एक भारतीय भी जीत चुका है आर्किटेक्चर का ये सबसे बड़ा पुरस्कार
प्रित्जकर पुरस्कार को 'आर्किटेक्चर का नोबेल पुरस्कार' माना जाता है. यह बेहतरीन आर्किटेक्ट्स को दिया जाता है. हाल के विजेताओं के बेहतरीन काम देखिए.
2025: लिउ जियाकुन
लिउ जियाकुन के काम को उनकी अनोखी और साफ ज्योमेट्री के लिए पहचाना जाता है. 1956 में जन्मे इस चीनी आर्किटेक्ट ने विपरीत विचारों को अपने कार्यों में जोड़ा है, जैसे – आदर्श जीवन बनाम वास्तविक जीवन, इतिहास बनाम आधुनिकता, और सामूहिकता बनाम व्यक्तिवाद, यह बात प्रित्जकर पुरस्कार की ज्यूरी ने कही. यहां इंपीरियल किल्न ब्रिक म्यूजियम देखा जा सकता है, जिसे उन्होंने सूझोउ में डिजाइन किया है.
2024: रिकेन यामामोटो
रिकेन यामामोटो ने जापान के तंग होते शहरों से चिंतित होकर खुले आंगन और ऊंची छतों वाले घर बनाए. जूरी ने उनके डिजाइन को "नई आर्किटेक्चरल भाषा कहा, जो ना सिर्फ परिवारों के रहने के लिए घर बनाता है, बल्कि समुदायों को भी जोड़ता है.” यामामोटो, जापान से प्रित्जकर पुरस्कार जीतने वाले नौवें आर्किटेक्ट हैं.
2023: डेविड चिपरफील्ड
जूरी ने ब्रिटिश आर्किटेक्ट डेविड चिपरफील्ड के काम को "सादगी में क्रांतिकारी" कहा. ये भी कहा कि उनके काम में इतिहास और संस्कृति के प्रति सम्मान दिखता है. जर्मनी में बर्लिन के म्यूजियम आइलैंड पर उनका बड़ा प्रभाव दिखता है. दुनिया भर में उन्होंने 100 से अधिक प्रोजेक्ट डिजाइन किए हैं. यहां म्यूजियम ऑफ मॉडर्न लिटरेचर देखा जा सकता है, जिसे उन्होंने मारबाख में डिजाइन किया.
2022: फ्रांसिस केरे
फ्रांसिस केरे का जन्म 1965 में बुर्किना फासो में हुआ. लेकिन 1985 से वह जर्मनी में रह रहे हैं. बर्लिन में वह केरे आर्किटेक्चर कंपनी चलाते हैं. उनके डिजाइन में स्थानीय वस्तुओं और पारंपरिक कारीगरी का इस्तेमाल होता है. उन्होंने 2001 में अपने गांव गांडो में इस प्राथमिक स्कूल का निर्माण किया था.
2021: ऐन लेकाटॉन और ज्यां-फिलिपे वसाल
यह दोनों 1970 के दशक में बोर्दो में पढ़ाई के दौरान मिले. बाद में उन्होंने नाइजर में काम किया, जिसने उनके काम करने के तरीके पर गहरा प्रभाव डाला. यहां पलाए दे टोक्यो प्रदर्शनी भवन देखा जा सकता है, जो 2002 में पेरिस में खुला, यह उनके पेरिस ऑफिस का सबसे प्रसिद्ध डिजाइन है.
2020: इवॉन फैरेल और शैली मैकनमारा
आयरिश आर्किटेक्ट इवॉन फैरेल और शैली मैकनमारा, यह पुरस्कार जीतने वाली चौथी और पांचवी महिलाएं थीं. उनकी कंपनी ग्राफ्टन आर्किटेक्ट्स अपने कंक्रीट और पत्थर के डिजाइन के लिए प्रसिद्ध है. जूरी ने उनकी इमारतों को "मानवीय अनुभव और सहज वातावरण बनाने" के लिए सराहा. यहां बॉकोनी यूनिवर्सिटी को देखा जा सकता है, जिसे उन्होंने मिलान में डिजाइन किया है.
2019: आराता इसोजाकी
1960 के दशक से इमारतें डिजाइन करने वाले जापानी आर्किटेक्ट अराता इसोजाकी अपने भविष्यवादी डिजाइनों के लिए प्रसिद्ध थे. उन्होंने 100 से अधिक इमारतें बनाई, जिसमें कतर नेशनल कन्वेंशन सेंटर (चित्र) भी शामिल है. जूरी ने कहा, "अर्थपूर्ण कला की खोज में, उन्होंने ऐसी बेहतरीन इमारतें बनाई, जो आज भी किसी एक शैली में बांधी नहीं जा सकती है."
2018: बालकृष्ण दोशी
आर्किटेक्चर के इस पुरस्कार से नवाजा गए एकलौते भारतीय दोशी का 2023 में निधन हुआ. इंदौर में उन्होंने अरण्य लो-कॉस्ट हाउसिंग प्रोजेक्ट डिजाइन किया था. इसमें 80,000 से अधिक लोग रहते हैं, जिसमें घर, आंगन और आंतरिक रास्तों का सुंदर ढांचा है. 2018 में प्रित्जकर जूरी ने उनकी वास्तुकला की सराहना करते हुए कहा कि उनके काम ने 1950 के दशक से “सभी सामाजिक और आर्थिक वर्गों के जीवन को प्रभावित किया है.”
2017: रफाएल अरांडा, कार्मे पिजेम और रामॉन विलाल्ता
जूरी ने कहा कि इनकी वास्तुकला “जड़ों से जुड़ी हुई है लेकिन दुनिया के लिए खुली भी है." 2017 में स्पैनिश आर्किटेक्ट तिकड़ी को प्रित्जकर पुरस्कार मिला. इनके प्रसिद्ध प्रोजेक्ट्स में ला लीरा थिएटर (रिपोल) का सार्वजनिक स्थान और अल पेतीत कोम्ते किंडरगार्टेन (फोटो में) शामिल हैं.
2016: आलेखांद्रों आरावेना
चिली के आर्किटेक्ट आलेखांद्रों आरावेना 2001 से एक "डू टैंक" चला रहे हैं, जो थिंक टैंक से ज्यादा सक्रिय है. वह अपने प्रोजेक्ट्स में लोगों और पर्यावरण को जोड़ते हैं. यहां इनोवेशन सेंटर देख सकते हैं, जो सैंटियागो डी चिली की कैथोलिक यूनिवर्सिटी में है. यह 14 मंजिला इमारत जलवायु के अनुसार ढल जाती है और सूरज व गर्मी से राहत देती है.
2015: फ्राइ ओटो
फ्राइ ओटो की संरचना हल्के डिजाइन और टिकाऊ सामग्री का उदाहरण होती है. उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति म्यूनिख ओलंपिक स्टेडियम की जालीदार छत (चित्र) है. जर्मन आर्किटेक्ट को मरणोपरांत प्रित्जकर पुरस्कार मिला, लेकिन 2015 में निधन से पहले उन्हें इसकी खबर मिल गई थी. तब उन्होंने कहा था, "मैंने यह पुरस्कार पाने के लिए कुछ नहीं किया है."
2014: शिगेरू बान
शिगेरू का जन्म टोक्यो में हुआ था. उनकी मां फैशन डिजाइनर थी और पिता टोयोटा में इंजीनियर थे. वे सुंदरता और इंजीनियरिंग को जोड़ते है. उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं के बाद अस्थायी घर बनाए, जिनमें कागज की ट्यूबों से बना शेल्टर भी शामिल है. यहां मेट्ज, फ्रांस में बना पोम्पीडू सेंटर देखा जा सकता है, जिसे उन्होंने डिजाइन किया था.
2013: टोयो ईतो
टोयो ईतो ने 2009 में बार्सिलोना के पस्सेग दे ग्रासिया में यह अपार्टमेंट बिल्डिंग बनाई थी. इसका लहरदार बाहरी डिजाइन अंतोनी गौदी की शैली की याद दिलाता है. जापानी आर्किटेक्ट टोयो ईतो अपने घुमावदार डिजाइन के लिए जाने जाते है. ये आकृतियां उनकी इमारतों को प्राकृतिक और जीवंत रूप देती है.