाम के इस लैंडर को फायरफ्लाई एयरोस्पेस कंपनी ने बनाया है. यह रविवार को अमेरिकी समय के मुताबिक सुबह 3 बज कर 40 मिनट पर चांद की सतह पर उतरा. इसे फ्लोरिडा के केप केनेवेराल से फाल्कन 9 रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में भेजा गया था.
लैंडर चांद के मारे क्रिसियम में सतह पर उतरा, यह एक निचला मैदानी इलाका है जिसका व्यास करीब 500 किलोमीटर है. 2 मीटर ऊंचा और तीन मीटर चौड़ा लैंडर यहां दो हफ्ते गुजारेगा. कई वैज्ञानिक उपकरणों से लैस लैंडर को वहां कई प्रयोग करने हैं. यह चांद की सतह पर ड्रिल करके वहां से नमूने भी जमा करेगा.
निजी कंपनी का दूसरा मून लैंडर
"घोस्ट राइडर्स इन द स्काई" कहा जाने वाला यह मिशन चांद पर उतरने के पहले व्यापारिक अभियान के एक साल बाद आया है. यह नासा की उद्योगों के इस तरह के अभियानों में साथ लाने की कोशिशों का हिस्सा है. इसका मकसद आर्टेमिस अभियान के लिए खर्च घटाना और सहयोग हासिल करना है. आर्टेमिस के जरिए नासा ने कई दशकों बाद इंसानों को चांद की सतह पर उतारने का लक्ष्य रखा है.
हिप्पोपोटैमस या फिर किसी कॉम्पैक्ट कार के आकार वाला गोल्डन लैंडर 15 जनवरी को स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट के सहारे अंतरिक्ष में पहुंचा. चांद तक पहुंचने के रास्ते में इसने पृथ्वी और चांद की बेहतरीन तस्वीरें ली हैं. इस यात्रा में इसका साथी एक जापानी कंपनी का लैंडर है जो इसी साल मई में चांद पर उतरने की कोशिश करेगा.
ब्लू घोस्ट नाम के इस लैंडर में 10 उपकरण हैं. इनमें चांद की मिट्टी का विश्लेषण करने वाला यंत्र और विकिरण को सहन करने में सक्षम कंप्यूटर शामिल है. इसके साथ ही मौजूदा सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम का इस्तेमाल कर चांद तक पहुंचने का परीक्षण करने वाले यंत्र भी इसके साथ वहां भेजे गए हैं.
चांद के एक पूरे दिन यानी पृथ्वी के 14 दिनों तक यह वहां काम करेगा. उम्मीद की जा रही है कि इस दौरान इसकी हाई डेफिनिशन इमेजरी 14 मार्च के पूर्ण सूर्यग्रहण की तस्वीरें लेने में सक्षम होगी.
16 मार्च को, यह चांद पर सूर्यास्त को रिकॉर्ड करेगा. इससे पता चल सकेगा कि कैसे सौर प्रभाव के कारण चांद की सतह से धूल उड़ती है. इसकी वजह से चांद का क्षितिज रहस्यमय तरीके से प्रदीप्त हो उठता है. सबसे पहले इसे अपोलो के अंतरिक्षयात्री यूजीन सेर्नेन ने देखा था.
एक और लैंडर चांद पर उतरने की तैयारी में
ब्लू घोस्ट की लैंडिंग के बाद 6 मार्च को इंट्यूटिव मशीन का आईएम 2 मिशन चांद पर पहुंचेगा जिसमें अथेना लैंडर को चांद पर पहुंचना है. फरवरी 2024 में इंट्यूटिव पहली निजी कंपनी बनी थी जिसनें चांद की सतह पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफलता पाई. इसके साथ ही 1972 में अमेरिका के अपोलो मिशन के बाद यह दूसरा अमेरिकी मिशन था जो चांद पर उतरा. हालांकि यह सफलता ज्यादा दिन नहीं टिकी. लैंडिंग के दौरान यह ज्यादा तेजी से चांद की सतह पर उतरा जिसकी वजह से इसे नुकसान पहुंचा और यह पर्याप्त सौर उर्जा पैदा नहीं कर सका. ऐसे में इस मिशन को जल्दी ही खत्म करना पड़ा.
कंपनी का कहना है कि इस बार उसने लैंडर में काफी सुधार किए हैं. यह ब्लू घोस्ट से लंबा और पतला है, इसकी ऊंचाई एक वयस्क जिराफ के बराबर है. अथेना को स्पेस एक्स के रॉकेट की मदद से बुधवार को अंतरिक्ष में भेजा गया. इसमें तीन रोवर, बर्फ की तलाश करने के लिए ड्रिल और एक खास तरीके का हॉपिंग ड्रोन भी है जो चांद की खुरदुरे सतह की खोज करने के लिए वहां भेजा गया है.
एनआर/वीके (डीपीए, एएफपी)